Quran Hindi TranslationSurah Al HashrTranslation by Mufti Mohammad Mohiuddin Khan |
1 |
سَبَّحَ لِلَّهِ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الْأَرْضِ ۖ जो चीज़ आसमानों में है और जो चीज़ ज़मीन में है (सब) ख़ुदा की तस्बीह करती हैं وَهُوَ الْعَزِيزُ الْحَكِيمُ और वही ग़ालिब हिकमत वाला है |
2 |
هُوَ الَّذِي أَخْرَجَ الَّذِينَ كَفَرُوا مِنْ أَهْلِ الْكِتَابِ مِنْ دِيَارِهِمْ لِأَوَّلِ الْحَشْرِ ۚ वही तो है जिसने कुफ्फ़ार अहले किताब (बनी नुजैर) को पहले हश्र (ज़िलाए वतन) में उनके घरों से निकाल बाहर किया مَا ظَنَنْتُمْ أَنْ يَخْرُجُوا ۖ (मुसलमानों) तुमको तो ये वहम भी न था कि वह निकल जाएँगे وَظَنُّوا أَنَّهُمْ مَانِعَتُهُمْ حُصُونُهُمْ مِنَ اللَّهِ فَأَتَاهُمُ اللَّهُ مِنْ حَيْثُ لَمْ يَحْتَسِبُوا ۖ और वह लोग ये समझे हुये थे कि उनके क़िले उनको ख़ुदा (के अज़ाब) से बचा लेंगे मगर जहाँ से उनको ख्याल भी न था ख़ुदा ने उनको आ लिया وَقَذَفَ فِي قُلُوبِهِمُ الرُّعْبَ ۚ और उनके दिलों में (मुसलमानों) को रौब डाल दिया يُخْرِبُونَ بُيُوتَهُمْ بِأَيْدِيهِمْ وَأَيْدِي الْمُؤْمِنِينَ कि वह लोग ख़ुद अपने हाथों से और मोमिनीन के हाथों से अपने घरों को उजाड़ने लगे فَاعْتَبِرُوا يَا أُولِي الْأَبْصَارِ तो ऐ ऑंख वालों इबरत हासिल करो |
3 |
وَلَوْلَا أَنْ كَتَبَ اللَّهُ عَلَيْهِمُ الْجَلَاءَ لَعَذَّبَهُمْ فِي الدُّنْيَا ۖ और ख़ुदा ने उनकी किसमत में ज़िला वतनी न लिखा होता तो उन पर दुनिया में भी (दूसरी तरह) अज़ाब करता وَلَهُمْ فِي الْآخِرَةِ عَذَابُ النَّارِ और आख़ेरत में तो उन पर जहन्नुम का अज़ाब है ही |
4 |
ذَلِكَ بِأَنَّهُمْ شَاقُّوا اللَّهَ وَرَسُولَهُ ۖ ये इसलिए कि उन लोगों ने ख़ुदा और उसके रसूल की मुख़ालेफ़त की وَمَنْ يُشَاقِّ اللَّهَ فَإِنَّ اللَّهَ شَدِيدُ الْعِقَابِ और जिसने ख़ुदा की मुख़ालेफ़त की तो (याद रहे कि) ख़ुदा बड़ा सख्त अज़ाब देने वाला है |
5 |
مَا قَطَعْتُمْ مِنْ لِينَةٍ أَوْ تَرَكْتُمُوهَا قَائِمَةً عَلَى أُصُولِهَا فَبِإِذْنِ اللَّهِ (मोमिनों) खजूर का दरख्त जो तुमने काट डाला या जूँ का तँ से उनकी जड़ों पर खड़ा रहने दिया तो ख़ुदा ही के हुक्म से وَلِيُخْزِيَ الْفَاسِقِينَ और मतलब ये था कि वह नाफरमानों को रूसवा करे |
6 |
وَمَا أَفَاءَ اللَّهُ عَلَى رَسُولِهِ مِنْهُمْ فَمَا أَوْجَفْتُمْ عَلَيْهِ مِنْ خَيْلٍ وَلَا رِكَابٍ (तो) जो माल ख़ुदा ने अपने रसूल को उन लोगों से बे लड़े दिलवा दिया उसमें तुम्हार हक़ नहीं क्योंकि तुमने उसके लिए कुछ दौड़ धूप तो की ही नहीं, وَلَكِنَّ اللَّهَ يُسَلِّطُ رُسُلَهُ عَلَى مَنْ يَشَاءُ ۚ न घोड़ों से न ऊँटों से, मगर ख़ुदा अपने पैग़म्बरों को जिस पर चाहता है ग़लबा अता फरमाता है وَاللَّهُ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ और ख़ुदा हर चीज़ पर क़ादिर है |
7 |
مَا أَفَاءَ اللَّهُ عَلَى رَسُولِهِ مِنْ أَهْلِ الْقُرَى فَلِلَّهِ وَلِلرَّسُولِ तो जो माल ख़ुदा ने अपने रसूल को देहात वालों से बे लड़े दिलवाया है वह ख़ास ख़ुदा और उसके रसूल وَلِذِي الْقُرْبَى وَالْيَتَامَى وَالْمَسَاكِينِ وَابْنِ السَّبِيلِ और (रसूल के) क़राबतदारों और यतीमों और मोहताजों और परदेसियों का है كَيْ لَا يَكُونَ دُولَةً بَيْنَ الْأَغْنِيَاءِ مِنْكُمْ ۚ ताकि जो लोग तुममें से दौलतमन्द हैं हिर फिर कर दौलत उन्हीं में न रहे, وَمَا آتَاكُمُ الرَّسُولُ فَخُذُوهُ وَمَا نَهَاكُمْ عَنْهُ فَانْتَهُوا ۚ हाँ जो तुमको रसूल दें दें वह ले लिया करो और जिससे मना करें उससे बाज़ रहो وَاتَّقُوا اللَّهَ ۖ إِنَّ اللَّهَ شَدِيدُ الْعِقَابِ और ख़ुदा से डरते रहो बेशक ख़ुदा सख्त अज़ाब देने वाला है |
8 |
لِلْفُقَرَاءِ الْمُهَاجِرِينَ الَّذِينَ أُخْرِجُوا مِنْ دِيَارِهِمْ وَأَمْوَالِهِمْ (इस माल में) उन मुफलिस मुहाजिरों का हिस्सा भी है जो अपने घरों से और मालों से निकाले (और अलग किए) गए يَبْتَغُونَ فَضْلًا مِنَ اللَّهِ وَرِضْوَانًا وَيَنْصُرُونَ اللَّهَ وَرَسُولَهُ ۚ (और) ख़ुदा के फ़ज़ल व ख़ुशनूदी के तलबगार हैं और ख़ुदा की और उसके रसूल की मदद करते हैं أُولَئِكَ هُمُ الصَّادِقُونَ यही लोग सच्चे ईमानदार हैं और (उनका भी हिस्सा है) |
9 |
وَالَّذِينَ تَبَوَّءُوا الدَّارَ وَالْإِيمَانَ مِنْ قَبْلِهِمْ يُحِبُّونَ مَنْ هَاجَرَ إِلَيْهِمْ जो लोग मोहाजेरीन से पहले (हिजरत के) घर (मदीना) में मुक़ीम हैं और ईमान में (मुसतक़िल) रहे और जो लोग हिजरत करके उनके पास आए उनसे मोहब्बत करते हैं وَلَا يَجِدُونَ فِي صُدُورِهِمْ حَاجَةً مِمَّا أُوتُوا وَيُؤْثِرُونَ عَلَى أَنْفُسِهِمْ وَلَوْ كَانَ بِهِمْ خَصَاصَةٌ ۚ और जो कुछ उनको मिला उसके लिए अपने दिलों में कुछ ग़रज़ नहीं पाते और अगरचे अपने ऊपर तंगी ही क्यों न हो दूसरों को अपने नफ्स पर तरजीह देते हैं وَمَنْ يُوقَ شُحَّ نَفْسِهِ فَأُولَئِكَ هُمُ الْمُفْلِحُونَ और जो शख़्श अपने नफ्स की हिर्स से बचा लिया गया तो ऐसे ही लोग अपनी दिली मुरादें पाएँगे |
10 |
وَالَّذِينَ جَاءُوا مِنْ بَعْدِهِمْ يَقُولُونَ رَبَّنَا اغْفِرْ لَنَا وَلِإِخْوَانِنَا الَّذِينَ سَبَقُونَا بِالْإِيمَانِ और उनका भी हिस्सा है और जो लोग उन (मोहाजेरीन) के बाद आए (और) दुआ करते हैं कि परवरदिगारा हमारी और उन लोगों की जो हमसे पहले ईमान ला चुके मग़फेरत कर وَلَا تَجْعَلْ فِي قُلُوبِنَا غِلًّا لِلَّذِينَ آمَنُوا رَبَّنَا إِنَّكَ رَءُوفٌ رَحِيمٌ और मोमिनों की तरफ से हमारे दिलों में किसी तरह का कीना न आने दे परवरदिगार बेशक तू बड़ा शफीक़ निहायत रहम वाला है |
11 |
أَلَمْ تَرَ إِلَى الَّذِينَ نَافَقُوا يَقُولُونَ لِإِخْوَانِهِمُ الَّذِينَ كَفَرُوا مِنْ أَهْلِ الْكِتَابِ क्या तुमने उन मुनाफ़िकों की हालत पर नज़र नहीं की जो अपने काफ़िर भाइयों अहले किताब से कहा करते हैं कि لَئِنْ أُخْرِجْتُمْ لَنَخْرُجَنَّ مَعَكُمْ وَلَا نُطِيعُ فِيكُمْ أَحَدًا أَبَدًا وَإِنْ قُوتِلْتُمْ لَنَنْصُرَنَّكُمْ अगर कहीं तुम (घरों से) निकाले गए तो यक़ीन जानों कि हम भी तुम्हारे साथ (ज़रूर) निकल खड़े होंगे और तुम्हारे बारे में कभी किसी की इताअत न करेंगे और अगर तुमसे लड़ाई होगी तो ज़रूर तुम्हारी मदद करेंगे, وَاللَّهُ يَشْهَدُ إِنَّهُمْ لَكَاذِبُونَ मगर ख़ुदा बयान किए देता है कि ये लोग यक़ीनन झूठे हैं |
12 |
لَئِنْ أُخْرِجُوا لَا يَخْرُجُونَ مَعَهُمْ अगर कुफ्फ़ार निकाले भी जाएँ तो ये मुनाफेक़ीन उनके साथ न निकलेंगे وَلَئِنْ قُوتِلُوا لَا يَنْصُرُونَهُمْ और अगर उनसे लड़ाई हुई तो उनकी मदद भी न करेंगे وَلَئِنْ نَصَرُوهُمْ لَيُوَلُّنَّ الْأَدْبَارَ ثُمَّ لَا يُنْصَرُونَ और यक़ीनन करेंगे भी तो पीठ फेर कर भाग जाएँगे |
13 |
لَأَنْتُمْ أَشَدُّ رَهْبَةً فِي صُدُورِهِمْ مِنَ اللَّهِ ۚ फिर उनको कहीं से कुमक भी न मिलेगी (मोमिनों) तुम्हारी हैबत उनके दिलों में ख़ुदा से भी बढ़कर है, ذَلِكَ بِأَنَّهُمْ قَوْمٌ لَا يَفْقَهُونَ ये इस वजह से कि ये लोग समझ नहीं रखते |
14 |
لَا يُقَاتِلُونَكُمْ جَمِيعًا إِلَّا فِي قُرًى مُحَصَّنَةٍ أَوْ مِنْ وَرَاءِ جُدُرٍ ۚ ये सब के सब मिलकर भी तुमसे नहीं लड़ सकते, मगर हर तरफ से महफूज़ बस्तियों में या (शहर पनाह की) दीवारों की आड़ में بَأْسُهُمْ بَيْنَهُمْ شَدِيدٌ ۚ इनकी आपस में तो बड़ी धाक है تَحْسَبُهُمْ جَمِيعًا وَقُلُوبُهُمْ شَتَّى ۚ कि तुम ख्याल करोगे कि सब के सब (एक जान) हैं मगर उनके दिल एक दूसरे से फटे हुए हैं ذَلِكَ بِأَنَّهُمْ قَوْمٌ لَا يَعْقِلُونَ ये इस वजह से कि ये लोग बेअक्ल हैं |
15 |
كَمَثَلِ الَّذِينَ مِنْ قَبْلِهِمْ قَرِيبًا ۖ ذَاقُوا وَبَالَ أَمْرِهِمْ وَلَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌ उनका हाल उन लोगों का सा है जो उनसे कुछ ही पेशतर अपने कामों की सज़ा का मज़ा चख चुके हैं और उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है |
16 |
كَمَثَلِ الشَّيْطَانِ إِذْ قَالَ لِلْإِنْسَانِ اكْفُرْ (मुनाफ़िकों) की मिसाल शैतान की सी है कि इन्सान से कहता रहा कि काफ़िर हो जाओ, فَلَمَّا كَفَرَ قَالَ إِنِّي بَرِيءٌ مِنْكَ إِنِّي أَخَافُ اللَّهَ رَبَّ الْعَالَمِينَ फिर जब वह काफ़िर हो गया तो कहने लगा मैं तुमसे बेज़ार हूँ मैं सारे जहाँ के परवरदिगार से डरता हूँ |
17 |
فَكَانَ عَاقِبَتَهُمَا أَنَّهُمَا فِي النَّارِ خَالِدَيْنِ فِيهَا ۚ तो दोनों का नतीजा ये हुआ कि दोनों दोज़ख़ में (डाले) जाएँगे और उसमें हमेशा रहेंगे وَذَلِكَ جَزَاءُ الظَّالِمِينَ और यही तमाम ज़ालिमों की सज़ा है |
18 |
يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا اتَّقُوا اللَّهَ وَلْتَنْظُرْ نَفْسٌ مَا قَدَّمَتْ لِغَدٍ ۖ ऐ ईमानदारों ख़ुदा से डरो, और हर शख़्श को ग़ौर करना चाहिए कि कल क़यामत के वास्ते उसने पहले से क्या भेजा है وَاتَّقُوا اللَّهَ ۚ और ख़ुदा ही से डरते रहो إِنَّ اللَّهَ خَبِيرٌ بِمَا تَعْمَلُونَ बेशक जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे बाख़बर है |
19 |
وَلَا تَكُونُوا كَالَّذِينَ نَسُوا اللَّهَ فَأَنْسَاهُمْ أَنْفُسَهُمْ ۚ और उन लोगों के जैसे न हो जाओ जो ख़ुदा को भुला बैठे तो ख़ुदा ने उन्हें ऐसा कर दिया कि वह अपने आपको भूल गए أُولَئِكَ هُمُ الْفَاسِقُونَ यही लोग तो बद किरदार हैं |
20 |
لَا يَسْتَوِي أَصْحَابُ النَّارِ وَأَصْحَابُ الْجَنَّةِ ۚ जहन्नुमी और जन्नती किसी तरह बराबर नहीं हो सकते أَصْحَابُ الْجَنَّةِ هُمُ الْفَائِزُونَ जन्नती लोग ही तो कामयाबी हासिल करने वाले हैं |
21 |
لَوْ أَنْزَلْنَا هَذَا الْقُرْآنَ عَلَى جَبَلٍ لَرَأَيْتَهُ خَاشِعًا مُتَصَدِّعًا مِنْ خَشْيَةِ اللَّهِ ۚ अगर हम इस क़ुरान को किसी पहाड़ पर (भी) नाज़िल करते तो तुम उसको देखते कि ख़ुदा के डर से झुका और फटा जाता है وَتِلْكَ الْأَمْثَالُ نَضْرِبُهَا لِلنَّاسِ لَعَلَّهُمْ يَتَفَكَّرُونَ ये मिसालें हम लोगों (के समझाने) के लिए बयान करते हैं ताकि वह ग़ौर करें |
22 |
هُوَ اللَّهُ الَّذِي لَا إِلَهَ إِلَّا هُوَ ۖ वही ख़ुदा है जिसके सिवा कोई माबूद नहीं, عَالِمُ الْغَيْبِ وَالشَّهَادَةِ ۖ पोशीदा और ज़ाहिर का जानने वाला هُوَ الرَّحْمَنُ الرَّحِيمُ वही बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है |
23 |
هُوَ اللَّهُ الَّذِي لَا إِلَهَ إِلَّا هُوَ वही वह ख़ुदा है जिसके सिवा कोई क़ाबिले इबादत नहीं الْمَلِكُ الْقُدُّوسُ السَّلَامُ الْمُؤْمِنُ الْمُهَيْمِنُ الْعَزِيزُ الْجَبَّارُ الْمُتَكَبِّرُ ۚ (हक़ीक़ी) बादशाह, पाक ज़ात (हर ऐब से) बरी अमन देने वाला निगेहबान, ग़ालिब ज़बरदस्त बड़ाई वाला سُبْحَانَ اللَّهِ عَمَّا يُشْرِكُونَ ये लोग जिसको (उसका) शरीक ठहराते हैं उससे पाक है |
24 |
هُوَ اللَّهُ الْخَالِقُ الْبَارِئُ الْمُصَوِّرُ ۖ वही ख़ुदा (तमाम चीज़ों का) ख़ालिक मुजिद सूरतों का बनाने वाला لَهُ الْأَسْمَاءُ الْحُسْنَى ۚ उसी के अच्छे अच्छे नाम हैं يُسَبِّحُ لَهُ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۖ وَهُوَ الْعَزِيزُ الْحَكِيمُ जो चीज़े सारे आसमान व ज़मीन में हैं सब उसी की तसबीह करती हैं, और वही ग़ालिब हिकमत वाला है ********* |
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