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1. |
सूरज की क़सम और उसकी रौशनी की |
2. |
और चाँद की जब उसके पीछे निकले |
3. |
और दिन की जब उसे चमका दे |
4. |
और रात की जब उसे ढाँक ले |
5. |
और आसमान की और जिसने उसे बनाया |
6. |
और ज़मीन की जिसने उसे बिछाया |
7. |
और जान की और जिसने उसे दुरूस्त किया |
8. |
फिर उसकी बदकारी और परहेज़गारी को उसे समझा दिया |
9. |
(क़सम है) जिसने उस (जान) को (गनाह से) पाक रखा वह तो कामयाब हुआ |
10. |
और जिसने उसे (गुनाह करके) दबा दिया वह नामुराद रहा |
11. |
क़ौम मसूद ने अपनी सरकशी से (सालेह पैग़म्बर को) झुठलाया, |
12. |
जब उनमें का एक बड़ा बदबख्त उठ खड़ा हुआ |
13. |
तो ख़ुदा के रसूल (सालेह) ने उनसे कहा कि ख़ुदा की ऊँटनी और उसके पानी पीने से तअर्रुज़ न करना |
14. |
मगर उन लोगों पैग़म्बर को झुठलाया और उसकी कूँचे काट डाली तो ख़ुदा ने उनके गुनाहों सबब से उन पर अज़ाब नाज़िल किया फिर (हलाक करके) बराबर कर दिया |
15. |
और उसको उनके बदले का कोई ख़ौफ तो है नहीं ********* |
© Copy Rights:Zahid Javed Rana, Abid Javed Rana,Lahore, Pakistan |
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