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1. |
ऐ ईमानदारों (अगर तुम मेरी राह में जेहाद करने और मेरी ख़ुशनूदी की तमन्ना में घर से) निकलते हो) तो मेरे और अपने दुशमनों को दोस्त न बनाओ
तुम उनके पास दोस्ती का पैग़ाम भेजते हो और जो दीन हक़ तुम्हारे पास आया है उससे वह लोग इनकार करते हैं
वह लोग रसूल को और तुमको इस बात पर (घर से) निकालते हैं कि तुम अपने परवरदिगार ख़ुदा पर ईमान ले आए हो
अगर तुम मेरी राह में जेहाद करने और मेरी ख़ुशनूदी की तमन्ना में (घर से) निकलते हो
(और) तुम हो कि उनके पास छुप छुप के दोस्ती का पैग़ाम भेजते हो
हालॉकि तुम कुछ भी छुपा कर या बिल एलान करते हो मैं उससे ख़ूब वाक़िफ़ हूँ
और तुममें से जो शख़्श ऐसा करे तो वह सीधी राह से यक़ीनन भटक गया |
2. |
अगर ये लोग तुम पर क़ाबू पा जाएँ तो तुम्हारे दुश्मन हो जाएँ और ईज़ा के लिए तुम्हारी तरफ अपने हाथ भी बढ़ाएँगे और अपनी ज़बाने भी और चाहते हैं कि काश तुम भी काफिर हो जाओ |
3. |
क़यामत के दिन न तुम्हारे रिश्ते नाते ही कुछ काम आएँगे न तुम्हारी औलाद (उस दिन) तो वही फ़ैसला कर देगा
और जो कुछ भी तुम करते हो ख़ुदा उसे देख रहा है |
4. |
(मुसलमानों) तुम्हारे वास्ते तो इबराहीम और उनके साथियों (के क़ौल व फेल का) अच्छा नमूना मौजूद है
कि जब उन्होने अपनी क़ौम से कहा कि हम तुमसे और उन (बुतों) से जिन्हें तुम ख़ुदा के सिवा पूजते हो बेज़ार हैं
हम तो तुम्हारे (दीन के) मुनकिर हैं और जब तक तुम यकता ख़ुदा पर ईमान न लाओ हमारे तुम्हारे दरमियान खुल्लम खुल्ला अदावत व दुशमनी क़ायम हो गयी
मगर (हाँ) इबराहीम ने अपने (मुँह बोले) बाप से ये (अलबत्ता) कहा कि मैं आपके लिए मग़फ़िरत की दुआ ज़रूर करूँगा और ख़ुदा के सामने तो मैं आपके वास्ते कुछ एख्तेयार नहीं रखता
ऐ हमारे पालने वाले (ख़ुदा) हमने तुझी पर भरोसा कर लिया है और तेरी ही तरफ हम रूजू करते हैं और तेरी तरफ हमें लौट कर जाना है |
5. |
ऐ हमारे पालने वाले तू हम लोगों को काफ़िरों की आज़माइश (का ज़रिया) न क़रार दे और परवरदिगार तू हमें बख्श दे
बेशक तू ग़ालिब (और) हिकमत वाला है |
6. |
(मुसलमानों) उन लोगों के (अफ़आल) का तुम्हारे वास्ते जो ख़ुदा और रोज़े आख़ेरत की उम्मीद रखता हो अच्छा नमूना है
और जो (इससे) मुँह मोड़े तो ख़ुदा भी यक़ीनन बेपरवा (और) सज़ावारे हम्द है |
7. |
करीब है कि ख़ुदा तुम्हारे और उनमें से तुम्हारे दुश्मनों के दरमियान दोस्ती पैदा कर दे
और ख़ुदा तो क़ादिर है
और ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है |
8. |
जो लोग तुमसे तुम्हारे दीन के बारे में नहीं लड़े भिड़े और न तुम्हें घरों से निकाले उन लोगों के साथ एहसान करने और उनके साथ इन्साफ़ से पेश आने से ख़ुदा तुम्हें मना नहीं करता
बेशक ख़ुदा इन्साफ़ करने वालों को दोस्त रखता है |
9. |
ख़ुदा तो बस उन लोगों के साथ दोस्ती करने से मना करता है जिन्होने तुमसे दीन के बारे में लड़ाई की और तुमको तुम्हारे घरों से निकाल बाहर किया, और तुम्हारे निकालने में (औरों की) मदद की
और जो लोग ऐसों से दोस्ती करेंगे वह लोग ज़ालिम हैं |
10. |
ऐ ईमानदारों जब तुम्हारे पास ईमानदार औरतें वतन छोड़ कर आएँ तो तुम उनको आज़मा लो,
ख़ुदा तो उनके ईमान से वाकिफ़ है ही,
पस अगर तुम भी उनको ईमानदार समझो तो उन्ही काफ़िरों के पास वापस न फेरो
न ये औरतें उनके लिए हलाल हैं और न वह कुफ्फ़ार उन औरतों के लिए हलाल हैं
और उन कुफ्फार ने जो कुछ (उन औरतों के मेहर में) ख़र्च किया हो उनको दे दो,
और जब उनका महर उन्हें दे दिया करो तो इसका तुम पर कुछ गुनाह नहीं कि तुम उससे निकाह कर लो
और काफिर औरतों की आबरू (जो तुम्हारी बीवियाँ हों) अपने कब्ज़े में न रखो (छोड़ दो कि कुफ्फ़ार से जा मिलें) और तुमने जो कुछ (उन पर) ख़र्च किया हो (कुफ्फ़ार से) लो, और उन्होने भी जो कुछ ख़र्च किया हो तुम से
माँग लें यही ख़ुदा का हुक्म है
जो तुम्हारे दरमियान सादिर करता है और ख़ुदा वाक़िफ़कार हकीम है |
11. |
और अगर तुम्हारी बीवियों में से कोई औरत तुम्हारे हाथ से निकल कर काफिरों के पास चली जाए और (ख़र्च न मिले)
और तुम उन काफ़िरों से लड़ो और लूटो तो (माले ग़नीमत से) जिनकी औरतें चली गयीं हैं उनको इतना दे दो जितना उनका ख़र्च हुआ है
और जिस ख़ुदा पर तुम लोग ईमान लाए हो उससे डरते रहो |
12. |
(ऐ रसूल) जब तुम्हारे पास ईमानदार औरतें तुमसे इस बात पर बैयत करने आएँ कि
वह न किसी को ख़ुदा का शरीक बनाएँगी
और न चोरी करेंगी और न जेना करेंगी
और न अपनी औलाद को मार डालेंगी
और न अपने हाथ पाँव के सामने कोई बोहतान (लड़के का शौहर पर) गढ़ के लाएँगी,
और न किसी नेक काम में तुम्हारी नाफ़रमानी करेंगी
तो तुम उनसे बैयत ले लो और ख़ुदा से उनके मग़फ़िरत की दुआ माँगो
बेशक बड़ा ख़ुदा बख्शने वाला मेहरबान है |
13. |
ऐ ईमानदारों जिन लोगों पर ख़ुदा ने अपना ग़ज़ब ढाया उनसे दोस्ती न करो
(क्योंकि) जिस तरह काफ़िरों को मुर्दों (के दोबारा ज़िन्दा होने) की उम्मीद नहीं उसी तरह आख़ेरत से भी ये लोग न उम्मीद हैं ********* |
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