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1. |
इन्जीर और ज़ैतून की क़सम |
2. |
और तूर सीनीन की |
3. |
और उस अमन वाले शहर (मक्का) की |
4. |
कि हमने इन्सान बहुत अच्छे कैड़े का पैदा किया |
5. |
फिर हमने उसे (बूढ़ा करके रफ्ता रफ्ता) पस्त से पस्त हालत की तरफ फेर दिया |
6. |
मगर जो लोग ईमान लाए और अच्छे (अच्छे) काम करते रहे उनके लिए तो बे इन्तेहा अज्र व सवाब है |
7. |
तो (ऐ रसूल) इन दलीलों के बाद तुमको (रोज़े) जज़ा के बारे में कौन झुठला सकता है |
8. |
क्या ख़ुदा सबसे बड़ा हाकिम नहीं है (हाँ ज़रूर है) ********* |
© Copy Rights:Zahid Javed Rana, Abid Javed Rana,Lahore, Pakistan |
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