Quran Hindi Translation

Surah Al Duha

Translation by Mufti Mohammad Mohiuddin Khan



In the name of Allah, Most Gracious,Most Merciful


1

وَالضُّحَى

(ऐ रसूल) पहर दिन चढ़े की क़सम

2

وَاللَّيْلِ إِذَا سَجَى

और रात की जब (चीज़ों को) छुपा ले

3

مَا وَدَّعَكَ رَبُّكَ وَمَا قَلَى

कि तुम्हारा परवरदिगार न तुमको छोड़ बैठा और (न तुमसे) नाराज़ हुआ

4

وَلَلْآخِرَةُ خَيْرٌ لَكَ مِنَ الْأُولَى

और तुम्हारे वास्ते आख़ेरत दुनिया से यक़ीनी कहीं बेहतर है

5

وَلَسَوْفَ يُعْطِيكَ رَبُّكَ فَتَرْضَى

और तुम्हारा परवरदिगार अनक़रीब इस क़दर अता करेगा कि तुम ख़ुश हो जाओ

6

أَلَمْ يَجِدْكَ يَتِيمًا فَآوَى

क्या उसने तुम्हें यतीम पाकर (अबू तालिब की) पनाह न दी

(ज़रूर दी)

7

وَوَجَدَكَ ضَالًّا فَهَدَى

और तुमको एहकाम से नावाकिफ़ देखा तो मंज़िले मक़सूद तक पहुँचा दिया

8

وَوَجَدَكَ عَائِلًا فَأَغْنَى

और तुमको तंगदस्त देखकर ग़नी कर दिया

9

فَأَمَّا الْيَتِيمَ فَلَا تَقْهَرْ

तो तुम भी यतीम पर सितम न करना

10

وَأَمَّا السَّائِلَ فَلَا تَنْهَرْ 

माँगने वाले को झिड़की न देना

11

وَأَمَّا بِنِعْمَةِ رَبِّكَ فَحَدِّثْ

और अपने परवरदिगार की नेअमतों का ज़िक्र करते रहना

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Zahid Javed Rana, Abid Javed Rana,

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