Quran Hindi Translation

Surah Al Fath

Translation by Mufti Mohammad Mohiuddin Khan



In the name of Allah, Most Gracious,Most Merciful


1

إِنَّا فَتَحْنَا لَكَ فَتْحًا مُبِينًا

(ऐ रसूल ये हुबैदिया की सुलह नहीं बल्कि)

हमने हक़ीक़तन तुमको खुल्लम खुल्ला फतेह अता की

2

لِيَغْفِرَ لَكَ اللَّهُ مَا تَقَدَّمَ مِنْ ذَنْبِكَ وَمَا تَأَخَّرَ

ताकि ख़ुदा तुम्हारी उम्मत के अगले और पिछले गुनाह माफ़ कर दे

وَيُتِمَّ نِعْمَتَهُ عَلَيْكَ

और तुम पर अपनी नेअमत पूरी करे

وَيَهْدِيَكَ صِرَاطًا مُسْتَقِيمًا

और तुम्हें सीधी राह पर साबित क़दम रखे

3

وَيَنْصُرَكَ اللَّهُ نَصْرًا عَزِيزًا

- And that Allah may help thee with powerful help.

और ख़ुदा तुम्हारी ज़बरदस्त मदद करे

4

هُوَ الَّذِي أَنْزَلَ السَّكِينَةَ فِي قُلُوبِ الْمُؤْمِنِينَ لِيَزْدَادُوا إِيمَانًا مَعَ إِيمَانِهِمْ ۗ

वह (वही) ख़ुदा तो है जिसने मोमिनीन के दिलों में तसल्ली नाज़िल फरमाई ताकि अपने (पहले) ईमान के साथ और ईमान को बढ़ाएँ

وَلِلَّهِ جُنُودُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۚ

और सारे आसमान व ज़मीन के लशकर तो ख़ुदा ही के हैं

وَكَانَ اللَّهُ عَلِيمًا حَكِيمًا

और ख़ुदा बड़ा वाक़िफकार हकीम है

5

لِيُدْخِلَ الْمُؤْمِنِينَ وَالْمُؤْمِنَاتِ جَنَّاتٍ تَجْرِي مِنْ تَحْتِهَا الْأَنْهَارُ خَالِدِينَ فِيهَا

ताकि मोमिन मर्द और मोमिना औरतों को (बेहिश्त) के बाग़ों में जा पहुँचाए जिनके नीचे नहरें जारी हैं और ये वहाँ हमेशा रहेंगे

وَيُكَفِّرَ عَنْهُمْ سَيِّئَاتِهِمْ ۚ

और उनके गुनाहों को उनसे दूर कर दे

وَكَانَ ذَلِكَ عِنْدَ اللَّهِ فَوْزًا عَظِيمًا

और ये ख़ुदा के नज़दीक बड़ी कामयाबी है

6

وَيُعَذِّبَ الْمُنَافِقِينَ وَالْمُنَافِقَاتِ وَالْمُشْرِكِينَ وَالْمُشْرِكَاتِ الظَّانِّينَ بِاللَّهِ ظَنَّ السَّوْءِ ۚ

और मुनाफिक़ मर्द और मुनाफ़िक़ औरतों और मुशरिक मर्द और मुशरिक औरतों पर जो ख़ुदा के हक़ में बुरे बुरे ख्याल रखते हैं अज़ाब नाज़िल करे

عَلَيْهِمْ دَائِرَةُ السَّوْءِ ۖ

उन पर (मुसीबत की) बड़ी गर्दिश है

 وَغَضِبَ اللَّهُ عَلَيْهِمْ وَلَعَنَهُمْ وَأَعَدَّ لَهُمْ جَهَنَّمَ ۖ وَسَاءَتْ مَصِيرًا

On them is a round of Evil: the Wrath of Allah is on them: He has cursed them and got Hell ready for them: and evil is it for a destination.

(और ख़ुदा) उन पर ग़ज़बनाक है और उसने उस पर लानत की है और उनके लिए जहन्नुम को तैयार कर रखा है और वह (क्या) बुरी जगह है

7

وَلِلَّهِ جُنُودُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۚ

और सारे आसमान व ज़मीन के लश्कर ख़ुदा ही के हैं

وَكَانَ اللَّهُ عَزِيزًا حَكِيمًا

और ख़ुदा तो बड़ा वाक़िफ़कार (और) ग़ालिब है

8

إِنَّا أَرْسَلْنَاكَ شَاهِدًا وَمُبَشِّرًا وَنَذِيرًا ‏

(ऐ रसूल) हमने तुमको (तमाम आलम का) गवाह और ख़ुशख़बरी देने वाला और धमकी देने वाला (पैग़म्बर बनाकर) भेजा

9

لِتُؤْمِنُوا بِاللَّهِ وَرَسُولِهِ وَتُعَزِّرُوهُ وَتُوَقِّرُوهُ وَتُسَبِّحُوهُ بُكْرَةً وَأَصِيلًا

ताकि (मुसलमानों) तुम लोग ख़ुदा और उसके रसूल पर ईमान लाओ और उसकी मदद करो और उसको बुज़ुर्ग़ समझो और सुबह और शाम उसी की तस्बीह करो

10

إِنَّ الَّذِينَ يُبَايِعُونَكَ إِنَّمَا يُبَايِعُونَ اللَّهَ يَدُ اللَّهِ فَوْقَ أَيْدِيهِمْ ۚ

बेशक जो लोग तुमसे बैयत करते हैं वह ख़ुदा ही से बैयत करते हैं ख़ुदा की क़ूवत (कुदरत तो बस सबकी कूवत पर) ग़ालिब है

فَمَنْ نَكَثَ فَإِنَّمَا يَنْكُثُ عَلَى نَفْسِهِ ۖ

तो जो अहद को तोड़ेगा तो अपने अपने नुक़सान के लिए अहद तोड़ता है

وَمَنْ أَوْفَى بِمَا عَاهَدَ عَلَيْهُ اللَّهَ فَسَيُؤْتِيهِ أَجْرًا عَظِيمًا

और जिसने उस बात को जिसका उसने ख़ुदा से अहद किया है पूरा किया तो उसको अनक़रीब ही अज्रे अज़ीम अता फ़रमाएगा

11

سَيَقُولُ لَكَ الْمُخَلَّفُونَ مِنَ الْأَعْرَابِ شَغَلَتْنَا أَمْوَالُنَا وَأَهْلُونَا فَاسْتَغْفِرْ لَنَا ۚ

जो गंवार देहाती (हुदैबिया से) पीछे रह गए अब वह तुमसे कहेंगे कि हमको हमारे माल और लड़के वालों ने रोक रखा तो आप हमारे वास्ते (ख़ुदा से) मग़फिरत की दुआ माँगें

يَقُولُونَ بِأَلْسِنَتِهِمْ مَا لَيْسَ فِي قُلُوبِهِمْ ۚ

ये लोग अपनी ज़बान से ऐसी बातें कहते हैं जो उनके दिल में नहीं

قُلْ فَمَنْ يَمْلِكُ لَكُمْ مِنَ اللَّهِ شَيْئًا إِنْ أَرَادَ بِكُمْ ضَرًّا أَوْ أَرَادَ بِكُمْ نَفْعًا ۚ

(ऐ रसूल) तुम कह दो कि अगर ख़ुदा तुम लोगों को नुक़सान पहुँचाना चाहे या तुम्हें फायदा पहुँचाने का इरादा करे तो ख़ुदा के मुक़ाबले में तुम्हारे लिए किसका बस चल सकता है

بَلْ كَانَ اللَّهُ بِمَا تَعْمَلُونَ خَبِيرًا

बल्कि जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे ख़ूब वाक़िफ है

12

بَلْ ظَنَنْتُمْ أَنْ لَنْ يَنْقَلِبَ الرَّسُولُ وَالْمُؤْمِنُونَ إِلَى أَهْلِيهِمْ أَبَدًا

(ये फ़क़त तुम्हारे हीले हैं) बात ये है कि तुम ये समझे बैठे थे कि रसूल और मोमिनीन हरगिज़ कभी अपने लड़के वालों में पलट कर आने ही के नहीं (और सब मार डाले जाएँगे) और यही बात तुम्हारे दिलों में भी खप गयी थी

وَ زُيِّنَ ذَلِكَ فِي قُلُوبِكُمْ وَظَنَنْتُمْ ظَنَّ السَّوْءِ وَكُنْتُمْ قَوْمًا بُورًا

और इसी वजह से, तुम तरह तरह की बदगुमानियाँ करने लगे थे और (आख़िरकार) तुम लोग आप बरबाद हुए

13

وَمَنْ لَمْ يُؤْمِنْ بِاللَّهِ وَرَسُولِهِ فَإِنَّا أَعْتَدْنَا لِلْكَافِرِينَ سَعِيرًا

और जो शख़्श ख़ुदा और उसके रसूल पर ईमान न लाए तो हमने (ऐसे) काफ़िरों के लिए जहन्नुम की आग तैयार कर रखी है

14

وَلِلَّهِ مُلْكُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۚ

और सारे आसमान व ज़मीन की बादशाहत ख़ुदा ही की है

يَغْفِرُ لِمَنْ يَشَاءُ وَيُعَذِّبُ مَنْ يَشَاءُ ۚ

जिसे चाहे बख्श दे और जिसे चाहे सज़ा दे

وَكَانَ اللَّهُ غَفُورًا رَحِيمًا

और ख़ुदा तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान ह

15

سَيَقُولُ الْمُخَلَّفُونَ إِذَا انْطَلَقْتُمْ إِلَى مَغَانِمَ لِتَأْخُذُوهَا ذَرُونَا نَتَّبِعْكُمْ ۖ

(मुसलमानों) अब जो तुम (ख़ैबर की) ग़नीमतों के लेने को जाने लगोगे तो जो लोग (हुदैबिया से) पीछे रह गये थे तुम से कहेंगे कि हमें भी अपने साथ चलने दो

يُرِيدُونَ أَنْ يُبَدِّلُوا كَلَامَ اللَّهِ ۚ

ये चाहते हैं कि ख़ुदा के क़ौल को बदल दें

قُلْ لَنْ تَتَّبِعُونَا كَذَلِكُمْ قَالَ اللَّهُ مِنْ قَبْلُ ۖ

तुम (साफ) कह दो कि तुम हरगिज़ हमारे साथ नहीं चलने पाओगे ख़ुदा ने पहले ही से ऐसा फ़रमा दिया है

فَسَيَقُولُونَ بَلْ تَحْسُدُونَنَا ۚ

तो ये लोग कहेंगे कि तुम लोग तो हमसे हसद रखते हो

(ख़ुदा ऐसा क्या कहेगा)

بَلْ كَانُوا لَا يَفْقَهُونَ إِلَّا قَلِيلًا

बात ये है कि ये लोग बहुत ही कम समझते हैं

16

قُلْ لِلْمُخَلَّفِينَ مِنَ الْأَعْرَابِ سَتُدْعَوْنَ إِلَى  قَوْمٍ أُولِي بَأْسٍ شَدِيدٍ تُقَاتِلُونَهُمْ أَوْ يُسْلِمُونَ ۖ

कि जो गवॉर पीछे रह गए थे उनसे कह दो कि अनक़रीब ही तुम सख्त जंगजू क़ौम के (साथ लड़ने के लिए) बुलाए जाओगे कि तुम (या तो) उनसे लड़ते ही रहोगे या मुसलमान ही हो जाएँगे

فَإِنْ تُطِيعُوا يُؤْتِكُمُ اللَّهُ أَجْرًا حَسَنًا ۖ

पस अगर तुम (ख़ुदा का) हुक्म मानोगे तो ख़ुदा तुमको अच्छा बदला देगा

وَإِنْ تَتَوَلَّوْا كَمَا تَوَلَّيْتُمْ مِنْ قَبْلُ يُعَذِّبْكُمْ عَذَابًا أَلِيمًا

और अगर तुमने जिस तरह पहली दफा सरताबी की थी अब भी सरताबी करोगे तो वह तुमको दर्दनाक अज़ाब की सज़ा देगा

17

لَيْسَ عَلَى الْأَعْمَى حَرَجٌ وَلَا عَلَى الْأَعْرَجِ حَرَجٌ وَلَا عَلَى الْمَرِيضِ حَرَجٌ ۗ

(जेहाद से पीछे रह जाने का)

न तो अन्धे ही पर कुछ गुनाह है और न लँगड़े पर गुनाह है और न बीमार पर गुनाह है

وَمَنْ يُطِعِ اللَّهَ وَرَسُولَهُ يُدْخِلْهُ جَنَّاتٍ تَجْرِي مِنْ تَحْتِهَا الْأَنْهَارُ ۖ

और जो शख़्श ख़ुदा और उसके रसूल का हुक्म मानेगा तो वह उसको (बेहिश्त के) उन सदाबहार बाग़ों में दाख़िल करेगा जिनके नीचे नहरें जारी होंगी

وَمَنْ يَتَوَلَّ يُعَذِّبْهُ عَذَابًا أَلِيمًا

और जो सरताबी करेगा वह उसको दर्दनाक अज़ाब की सज़ा देगा

18

لَقَدْ رَضِيَ اللَّهُ عَنِ الْمُؤْمِنِينَ إِذْ يُبَايِعُونَكَ تَحْتَ الشَّجَرَةِ

जिस वक्त मोमिनीन तुमसे दरख्त के नीचे (लड़ने मरने) की बैयत कर रहे थे तो ख़ुदा उनसे इस (बात पर) ज़रूर ख़ुश हुआ

فَعَلِمَ مَا فِي قُلُوبِهِمْ فَأَنْزَلَ السَّكِينَةَ عَلَيْهِمْ وَأَثَابَهُمْ فَتْحًا قَرِيبًا

ग़रज़ जो कुछ उनके दिलों में था ख़ुदा ने उसे देख लिया फिर उन पर तस्सली नाज़िल फरमाई

और उन्हें उसके एवज़ में बहुत जल्द फ़तेह इनायत की

19

وَمَغَانِمَ كَثِيرَةً يَأْخُذُونَهَا ۗ

और (इसके अलावा) बहुत सी ग़नीमतें (भी) जो उन्होने हासिल की (अता फरमाई)

وَكَانَ اللَّهُ عَزِيزًا حَكِيمًا

और ख़ुदा तो ग़ालिब (और) हिकमत वाला है

20

وَعَدَكُمُ اللَّهُ مَغَانِمَ كَثِيرَةً تَأْخُذُونَهَا فَعَجَّلَ لَكُمْ هَذِهِ وَكَفَّ أَيْدِيَ النَّاسِ عَنْكُمْ

ख़ुदा ने तुमसे बहुत सी ग़नीमतों का वायदा फरमाया था कि तुम उन पर काबिज़ हो गए

तो उसने तुम्हें ये (ख़ैबर की ग़नीमत) जल्दी से दिलवा दीं और (हुबैदिया से) लोगों की दराज़ी को तुमसे रोक दिया

وَلِتَكُونَ آيَةً لِلْمُؤْمِنِينَ وَيَهْدِيَكُمْ صِرَاطًا مُسْتَقِيمًا

और ग़रज़ ये थी कि मोमिनीन के लिए (क़ुदरत) का नमूना हो और ख़ुदा तुमको सीधी राह पर ले चले

21

وَأُخْرَى لَمْ تَقْدِرُوا عَلَيْهَا قَدْ أَحَاطَ اللَّهُ بِهَا ۚ

और दूसरी (ग़नीमतें भी दी) जिन पर तुम क़ुदरत नहीं रखते थे (और) ख़ुदा ही उन पर हावी था

وَكَانَ اللَّهُ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرًا

और ख़ुदा तो हर चीज़ पर क़ादिर ह

22

وَلَوْ قَاتَلَكُمُ الَّذِينَ كَفَرُوا لَوَلَّوُا الْأَدْبَارَ ثُمَّ لَا يَجِدُونَ وَلِيًّا وَلَا نَصِيرًا

(और) अगर कुफ्फ़ार तुमसे लड़ते तो ज़रूर पीठ फेर कर भाग जाते फिर वह न (अपना) किसी को सरपरस्त ही पाते न मददगार

23

سُنَّةَ اللَّهِ الَّتِي قَدْ خَلَتْ مِنْ قَبْلُ ۖ وَلَنْ تَجِدَ لِسُنَّةِ اللَّهِ تَبْدِيلًا  

यही ख़ुदा की आदत है जो पहले ही से चली आती है

और तुम ख़ुदा की आदत को बदलते न देखोगे

24

وَهُوَ الَّذِي كَفَّ أَيْدِيَهُمْ عَنْكُمْ وَأَيْدِيَكُمْ عَنْهُمْ بِبَطْنِ مَكَّةَ مِنْ بَعْدِ أَنْ أَظْفَرَ كُمْ عَلَيْهِمْ ۚ

और वह वही तो है जिसने तुमको उन कुफ्फ़ार पर फ़तेह देने के बाद मक्के की सरहद पर उनके हाथ तुमसे और तुम्हारे हाथ उनसे रोक दिए

وَكَانَ اللَّهُ بِمَا تَعْمَلُونَ بَصِيرًا

और तुम लोग जो कुछ भी करते थे ख़ुदा उसे देख रहा था

25

هُمُ الَّذِينَ كَفَرُوا وَصَدُّوكُمْ عَنِ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ وَالْهَدْيَ مَعْكُوفًا أَنْ يَبْلُغَ مَحِلَّهُ ۚ

ये वही लोग तो हैं जिन्होने कुफ़्र किया और तुमको मस्जिदुल हराम (में जाने) से रोका और क़ुरबानी के जानवरों को भी (न आने दिया) कि वह अपनी (मुक़र्रर) जगह (में) पहुँचने से रूके रहे

وَلَوْلَا رِجَالٌ مُؤْمِنُونَ وَنِسَاءٌ مُؤْمِنَاتٌ لَمْ تَعْلَمُوهُمْ أَنْ تَطَئُوهُمْ فَتُصِيبَكُمْ مِنْهُمْ مَعَرَّةٌ بِغَيْرِعِلْمٍ ۖ

और अगर कुछ ऐसे ईमानदार मर्द और ईमानदार औरतें न होती जिनसे तुम वाक़िफ न थे कि तुम उनको (लड़ाई में कुफ्फ़ार के साथ) पामाल कर डालते पस तुमको उनकी तरफ से बेख़बरी में नुकसान पहँच जाता

لِيُدْخِلَ اللَّهُ فِي رَحْمَتِهِ مَنْ يَشَاءُ ۚ

(तो उसी वक्त तुमको फतेह हुई मगर ताख़ीर) इसलिए (हुई) कि ख़ुदा जिसे चाहे अपनी रहमत में दाख़िल करे

لَوْ تَزَيَّلُوا لَعَذَّبْنَا الَّذِينَ كَفَرُوا مِنْهُمْ عَذَابًا أَلِيمًا

और अगर वह (ईमानदार कुफ्फ़ार से) अलग हो जाते तो उनमें से जो लोग काफ़िर थे हम उन्हें दर्दनाक अज़ाब की ज़रूर सज़ा देते

26

إِذْ جَعَلَ الَّذِينَ كَفَرُوا فِي قُلُوبِهِمُ الْحَمِيَّةَ حَمِيَّةَ الْجَاهِلِيَّةِ  

فَأَنْزَلَ اللَّهُ  سَكِينَتَهُ عَلَى رَسُولِهِ وَعَلَى الْمُؤْمِنِينَ  وَأَلْزَمَهُمْ كَلِمَةَ التَّقْوَى وَكَانُوا أَحَقَّ بِهَا وَأَهْلَهَا ۚ

(ये वह वक्त) था जब काफ़िरों ने अपने दिलों में ज़िद ठान ली थी और ज़िद भी तो जाहिलियत की सी तो ख़ुदा ने अपने रसूल और मोमिनीन (के दिलों) पर अपनी तरफ़ से तसकीन नाज़िल फ़रमाई

और उनको परहेज़गारी की बात पर क़ायम रखा और ये लोग उसी के सज़ावार और अहल भी थे

وَكَانَ اللَّهُ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيمًا

और ख़ुदा तो हर चीज़ से ख़बरदार है

27

لَقَدْ صَدَقَ اللَّهُ رَسُولَهُ الرُّؤْيَا بِالْحَقِّ ۖ

बेशक ख़ुदा ने अपने रसूल को सच्चा मुताबिके वाक़ेया ख्वाब दिखाया था

لَتَدْخُلُنَّ الْمَسْجِدَ الْحَرَامَ إِنْ شَاءَ اللَّهُ آمِنِينَ مُحَلِّقِينَ رُءُوسَكُمْ وَمُقَصِّرِينَ لَا تَخَافُونَ ۖ

कि तुम लोग इन्शाअल्लाह मस्जिदुल हराम में अपने सर मुँडवा कर और अपने थोड़े से बाल कतरवा कर बहुत अमन व इत्मेनान से दाख़िल होंगे (और) किसी तरह का ख़ौफ न करोगे

فَعَلِمَ مَا لَمْ تَعْلَمُوا فَجَعَلَ مِنْ دُونِ ذَلِكَ فَتْحًا قَرِيبًا

तो जो बात तुम नहीं जानते थे उसको मालूम थी तो उसने फ़तेह मक्का से पहले ही बहुत जल्द फतेह अता की

28

هُوَ الَّذِي أَرْسَلَ رَسُولَهُ بِالْهُدَى وَدِينِ الْحَقِّ لِيُظْهِرَهُ عَلَى الدِّينِ كُلِّهِ ۚ

वह वही तो है जिसने अपने रसूल को हिदायत और सच्चा दीन देकर भेजा ताकि उसको तमाम दीनों पर ग़ालिब रखे

وَكَفَى بِاللَّهِ شَهِيدًا

और गवाही के लिए तो बस ख़ुदा ही काफ़ी है

29

مُحَمَّدٌ رَسُولُ اللَّهِ ۚ

मोहम्मद ख़ुदा के रसूल हैं

وَالَّذِينَ مَعَهُ أَشِدَّاءُ عَلَى الْكُفَّارِ رُحَمَاءُ بَيْنَهُمْ ۖ

और जो लोग उनके साथ हैं काफ़िरों पर बड़े सख्त और आपस में बड़े रहम दिल हैं

تَرَاهُمْ رُكَّعًا سُجَّدًا يَبْتَغُونَ فَضْلًا مِنَ اللَّهِ وَرِضْوَانًا ۖ

तू उनको देखेगा (कि ख़ुदा के सामने) झुके सर बसजूद हैं ख़ुदा के फज़ल और उसकी ख़ुशनूदी के ख्वास्तगार हैं

سِيمَاهُمْ فِي وُجُوهِهِمْ مِنْ أَثَرِ السُّجُودِ ۚ

कसरते सुजूद के असर से उनकी पेशानियों में घट्टे पड़े हुए हैं

ذَلِكَ مَثَلُهُمْ فِي التَّوْرَاةِ ۚ

यही औसाफ़ उनके तौरेत में भी हैं

وَمَثَلُهُمْ فِي الْإِنْجِيلِ كَزَرْعٍ أَخْرَجَ شَطْأَهُ فَآزَرَهُ فَاسْتَغْلَظَ فَاسْتَوَى عَلَى سُوقِهِ يُعْجِبُ الزُّرَّاعَ

لِيَغِيظَ بِهِمُ الْكُفَّارَ ۗ

और यही हालात इंजील में (भी मज़कूर) हैं गोया एक खेती है जिसने (पहले ज़मीन से) अपनी सूई निकाली

फिर (अजज़ा ज़मीन को गेज़ा बनाकर) उसी सूई को मज़बूत किया तो वह मोटी हुई फिर अपनी जड़ पर सीधी खड़ी हो गयी और अपनी ताज़गी से किसानों को ख़ुश करने लगी और इतनी जल्दी तरक्क़ी इसलिए दी ताकि उनके ज़रिए काफ़िरों का जी जलाएँ

وَعَدَ اللَّهُ الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ مِنْهُمْ مَغْفِرَةً وَأَجْرًا عَظِيمًا

जो लोग ईमान लाए और अच्छे (अच्छे) काम करते रहे ख़ुदा ने उनसे बख़्शिस और अज्रे अज़ीम का वायदा किया है

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Zahid Javed Rana, Abid Javed Rana,

Lahore, Pakistan

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