Quran Hindi Translation

Surah Al Hujurat

Translation by Mufti Mohammad Mohiuddin Khan



In the name of Allah, Most Gracious,Most Merciful


1

يَـٰٓأَيُّہَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ لَا تُقَدِّمُواْ بَيۡنَ يَدَىِ ٱللَّهِ وَرَسُولِهِۦ وَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ‌ۚ‌ۖ

ऐ ईमानदारों ख़ुदा और उसके रसूल के सामने किसी बात में आगे न बढ़ जाया करो और ख़ुदा से डरते रहो

إِنَّ ٱللَّهَ سَمِيعٌ عَلِيمٌ۬ 

बेशक ख़ुदा बड़ा सुनने वाला वाक़िफ़कार है

2

يَـٰٓأَيُّہَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ لَا تَرۡفَعُوٓاْ أَصۡوَٲتَكُمۡ فَوۡقَ صَوۡتِ ٱلنَّبِىِّ

ऐ ईमानदारों (बोलने में) अपनी आवाज़े पैग़म्बर की आवाज़ से ऊँची न किया करो

وَلَا تَجۡهَرُواْ لَهُ ۥ بِٱلۡقَوۡلِ كَجَهۡرِ بَعۡضِڪُمۡ لِبَعۡضٍ أَن تَحۡبَطَ أَعۡمَـٰلُكُمۡ وَأَنتُمۡ لَا تَشۡعُرُونَ 

और जिस तरह तुम आपस में एक दूसरे से ज़ोर (ज़ोर) से बोला करते हो उनके रूबरू ज़ोर से न बोला करो

(ऐसा न हो कि) तुम्हारा किया कराया सब अकारत हो जाए और तुमको ख़बर भी न हो

3

إِنَّ ٱلَّذِينَ يَغُضُّونَ أَصۡوَٲتَهُمۡ عِندَ رَسُولِ ٱللَّهِ أُوْلَـٰٓٮِٕكَ ٱلَّذِينَ ٱمۡتَحَنَ ٱللَّهُ قُلُوبَہُمۡ لِلتَّقۡوَىٰ‌ۚ

बेशक जो लोग रसूले ख़ुदा के सामने अपनी आवाज़ें धीमी कर लिया करते हैं यही लोग हैं जिनके दिलों को ख़ुदा ने परहेज़गारी के लिए जाँच लिया है

لَهُم مَّغۡفِرَةٌ۬ وَأَجۡرٌ عَظِيمٌ 

उनके लिए (आख़ेरत में) बख़्शिस और बड़ा अज्र है

4

إِنَّ ٱلَّذِينَ يُنَادُونَكَ مِن وَرَآءِ ٱلۡحُجُرَٲتِ أَڪۡثَرُهُمۡ لَا يَعۡقِلُونَ 

(ऐ रसूल) जो लोग तुमको हुजरों के बाहर से आवाज़ देते हैं उनमें के अक्सर बे अक्ल हैं

5

وَلَوۡ أَنَّہُمۡ صَبَرُواْ حَتَّىٰ تَخۡرُجَ إِلَيۡہِمۡ لَكَانَ خَيۡرً۬ا لَّهُمۡ‌ۚ

और अगर ये लोग इतना ताम्मुल करते कि तुम ख़ुद निकल कर उनके पास आ जाते (तब बात करते) तो ये उनके लिए बेहतर था

وَٱللَّهُ غَفُورٌ۬ رَّحِيمٌ۬ 

और ख़ुदा तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है

6

يَـٰٓأَيُّہَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوٓاْ إِن جَآءَكُمۡ فَاسِقُۢ بِنَبَإٍ۬ فَتَبَيَّنُوٓاْ أَن تُصِيبُواْ قَوۡمَۢا بِجَهَـٰلَةٍ۬ فَتُصۡبِحُواْ عَلَىٰ مَا فَعَلۡتُمۡ نَـٰدِمِينَ 

ऐ ईमानदारों अगर कोई बदकिरदार तुम्हारे पास कोई ख़बर लेकर आए तो ख़ूब तहक़ीक़ कर लिया करो

(ऐसा न हो) कि तुम किसी क़ौम को नादानी से नुक़सान पहुँचाओ फिर अपने किए पर नादिम हो

7

وَٱعۡلَمُوٓاْ أَنَّ فِيكُمۡ رَسُولَ ٱللَّهِ‌ۚ

और जान रखो कि तुम में ख़ुदा के पैग़म्बर (मौजूद) हैं

لَوۡ يُطِيعُكُمۡ فِى كَثِيرٍ۬ مِّنَ ٱلۡأَمۡرِ لَعَنِتُّمۡ

बहुत सी बातें ऐसी हैं कि अगर रसूल उनमें तुम्हारा कहा मान लिया करें तो (उलटे) तुम ही मुश्किल में पड़ जाओ

وَلَـٰكِنَّ ٱللَّهَ حَبَّبَ إِلَيۡكُمُ ٱلۡإِيمَـٰنَ وَزَيَّنَهُ ۥ فِى قُلُوبِكُمۡ وَكَرَّهَ إِلَيۡكُمُ ٱلۡكُفۡرَ وَٱلۡفُسُوقَ وَٱلۡعِصۡيَانَ‌ۚ

लेकिन ख़ुदा ने तुम्हें ईमान की मोहब्बत दे दी है और उसको तुम्हारे दिलों में उमदा कर दिखाया है

और कुफ़्र और बदकारी और नाफ़रमानी से तुमको बेज़ार कर दिया है

أُوْلَـٰٓٮِٕكَ هُمُ ٱلرَّٲشِدُونَ 

यही लोग राहे हिदायत पर हैं

8

فَضۡلاً۬ مِّنَ ٱللَّهِ وَنِعۡمَةً۬‌ۚ

ख़ुदा के फ़ज़ल व एहसान से

وَٱللَّهُ عَلِيمٌ حَكِيمٌ۬ 

और ख़ुदा तो बड़ा वाक़िफ़कार और हिकमत वाला है

9

وَإِن طَآٮِٕفَتَانِ مِنَ ٱلۡمُؤۡمِنِينَ ٱقۡتَتَلُواْ فَأَصۡلِحُواْ بَيۡنَہُمَا‌ۖ

और अगर मोमिनीन में से दो फिरक़े आपस में लड़ पड़े तो उन दोनों में सुलह करा दो

فَإِنۢ بَغَتۡ إِحۡدَٮٰهُمَا عَلَى ٱلۡأُخۡرَىٰ فَقَـٰتِلُواْ ٱلَّتِى تَبۡغِى حَتَّىٰ تَفِىٓءَ إِلَىٰٓ أَمۡرِ ٱللَّهِ‌ۚ

फिर अगर उनमें से एक (फ़रीक़) दूसरे पर ज्यादती करे तो जो (फिरक़ा) ज्यादती करे तुम (भी) उससे लड़ो यहाँ तक वह ख़ुदा के हुक्म की तरफ रूझू करे

فَإِن فَآءَتۡ فَأَصۡلِحُواْ بَيۡنَہُمَا بِٱلۡعَدۡلِ وَأَقۡسِطُوٓاْ‌ۖ

फिर जब रूजू करे तो फरीकैन में मसावात के साथ सुलह करा दो और इन्साफ़ से काम लो

إِنَّ ٱللَّهَ يُحِبُّ ٱلۡمُقۡسِطِينَ 

बेशक ख़ुदा इन्साफ़ करने वालों को दोस्त रखता है

10

إِنَّمَا ٱلۡمُؤۡمِنُونَ إِخۡوَةٌ۬ فَأَصۡلِحُواْ بَيۡنَ أَخَوَيۡكُمۡ‌ۚ

मोमिनीन तो आपस में बस भाई भाई हैं तो अपने दो भाईयों में मेल जोल करा दिया करो

وَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ لَعَلَّكُمۡ تُرۡحَمُونَ 

और ख़ुदा से डरते रहो ताकि तुम पर रहम किया जाए

11

يَـٰٓأَيُّہَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ لَا يَسۡخَرۡ قَوۡمٌ۬ مِّن قَوۡمٍ عَسَىٰٓ أَن يَكُونُواْ خَيۡرً۬ا مِّنۡہُمۡ

ऐ ईमानदारों (तुम किसी क़ौम का) कोई मर्द दूसरी क़ौम के मर्दों की हँसी न उड़ाये मुमकिन है कि वह लोग (ख़ुदा के नज़दीक) उनसे अच्छे हों

وَلَا نِسَآءٌ۬ مِّن نِّسَآءٍ عَسَىٰٓ أَن يَكُنَّ خَيۡرً۬ا مِّنۡہُنَّ‌ۖ

और न औरते औरतों से (तमसख़ुर करें) क्या अजब है कि वह उनसे अच्छी हों

وَلَا تَلۡمِزُوٓاْ أَنفُسَكُمۡ وَلَا تَنَابَزُواْ بِٱلۡأَلۡقَـٰبِ‌ۖ

और तुम आपस में एक दूसरे को मिलने न दो न एक दूसरे का बुरा नाम धरो

بِئۡسَ ٱلِٱسۡمُ ٱلۡفُسُوقُ بَعۡدَ ٱلۡإِيمَـٰنِ‌ۚ

ईमान लाने के बाद बदकारी (का) नाम ही बुरा है

وَمَن لَّمۡ يَتُبۡ فَأُوْلَـٰٓٮِٕكَ هُمُ ٱلظَّـٰلِمُونَ 

और जो लोग बाज़ न आएँ तो ऐसे ही लोग ज़ालिम हैं  

12

يَـٰٓأَيُّہَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ ٱجۡتَنِبُواْ كَثِيرً۬ا مِّنَ ٱلظَّنِّ إِنَّ بَعۡضَ ٱلظَّنِّ إِثۡمٌ۬‌ۖ

ऐ ईमानदारों बहुत से गुमान (बद) से बचे रहो क्यों कि बाज़ बदगुमानी गुनाह हैं

وَلَا تَجَسَّسُواْ وَلَا يَغۡتَب بَّعۡضُكُم بَعۡضًا‌ۚ

और आपस में एक दूसरे के हाल की टोह में न रहा करो और न तुममें से एक दूसरे की ग़ीबत करे

أَيُحِبُّ أَحَدُڪُمۡ أَن يَأۡڪُلَ لَحۡمَ أَخِيهِ مَيۡتً۬ا فَكَرِهۡتُمُوهُ‌ۚ

क्या तुममें से कोई इस बात को पसन्द करेगा कि अपने मरे हुए भाई का गोश्त खाए

तो तुम उससे (ज़रूर) नफरत करोगे

وَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ‌ۚ

और ख़ुदा से डरो,

إِنَّ ٱللَّهَ تَوَّابٌ۬ رَّحِيمٌ۬ 

बेशक ख़ुदा बड़ा तौबा क़ुबूल करने वाला मेहरबान है  

13

يَـٰٓأَيُّہَا ٱلنَّاسُ إِنَّا خَلَقۡنَـٰكُم مِّن ذَكَرٍ۬ وَأُنثَىٰ وَجَعَلۡنَـٰكُمۡ شُعُوبً۬ا وَقَبَآٮِٕلَ لِتَعَارَفُوٓاْ‌ۚ

लोगों हमने तो तुम सबको एक मर्द और एक औरत से पैदा किया

और हम ही ने तुम्हारे कबीले और बिरादरियाँ बनायीं ताकि एक दूसरे की शिनाख्त करे

إِنَّ أَڪۡرَمَكُمۡ عِندَ ٱللَّهِ أَتۡقَٮٰكُمۡ‌ۚ

इसमें शक़ नहीं कि ख़ुदा के नज़दीक तुम सबमें बड़ा इज्ज़तदार वही है जो बड़ा परहेज़गार हो

إِنَّ ٱللَّهَ عَلِيمٌ خَبِيرٌ۬  

बेशक ख़ुदा बड़ा वाक़िफ़कार ख़बरदार है

14

قَالَتِ ٱلۡأَعۡرَابُ ءَامَنَّا‌ۖ

अरब के देहाती कहते हैं कि हम ईमान लाए

قُل لَّمۡ تُؤۡمِنُواْوَلَـٰكِن قُولُوٓاْ أَسۡلَمۡنَا وَلَمَّا يَدۡخُلِ ٱلۡإِيمَـٰنُ فِى قُلُوبِكُمۡ‌ۖ

(ऐ रसूल) तुम कह दो कि तुम ईमान नहीं लाए

बल्कि (यूँ) कह दो कि इस्लाम लाए हालॉकि ईमान का अभी तक तुम्हारे दिल में गुज़र हुआ ही नहीं

وَإِن تُطِيعُواْ ٱللَّهَ وَرَسُولَهُ ۥ لَا يَلِتۡكُم مِّنۡ أَعۡمَـٰلِكُمۡ شَيۡـًٔا‌ۚ

और अगर तुम ख़ुदा की और उसके रसूल की फरमाबरदारी करोगे तो ख़ुदा तुम्हारे आमाल में से कुछ कम नहीं करेगा –

إِنَّ ٱللَّهَ غَفُورٌ۬ رَّحِيمٌ 

बेशक ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है  

15

إِنَّمَا ٱلۡمُؤۡمِنُونَ ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ بِٱللَّهِ وَرَسُولِهِۦ

(सच्चे मोमिन) तो बस वही हैं जो ख़ुदा और उसके रसूल पर ईमान लाए

ثُمَّ لَمۡ يَرۡتَابُواْ وَجَـٰهَدُواْ بِأَمۡوَٲلِهِمۡ وَأَنفُسِهِمۡ فِى سَبِيلِ ٱللَّهِ‌ۚ

फिर उन्होंने उसमें किसी तरह का शक़ शुबह न किया और अपने माल से और अपनी जानों से ख़ुदा की राह में जेहाद किया

أُوْلَـٰٓٮِٕكَ هُمُ ٱلصَّـٰدِقُونَ 

यही लोग (दावाए ईमान में) सच्चे हैं

16

قُلۡ أَتُعَلِّمُونَ ٱللَّهَ بِدِينِڪُمۡ

(ऐ रसूल इनसे) पूछो तो कि क्या तुम ख़ुदा को अपनी दीदारी जताते हो

وَٱللَّهُ يَعۡلَمُ مَا فِى ٱلسَّمَـٰوَٲتِ وَمَا فِى ٱلۡأَرۡضِ‌ۚ

और ख़ुदा तो जो कुछ आसमानों मे है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज़ सब कुछ) जानता है

وَٱللَّهُ بِكُلِّ شَىۡءٍ عَلِيمٌ۬ 

और ख़ुदा हर चीज़ से ख़बरदार है

17

يَمُنُّونَ عَلَيۡكَ أَنۡ أَسۡلَمُواْ‌ۖ

(ऐ रसूल) तुम पर ये लोग (इसलाम लाने का) एहसान जताते हैं

قُل لَّا تَمُنُّواْ عَلَىَّ إِسۡلَـٰمَكُم‌ۖ

तुम (साफ़) कह दो कि तुम अपने इसलाम का मुझ पर एहसान न जताओ

بَلِ ٱللَّهُ يَمُنُّ عَلَيۡكُمۡ أَنۡ هَدَٮٰكُمۡ لِلۡإِيمَـٰنِ إِن كُنتُمۡ صَـٰدِقِينَ 

(बल्कि) अगर तुम (दावाए ईमान में) सच्चे हो तो समझो कि, ख़ुदा ने तुम पर एहसान किया कि उसने तुमको ईमान का रास्ता दिखाया

18

إِنَّ ٱللَّهَ يَعۡلَمُ غَيۡبَ ٱلسَّمَـٰوَٲتِ وَٱلۡأَرۡضِ‌ۚ

बेशक ख़ुदा तो सारे आसमानों और ज़मीन की छिपी हुई बातों को जानता है

وَٱللَّهُ بَصِيرُۢ بِمَا تَعۡمَلُونَ 

और जो तुम करते हो ख़ुदा उसे देख रहा है

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Zahid Javed Rana, Abid Javed Rana,

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