Quran Hindi Translation

Surah Qaf

Translation by Mufti Mohammad Mohiuddin Khan



In the name of Allah, Most Gracious,Most Merciful


1

ق ۚ

क़ाफ़

وَالْقُرْآنِ الْمَجِيدِ

क़ुरान मजीद की क़सम (मोहम्मद पैग़म्बर हैं)

2

بَلْ عَجِبُوا أَنْ جَاءَهُمْ مُنْذِرٌ مِنْهُمْ فَقَالَ الْكَافِرُونَ هَذَا شَيْءٌ عَجِيبٌ

लेकिन इन (काफिरों) को ताज्जुब है कि उन ही में एक (अज़ाब से) डराने वाला (पैग़म्बर) उनके पास आ गया

तो कुफ्फ़ार कहने लगे ये तो एक अजीब बात है

3

أَإِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا ۖ ذَلِكَ رَجْعٌ بَعِيدٌ

भला जब हम मर जाएँगे और (सड़ गल कर) मिटटी हो जाएँगे

तो फिर ये दोबार ज़िन्दा होना (अक्ल से) बईद (बात है)

4

قَدْ عَلِمْنَا مَا تَنْقُصُ الْأَرْضُ مِنْهُمْ ۖ وَعِنْدَنَا كِتَابٌ حَفِيظٌ

उनके जिस्मों से ज़मीन जिस चीज़ को (खा खा कर) कम करती है वह हमको मालूम है

और हमारे पास तो तहरीरी याददाश्त किताब लौहे महफूज़ मौजूद है

5

بَلْ كَذَّبُوا بِالْحَقِّ لَمَّا جَاءَهُمْ فَهُمْ فِي أَمْرٍ مَرِيجٍ

मगर जब उनके पास दीन (हक़) आ पहुँचा तो उन्होने उसे झुठलाया तो वह लोग एक ऐसी बात में उलझे हुए हैं जिसे क़रार नहीं

6

أَفَلَمْ يَنْظُرُوا إِلَى السَّمَاءِ فَوْقَهُمْ كَيْفَ بَنَيْنَاهَاوَزَيَّنَّاهَا وَمَا لَهَا مِنْ فُرُوجٍ

तो क्या इन लोगों ने अपने ऊपर आसमान की नज़र नहीं की कि हमने उसको क्यों कर बनाया

और उसको कैसी ज़ीनत दी और उनसे कहीं शिगाफ्त तक नहीं

7

وَالْأَرْضَ مَدَدْنَاهَا وَأَلْقَيْنَا فِيهَا رَوَاسِيَ وَأَنْبَتْنَا فِيهَا مِنْ كُلِّ زَوْجٍ بَهِيجٍ

और ज़मीन को हमने फैलाया और उस पर बोझल पहाड़ रख दिये

और इसमें हर तरह की ख़ुशनुमा चीज़ें उगाई

8

تَبْصِرَةً وَذِكْرَى لِكُلِّ عَبْدٍ مُنِيبٍ

ताकि तमाम रूजू लाने वाले (बन्दे) हिदायत और इबरत हासिल करें

9

وَنَزَّلْنَا مِنَ السَّمَاءِ مَاءً مُبَارَكًا فَأَنْبَتْنَا بِهِ جَنَّاتٍ وَحَبَّ الْحَصِيدِ

और हमने आसमान से बरकत वाला पानी बरसाया

तो उससे बाग़ (के दरख्त) उगाए और खेती का अनाज

10

وَالنَّخْلَ بَاسِقَاتٍ لَهَا طَلْعٌ نَضِيدٌ

और लम्बी लम्बी खजूरें जिसका बौर बाहम गुथा हुआ है

11

رِزْقًا لِلْعِبَادِ ۖ وَأَحْيَيْنَا بِهِ بَلْدَةً مَيْتًا ۚ

(ये सब कुछ) बन्दों की रोज़ी देने के लिए (पैदा किया) और पानी ही से हमने मुर्दा शहर (उफ़तादा ज़मीन) को ज़िन्दा किया

كَذَلِكَ الْخُرُوجُ

इसी तरह (क़यामत में मुर्दों को) निकलना होगा

12

كَذَّبَتْ قَبْلَهُمْ قَوْمُ نُوحٍ وَأَصْحَابُ الرَّسِّ وَثَمُودُ

उनसे पहले नूह की क़ौम और ख़न्दक़ वालों और (क़ौम) समूद ने अपने अपने पैग़म्बरों को झुठलाया

13

وَعَادٌ وَفِرْعَوْنُ وَإِخْوَانُ لُوطٍ

और (क़ौम) आद और फिरऔन और लूत की क़ौम

14

وَأَصْحَابُ الْأَيْكَةِ وَقَوْمُ تُبَّعٍ ۚ

और बन के रहने वालों (क़ौम शुऐब) और तुब्बा की क़ौम

كُلٌّ كَذَّبَ الرُّسُلَ فَحَقَّ وَعِيدِ

और (उन) सबने अपने (अपने) पैग़म्बरों को झुठलाया तो हमारा (अज़ाब का) वायदा पूरा हो कर रहा

15

أَفَعَيِينَا بِالْخَلْقِ الْأَوَّلِ ۚ

तो क्या हम पहली बार पैदा करके थक गये हैं

بَلْ هُمْ فِي لَبْسٍ مِنْ خَلْقٍ جَدِيدٍ

(हरगिज़ नहीं) मगर ये लोग अज़ सरे नौ (दोबारा) पैदा करने की निस्बत शक़ में पड़े हैं

16

وَلَقَدْ خَلَقْنَا الْإِنْسَانَ وَنَعْلَمُ مَا تُوَسْوِسُ بِهِ نَفْسُهُ ۖ

और बेशक हम ही ने इन्सान को पैदा किया और जो ख्यालात उसके दिल में गुज़रते हैं हम उनको जानते हैं

وَنَحْنُ أَقْرَبُ إِلَيْهِ مِنْ حَبْلِ الْوَرِيدِ

और हम तो उसकी शहरग से भी ज्यादा क़रीब हैं

17

إِذْ يَتَلَقَّى الْمُتَلَقِّيَانِ عَنِ الْيَمِينِ وَعَنِ الشِّمَالِ قَعِيدٌ

जब (वह कोई काम करता हैं तो) दो लिखने वाले (केरामन क़ातेबीन) जो उसके दाहिने बाएं बैठे हैं लिख लेते हैं

18

مَا يَلْفِظُ مِنْ قَوْلٍ إِلَّا لَدَيْهِ رَقِيبٌ عَتِيدٌ

कोई बात उसकी ज़बान पर नहीं आती मगर एक निगेहबान उसके पास तैयार रहता है

19

وَجَاءَتْ سَكْرَةُ الْمَوْتِ بِالْحَقِّ ۖ ذَلِكَ مَا كُنْتَ مِنْهُ تَحِيدُ

मौत की बेहोशी यक़ीनन तारी होगी

(जो हम बता देंगे कि) यही तो वह (हालात है) जिससे तू भागा करता था

20

وَنُفِخَ فِي الصُّورِ ۚ

और सूर फूँका जाएगा

ذَلِكَ يَوْمُ الْوَعِيدِ

यही (अज़ाब) के वायदे का दिन है

21

وَجَاءَتْ كُلُّ نَفْسٍ مَعَهَا سَائِقٌ وَشَهِيدٌ

और हर शख़्श (हमारे सामने इस तरह) हाज़िर होगा कि उसके साथ एक (फरिश्ता) हॅका लाने वाला होगा और एक (आमाल का) गवाह

22

لَقَدْ كُنْتَ فِي غَفْلَةٍ مِنْ هَذَا فَكَشَفْنَا عَنْكَ غِطَاءَكَ فَبَصَرُكَ الْيَوْمَ حَدِيدٌ

(उससे कहा जाएगा कि)

उस (दिन) से तू ग़फ़लत में पड़ा था तो अब हमने तेरे सामने से पर्दे को हटा दिया तो आज तेरी निगाह बड़ी तेज़ है

23

وَقَالَ قَرِينُهُ هَذَا مَا لَدَيَّ عَتِيدٌ  

और उसका साथी (फ़रिश्ता) कहेगा ये (उसका अमल) जो मेरे पास है

24

أَلْقِيَا فِي جَهَنَّمَ كُلَّ كَفَّارٍ عَنِيدٍ

(तब हुक्म होगा कि) तुम दोनों हर सरकश नाशुक्रे को दोज़ख़ में डाल दो

25

مَنَّاعٍ لِلْخَيْرِ مُعْتَدٍ مُرِيبٍ

जो (वाजिब हुकूक से) माल में बुख्ल करने वाला हद से बढ़ने वाला (दीन में) शक़ करने वाला था

26

الَّذِي جَعَلَ مَعَ اللَّهِ إِلَهًا آخَرَ فَأَلْقِيَاهُ فِي الْعَذَابِ الشَّدِيدِ

जिसने ख़ुदा के साथ दूसरे माबूद बना रखे थे तो अब तुम दोनों इसको सख्त अज़ाब में डाल ही दो

27

قَالَ قَرِينُهُ رَبَّنَا مَا أَطْغَيْتُهُ وَلَكِنْ كَانَ فِي ضَلَالٍ بَعِيدٍ

(उस वक्त) उसका साथी (शैतान) कहेगा परवरदिगार हमने इसको गुमराह नहीं किया था बल्कि ये तो ख़ुद सख्त गुमराही में मुब्तिला था

28

قَالَ لَا تَخْتَصِمُوا لَدَيَّ وَقَدْ قَدَّمْتُ إِلَيْكُمْ بِالْوَعِيدِ

(इस पर ख़ुदा फ़रमाएगा) हमारे सामने झगड़े न करो मैं तो तुम लोगों को पहले ही (अज़ाब से) डरा चुका था

29

مَا يُبَدَّلُ الْقَوْلُ لَدَيَّ وَمَا أَنَا بِظَلَّامٍ لِلْعَبِيدِ

मेरे यहाँ बात बदला नहीं करती और न मैं बन्दों पर (ज़र्रा बराबर) ज़ुल्म करने वाला हूँ

30

يَوْمَ نَقُولُ لِجَهَنَّمَ هَلِ امْتَلَأْتِ

उस दिन हम दोज़ख़ से पूछेंगे कि तू भर चुकी

وَتَقُولُ هَلْ مِنْ مَزِيدٍ

और वह कहेगी क्या कुछ और भी हैं

31

وَأُزْلِفَتِ الْجَنَّةُ لِلْمُتَّقِينَ غَيْرَ بَعِيدٍ

और बेहिश्त परहेज़गारों के बिलकुल करीब कर दी जाएगी

32

هَذَا مَا تُوعَدُونَ لِكُلِّ أَوَّابٍ حَفِيظٍ  

यही तो वह बेहिश्त है जिसका तुममें से वायदा किया जाता है

हर एक (ख़ुदा की तरफ़) रूजू करने वाले (हुदूद की) हिफाज़त करने वाले से 

33

مَنْ خَشِيَ الرَّحْمَنَ بِالْغَيْبِ وَجَاءَ بِقَلْبٍ مُنِيبٍ

तो जो शख़्श ख़ुदा से बे देखे डरता रहा और ख़ुदा की तरफ़ रूजू करने वाला दिल लेकर आया

34

ادْخُلُوهَا بِسَلَامٍ ۖ ذَلِكَ يَوْمُ الْخُلُودِ

(उसको हुक्म होगा कि)

इसमें सही सलामत दाख़िल हो जाओ यहीं तो हमेशा रहने का दिन है

35

لَهُمْ مَا يَشَاءُونَ فِيهَا وَلَدَيْنَا مَزِيدٌ

इसमें ये लोग जो चाहेंगे उनके लिए हाज़िर है और हमारे यहॉ तो इससे भी ज्यादा है

36

وَكَمْ أَهْلَكْنَا قَبْلَهُمْ مِنْ قَرْنٍ هُمْ أَشَدُّ مِنْهُمْ بَطْشًا

और हमने तो इनसे पहले कितनी उम्मतें हलाक कर डाली जो इनसे क़ूवत में कहीं बढ़ कर थीं

فَنَقَّبُوا فِي الْبِلَادِ هَلْ مِنْ مَحِيصٍ

तो उन लोगों ने (मौत के ख़ौफ से) तमाम शहरों को छान मारा कि भला कहीं भी भागने का ठिकाना है

37

إِنَّ فِي ذَلِكَ لَذِكْرَى لِمَنْ كَانَ لَهُ قَلْبٌ أَوْ أَلْقَى السَّمْعَ وَهُوَ شَهِيدٌ  

इसमें शक़ नहीं कि जो शख़्श (आगाह) दिल रखता है या कान लगाकर हुज़ूरे क़ल्ब से सुनता है उसके लिए इसमें (काफ़ी) नसीहत है

38

وَلَقَدْ خَلَقْنَا السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ وَمَا بَيْنَهُمَا فِي سِتَّةِ أَيَّامٍ وَمَا مَسَّنَا مِنْ لُغُوبٍ  

और हमने ही यक़ीनन सारे आसमान और ज़मीन और जो कुछ उन दोनों के बीच में है छह: दिन में पैदा किए

और थकान तो हमको छुकर भी नहीं गयी

39

فَاصْبِرْ عَلَى مَا يَقُولُونَوَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ قَبْلَ طُلُوعِ الشَّمْسِ وَقَبْلَ الْغُرُوبِ

तो (ऐ रसूल) जो कुछ ये (काफ़िर) लोग किया करते हैं उस पर तुम सब्र करो

और आफ़ताब के निकलने ाोरगरोब होनेसे पहले अपने पर्वरदिगार के हम्द की तसबयह किया करो

40

وَمِنَ اللَّيْلِ فَسَبِّحْهُ وَأَدْبَارَ السُّجُودِ  

और थोड़ी देर रात को भी और नमाज़ के बाद भी उसकी तस्बीह करो

41

وَاسْتَمِعْ يَوْمَ يُنَادِ الْمُنَادِ مِنْ مَكَانٍ قَرِيبٍ

और कान लगा कर सुन रखो कि जिस दिन पुकारने वाला (इसराफ़ील) नज़दीक ही जगह से आवाज़ देगा

42

يَوْمَ يَسْمَعُونَ الصَّيْحَةَ بِالْحَقِّ ۚ ذَلِكَ يَوْمُ الْخُرُوجِ

(कि उठो) जिस दिन लोग एक सख्त चीख़ को बाख़ूबी सुन लेगें

वही दिन (लोगों) के कब्रों से निकलने का होगा

43

إِنَّا نَحْنُ نُحْيِي وَنُمِيتُ وَإِلَيْنَا الْمَصِيرُ  

बेशक हम ही (लोगों को) ज़िन्दा करते हैं और हम ही मारते हैं

और हमारी ही तरफ फिर कर आना है

44

يَوْمَ تَشَقَّقُ الْأَرْضُ عَنْهُمْ سِرَاعًا ۚ

जिस दिन ज़मीन (उनके ऊपर से) फट जाएगी और ये झट पट निकल खड़े होंगे

ذَلِكَ حَشْرٌ عَلَيْنَا يَسِيرٌ

ये उठाना और जमा करना हम पर बहुत आसान है

45

نَحْنُ أَعْلَمُ بِمَا يَقُولُونَ ۖ وَمَا أَنْتَ عَلَيْهِمْ بِجَبَّارٍ ۖ

(ऐ रसूल) ये लोग जो कुछ कहते हैं हम (उसे) ख़ूब जानते हैं और तुम उन पर जब्र तो देते नहीं हो

فَذَكِّرْ بِالْقُرْآنِ مَنْ يَخَافُ وَعِيدِ  

तो जो हमारे (अज़ाब के) वायदे से डरे उसको तुम क़ुरान के ज़रिए नसीहत करते रहो

*********


© Copy Rights:

Zahid Javed Rana, Abid Javed Rana,

Lahore, Pakistan

Email: cmaj37@gmail.com

Visits wef June 2024