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1. |
(ऐ रसूल) क्या हमने तुम्हारा सीना इल्म से कुशादा नहीं कर दिया (जरूर किया) |
2. |
और तुम पर से वह बोझ उतार दिया |
3. |
जिसने तुम्हारी कमर तोड़ रखी थी |
4. |
और तुम्हारा ज़िक्र भी बुलन्द कर दिया |
5. |
तो (हाँ) पस बेशक दुशवारी के साथ ही आसानी है |
6. |
यक़ीनन दुश्वारी के साथ आसानी है |
7. |
तो जब तुम फारिग़ हो जाओ तो मुक़र्रर कर दो |
8. |
और फिर अपने परवरदिगार की तरफ रग़बत करो ********* |
© Copy Rights:Zahid Javed Rana, Abid Javed Rana,Lahore, Pakistan |
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