Quran Hindi Translation

Surah Al Saffat

Translation by Mufti Mohammad Mohiuddin Khan



In the name of Allah, Most Gracious,Most Merciful


1

وَالصَّافَّاتِ صَفًّا

(इबादत या जिहाद में) पर बाँधने वालों की (क़सम)

2

فَالزَّاجِرَاتِ زَجْرًا

फिर (बदों को बुराई से) झिड़क कर डाँटने वाले की (क़सम)

3

فَالتَّالِيَاتِ ذِكْرًا

फिर कुरान पढ़ने वालों की क़सम है

4

إِنَّ إِلَهَكُمْ لَوَاحِدٌ  

तुम्हारा माबूद (यक़ीनी) एक ही है

5

رَبُّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا وَرَبُّ الْمَشَارِقِ

जो सारे आसमान ज़मीन का और जो कुछ इन दोनों के दरमियान है (सबका) परवरदिगार है और (चाँद सूरज तारे के) तुलूउ व (गुरूब) के मक़ामात का भी मालिक है

6

إِنَّا زَيَّنَّا السَّمَاءَ الدُّنْيَا بِزِينَةٍ الْكَوَاكِبِ  

हम ही ने नीचे वाले आसमान को तारों की आरइश (जगमगाहट) से आरास्ता किया  

7

وَحِفْظًا مِنْ كُلِّ شَيْطَانٍ مَارِدٍ  

और (तारों को) हर सरकश शैतान से हिफ़ाज़त के वास्ते (भी पैदा किया)

8

لَا يَسَّمَّعُونَ إِلَى الْمَلَإِ الْأَعْلَى وَيُقْذَفُونَ مِنْ كُلِّ جَانِبٍ 

कि अब शैतान आलमे बाला की तरफ़ कान भी नहीं लगा सकते और (जहाँ सुन गुन लेना चाहा तो) शहाब फेके जाते हैं

9

دُحُورًا ۖ وَلَهُمْ عَذَابٌ وَاصِبٌ 

हर तरफ़ से खदेड़ने के लिए

और उनके लिए पाएदार अज़ाब है

10

إِلَّا مَنْ خَطِفَ الْخَطْفَةَ فَأَتْبَعَهُ شِهَابٌ ثَاقِبٌ

मगर जो (शैतान शाज़ व नादिर फरिश्तों की) कोई बात उचक ले भागता है तो आग का दहकता हुआ तीर उसका पीछा करता है

11

فَاسْتَفْتِهِمْ أَهُمْ أَشَدُّ خَلْقًا أَمْ مَنْ خَلَقْنَا ۚ

तो (ऐ रसूल) तुम उनसे पूछो तो कि उनका पैदा करना ज्यादा दुश्वार है या उन (मज़कूरा) चीज़ों का जिनको हमने पैदा किया

إِنَّا خَلَقْنَاهُمْ مِنْ طِينٍ لَازِبٍ

हमने तो उन लोगों को लसदार मिट्टी से पैदा किया

12

بَلْ عَجِبْتَ وَيَسْخَرُونَ

बल्कि तुम (उन कुफ्फ़ार के इन्कार पर) ताज्जुब करते हो और वह लोग (तुमसे) मसख़रापन करते हैं

13

وَإِذَا ذُكِّرُوا لَا يَذْكُرُونَ

और जब उन्हें समझाया जाता है तो समझते नहीं हैं

14

وَإِذَا رَأَوْا آيَةً يَسْتَسْخِرُونَ

और जब किसी मौजिजे क़ो देखते हैं तो (उससे) मसख़रापन करते हैं

15

وَقَالُوا إِنْ هَذَا إِلَّا سِحْرٌ مُبِينٌ

और कहते हैं कि ये तो बस खुला हुआ जादू है

16

أَإِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَعِظَامًا أَإِنَّا لَمَبْعُوثُونَ

भला जब हम मर जाएँगे और ख़ाक और हड्डियाँ रह जाएँगे तो क्या हम फिर दोबारा क़ब्रों से उठा खड़े किए जाँएगे

17

أَوَآبَاؤُنَا الْأَوَّلُونَ

और क्या हमारे अगले बाप दादा भी

18

قُلْ نَعَمْ وَأَنْتُمْ دَاخِرُونَ

(ऐ रसूल) तुम कह दो कि हाँ (ज़रूर उठाए जाओगे) और तुम ज़लील होगे

19

فَإِنَّمَا هِيَ زَجْرَةٌ وَاحِدَةٌ فَإِذَا هُمْ يَنْظُرُونَ

और वह (क़यामत) तो एक ललकार होगी फिर

तो वह लोग फ़ौरन ही (ऑंखे फाड़-फाड़ के) देखने लगेंगे

20

وَقَالُوا يَا وَيْلَنَا هَذَا يَوْمُ الدِّينِ

और कहेंगे हाए अफसोस ये तो क़यामत का दिन है

21

هَذَا يَوْمُ الْفَصْلِ الَّذِي كُنْتُمْ بِهِ تُكَذِّبُونَ

(जवाब आएगा) ये वही फैसले का दिन है जिसको तुम लोग (दुनिया में) झूठ समझते थे

22

احْشُرُوا الَّذِينَ ظَلَمُوا وَأَزْوَاجَهُمْ وَمَا كَانُوا يَعْبُدُونَ

(और फ़रिश्तों को हुक्म होगा कि)

जो लोग (दुनिया में) सरकशी करते थे उनको और उनके साथियों को उनको (सबको) इकट्ठा करो

23

مِنْ دُونِ اللَّهِ فَاهْدُوهُمْ إِلَى صِرَاطِ الْجَحِيمِ

और खुदा को छोड़कर जिनकी परसतिश करते हैं फिर उन्हें जहन्नुम की राह दिखाओ

24

وَقِفُوهُمْ ۖ إِنَّهُمْ مَسْئُولُونَ

और (हाँ ज़रा) उन्हें ठहराओ तो उनसे कुछ पूछना है

25

مَا لَكُمْ لَا تَنَاصَرُونَ

(अरे कमबख्तों) अब तुम्हें क्या होगा कि एक दूसरे की मदद नहीं करते

26

بَلْ هُمُ الْيَوْمَ مُسْتَسْلِمُونَ

(जवाब क्या देंगे) बल्कि वह तो आज गर्दन झुकाए हुए हैं

27

وَأَقْبَلَ بَعْضُهُمْ عَلَى بَعْضٍ يَتَسَاءَلُونَ

और एक दूसरे की तरफ मुतावज्जे होकर बाहम पूछताछ करेंगे

28

قَالُوا إِنَّكُمْ كُنْتُمْ تَأْتُونَنَا عَنِ الْيَمِينِ

(और इन्सान शयातीन से) कहेंगे कि तुम ही तो हमारी दाहिनी तरफ से (हमें बहकाने को) चढ़ आते थे

29

قَالُوا بَلْ لَمْ تَكُونُوا مُؤْمِنِينَ

वह जवाब देगें (हम क्या जानें) तुम तो खुद ईमान लाने वाले न थे

30

وَمَا كَانَ لَنَا عَلَيْكُمْ مِنْ سُلْطَانٍ ۖ

और (साफ़ तो ये है कि) हमारी तुम पर कुछ हुकूमत तो थी नहीं

بَلْ كُنْتُمْ قَوْمًا طَاغِينَ

बल्कि तुम खुद सरकश लोग थे

31

فَحَقَّ عَلَيْنَا قَوْلُ رَبِّنَا ۖ إِنَّا لَذَائِقُونَ

फिर अब तो लोगों पर हमारे परवरदिगार का (अज़ाब का) क़ौल पूरा हो गया कि अब हम सब यक़ीनन अज़ाब का मज़ा चखेंगे

32

فَأَغْوَيْنَاكُمْ إِنَّا كُنَّا غَاوِينَ

हम खुद गुमराह थे तो तुम को भी गुमराह किया

33

فَإِنَّهُمْ يَوْمَئِذٍ فِي الْعَذَابِ مُشْتَرِكُونَ

ग़रज़ ये लोग सब के सब उस दिन अज़ाब में शरीक होगें

34

إِنَّا كَذَلِكَ نَفْعَلُ بِالْمُجْرِمِينَ

और हम तो गुनाहगारों के साथ यूँ ही किया करते हैं

35

إِنَّهُمْ كَانُوا إِذَا قِيلَ لَهُمْ لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ يَسْتَكْبِرُونَ  

ये लोग ऐसे (शरीर) थे कि जब उनसे कहा जाता था कि खुदा के सिवा कोई माबूद नहीं तो अकड़ा करते थे

36

وَيَقُولُونَ أَئِنَّا لَتَارِكُو آلِهَتِنَا لِشَاعِرٍ مَجْنُونٍ  

और ये लोग कहते थे कि क्या एक पागल शायर के लिए हम अपने माबूदों को छोड़ बैठें

(अरे कम्बख्तों ये शायर या पागल नहीं)

37

بَلْ جَاءَ بِالْحَقِّ وَصَدَّقَ الْمُرْسَلِينَ  

बल्कि ये तो हक़ बात लेकर आया है और (अगले) पैग़म्बरों की तसदीक़ करता है

38

إِنَّكُمْ لَذَائِقُو الْعَذَابِ الْأَلِيمِ

तुम लोग (अगर न मानोगे) तो ज़रूर दर्दनाक अज़ाब का मज़ा चखोगे

39

وَمَا تُجْزَوْنَ إِلَّا مَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ 

और तुम्हें तो उसके किये का बदला दिया जाएगा जो (जो दुनिया में) करते रहे

40

إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ  

मगर खुदा के बरगुजीदा बन्दे

41

أُولَئِكَ لَهُمْ رِزْقٌ مَعْلُومٌ

उनके वास्ते (बेहिश्त में) एक मुक़र्रर रोज़ी होगी

42

فَوَاكِهُ وَهُمْ مُكْرَمُونَ 

(और वह भी ऐसी वैसी नहीं)

हर क़िस्म के मेवे और वह लोग बड़ी इज्ज़त से

43

فِي جَنَّاتِ النَّعِيمِ

नेअमत के (लदे हुए) बाग़ों में

44

عَلَى سُرُرٍ مُتَقَابِلِينَ

तख्तों पर (चैन से) आमने सामने बैठे होगे

45

يُطَافُ عَلَيْهِمْ بِكَأْسٍ مِنْ مَعِينٍ

उनमें साफ बुर्राक़ शराब के जाम का दौर चल रहा होगा

46

بَيْضَاءَ لَذَّةٍ لِلشَّارِبِينَ

सफेद जो पीने वालों को बड़ा मज़ा देगी

47

لَا فِيهَا غَوْلٌ وَلَا هُمْ عَنْهَا يُنْزَفُونَ

(और फिर) न उस शराब में ख़ुमार की वजह से दर्द सर होगा और न वह उस (के पीने) से मतवाले होंगे

48

وَعِنْدَهُمْ قَاصِرَاتُ الطَّرْفِ عِينٌ

और उनके पहलू में (शर्म से) नीची निगाहें करने वाली बड़ी बड़ी ऑंखों वाली परियाँ होगी  

49

كَأَنَّهُنَّ بَيْضٌ مَكْنُونٌ

(उनकी गोरी-गोरी रंगतों में हल्की सी सुर्ख़ी ऐसी झलकती होगी)

गोया वह अन्डे हैं जो छिपाए हुए रखे हो

50

فَأَقْبَلَ بَعْضُهُمْ عَلَى بَعْضٍ يَتَسَاءَلُونَ

फिर एक दूसरे की तरफ मुतावज्जे पाकर बाहम बातचीत करते करते

51

قَالَ قَائِلٌ مِنْهُمْ إِنِّي كَانَ لِي قَرِينٌ

उनमें से एक कहने वाला बोल उठेगा कि (दुनिया में) मेरा एक दोस्त था

52

يَقُولُ أَإِنَّكَ لَمِنَ الْمُصَدِّقِينَ

और (मुझसे) कहा करता था कि क्या तुम भी क़यामत की तसदीक़ करने वालों में हो

53

أَإِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَعِظَامًا أَإِنَّا لَمَدِينُونَ

(भला जब हम मर जाएँगे) और (सड़ गल कर) मिट्टी और हव्ी (होकर) रह जाएँगे तो क्या हमको दोबारा ज़िन्दा करके हमारे (आमाल का) बदला दिया जाएगा

54

قَالَ هَلْ أَنْتُمْ مُطَّلِعُونَ

(फिर अपने बेहश्त के साथियों से कहेगा)

तो क्या तुम लोग भी (मेरे साथ) उसे झांक कर देखोगे

55

فَاطَّلَعَ فَرَآهُ فِي سَوَاءِ الْجَحِيمِ

ग़रज़ झाँका तो उसे बीच जहन्नुम में (पड़ा हुआ) देखा

56

قَالَ تَاللَّهِ إِنْ كِدْتَ لَتُرْدِينِ

(ये देख कर बेसाख्ता) बोल उठेगा कि खुदा की क़सम तुम तो मुझे भी तबाह करने ही को थे

57

وَلَوْلَا نِعْمَةُ رَبِّي لَكُنْتُ مِنَ الْمُحْضَرِينَ

और अगर मेरे परवरदिगार का एहसान न होता तो मैं भी (इस वक्त) तेरी तरह जहन्नुम में गिरफ्तार किया गया होता

58

أَفَمَا نَحْنُ بِمَيِّتِينَ

(अब बताओ) क्या (मैं तुम से न कहता था) कि हम को मरना नहीं है

59

إِلَّا مَوْتَتَنَا الْأُولَى وَمَا نَحْنُ بِمُعَذَّبِينَ

इस पहली मौत के सिवा फिर न हम पर (आख़ेरत) में अज़ाब होगा

(तो तुम्हें यक़ीन न होता था)

60

إِنَّ هَذَا لَهُوَ الْفَوْزُ الْعَظِيمُ

ये यक़ीनी बहुत बड़ी कामयाबी है

61

لِمِثْلِ هَذَا فَلْيَعْمَلِ الْعَامِلُونَ

ऐसी (ही कामयाबी) के वास्ते काम करने वालों को कारगुज़ारी करनी चाहिए

62

أَذَلِكَ خَيْرٌ نُزُلًا أَمْ شَجَرَةُ الزَّقُّومِ

भला मेहमानी के वास्ते ये (सामान) बेहतर है या थोहड़ का दरख्त (जो जहन्नुमियों के वास्ते होगा)

63

إِنَّا جَعَلْنَاهَا فِتْنَةً لِلظَّالِمِينَ

जिसे हमने यक़ीनन ज़ालिमों की आज़माइश के लिए बनाया है

64

إِنَّهَا شَجَرَةٌ تَخْرُجُ فِي أَصْلِ الْجَحِيمِ

ये वह दरख्त हैं जो जहन्नुम की तह में उगता है

65

طَلْعُهَا كَأَنَّهُ رُءُوسُ الشَّيَاطِينِ

उसके फल ऐसे (बदनुमा) हैं गोया (हू बहू) साँप के फन जिसे छूते दिल डरे

66

فَإِنَّهُمْ لَآكِلُونَ مِنْهَا فَمَالِئُونَ مِنْهَا الْبُطُونَ

फिर ये (जहन्नुमी लोग) यक़ीनन उसमें से खाएँगे फिर उसी से अपने पेट भरेंगे

67

ثُمَّ إِنَّ لَهُمْ عَلَيْهَا لَشَوْبًا مِنْ حَمِيمٍ

फिर उसके ऊपर से उन को खूब खौलता हुआ पानी (पीप वग़ैरह में) मिला मिलाकर पीने को दिया जाएगा

68

ثُمَّ إِنَّ مَرْجِعَهُمْ لَإِلَى الْجَحِيمِ

फिर (खा पीकर) उनको जहन्नुम की तरफ यक़ीनन लौट जाना होगा

69

إِنَّهُمْ أَلْفَوْا آبَاءَهُمْ ضَالِّينَ

उन लोगों ने अपन बाप दादा को गुमराह पाया था

70

فَهُمْ عَلَى آثَارِهِمْ يُهْرَعُونَ

ये लोग भी उनके पीछे दौड़े चले जा रहे हैं

71

وَلَقَدْ ضَلَّ قَبْلَهُمْ أَكْثَرُ الْأَوَّلِينَ

और उनके क़ब्ल अगलों में से बहुतेरे गुमराह हो चुके

72

وَلَقَدْ أَرْسَلْنَا فِيهِمْ مُنْذِرِينَ

उन लोगों के डराने वाले (पैग़म्बरों) को भेजा था

73

فَانْظُرْ كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُنْذَرِينَ

ज़रा देखो तो कि जो लोग डराए जा चुके थे उनका क्या बुरा अन्जाम हुआ

74

إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ

मगर (हाँ) खुदा के निरे खरे बन्दे (महफूज़ रहे)

75

وَلَقَدْ نَادَانَا نُوحٌ فَلَنِعْمَ الْمُجِيبُونَ

और नूह ने (अपनी कौम से मायूस होकर) हमें ज़रूर पुकारा था (देखो हम) क्या खूब जवाब देने वाले थे

76

وَنَجَّيْنَاهُ وَأَهْلَهُ مِنَ الْكَرْبِ الْعَظِيمِ

और हमने उनको और उनके लड़के वालों को बड़ी (सख्त) मुसीबत से नजात दी

77

وَجَعَلْنَا ذُرِّيَّتَهُ هُمُ الْبَاقِينَ

और हमने (उनमें वह बरकत दी कि) उनकी औलाद को (दुनिया में) बरक़रार रखा

78

وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِي الْآخِرِينَ

और बाद को आने वाले लोगों में उनका अच्छा चर्चा बाक़ी रखा

79

سَلَامٌ عَلَى نُوحٍ فِي الْعَالَمِينَ

कि सारी खुदायी में (हर तरफ से) नूह पर सलाम है

80

إِنَّا كَذَلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ

हम नेकी करने वालों को यूँ जज़ाए ख़ैर अता फरमाते हैं

81

إِنَّهُ مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ

इसमें शक नहीं कि नूह हमारे (ख़ास) ईमानदार बन्दों से थे

82

ثُمَّ أَغْرَقْنَا الْآخَرِينَ

फिर हमने बाक़ी लोगों को डुबो दिया

83

وَإِنَّ مِنْ شِيعَتِهِ لَإِبْرَاهِيمَ

और यक़ीनन उन्हीं के तरीक़ो पर चलने वालों में इबराहीम (भी) ज़रूर थे

84

إِذْ جَاءَ رَبَّهُ بِقَلْبٍ سَلِيمٍ

जब वह अपने परवरदिगार (कि इबादत) की तरफ (पहलू में) ऐसा दिल लिए हुए बढ़े जो हर ऐब से पाक था

85

إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِ مَاذَا تَعْبُدُونَ

जब उन्होंने अपने (मुँह बोले) बाप और अपनी क़ौम से कहा कि तुम लोग किस चीज़ की परसतिश करते हो

86

أَئِفْكًا آلِهَةً دُونَ اللَّهِ تُرِيدُونَ

क्या खुदा को छोड़कर दिल से गढ़े हुए माबूदों की तमन्ना रखते हो

87

فَمَا ظَنُّكُمْ بِرَبِّ الْعَالَمِينَ

फिर सारी खुदाई के पालने वाले के साथ तुम्हारा क्या ख्याल है

88

فَنَظَرَ نَظْرَةً فِي النُّجُومِ

फिर (एक ईद में उन लोगों ने चलने को कहा) तो इबराहीम ने सितारों की तरफ़ एक नज़र देखा

89

فَقَالَ إِنِّي سَقِيمٌ

और कहा कि मैं (अनक़रीब) बीमार पड़ने वाला हूँ  

90

فَتَوَلَّوْا عَنْهُ مُدْبِرِينَ

तो वह लोग इबराहीम के पास से पीठ फेर फेर कर हट गए  

91

فَرَاغَ إِلَى آلِهَتِهِمْ فَقَالَ أَلَا تَأْكُلُونَ

(बस) फिर तो इबराहीम चुपके से उनके बुतों की तरफ मुतावज्जे हुए और (तान से) कहा तुम्हारे सामने इतने चढ़ाव रखते हैं आख़िर तुम खाते क्यों नहीं  

92

مَا لَكُمْ لَا تَنْطِقُونَ

(अरे तुम्हें क्या हो गया है)

कि तुम बोलते तक नहीं

93

فَرَاغَ عَلَيْهِمْ ضَرْبًا بِالْيَمِينِ

फिर तो इबराहीम दाहिने हाथ से मारते हुए उन पर पिल पड़े

(और तोड़-फोड़ कर एक बड़े बुत के गले में कुल्हाड़ी डाल दी)

94

فَأَقْبَلُوا إِلَيْهِ يَزِفُّونَ

जब उन लोगों को ख़बर हुई तो इबराहीम के पास दौड़ते हुए पहुँचे

95

قَالَ أَتَعْبُدُونَ مَا تَنْحِتُونَ

इबराहीम ने कहा (अफ़सोस) तुम लोग उसकी परसतिश करते हो जिसे तुम लोग खुद तराश कर बनाते हो  

96

وَاللَّهُ خَلَقَكُمْ وَمَا تَعْمَلُونَ

हालाँकि तुमको और जिसको तुम लोग बनाते हो (सबको) खुदा ही ने पैदा किया है

97

قَالُوا ابْنُوا لَهُ بُنْيَانًا فَأَلْقُوهُ فِي الْجَحِيمِ 

(ये सुनकर) वह लोग (आपस में) कहने लगे इसके लिए (भट्टी की सी) एक इमारत बनाओ और (उसमें आग सुलगा कर उसी दहकती हुई) आग में इसको डाल दो

98

فَأَرَادُوا بِهِ كَيْدًا فَجَعَلْنَاهُمُ الْأَسْفَلِينَ 

फिर उन लोगों ने इबराहीम के साथ मक्कारी करनी चाही तो हमने (आग सर्द गुलज़ार करके) उन्हें नीचा दिखाया

99

وَقَالَ إِنِّي ذَاهِبٌ إِلَى رَبِّي سَيَهْدِينِ 

और जब (आज़र ने) इबराहीम को निकाल दिया तो बोले मैं अपने परवरदिगार की तरफ जाता हूँ वह अनक़रीब ही मुझे रूबरा कर देगा

100

رَبِّ هَبْ لِي مِنَ الصَّالِحِينَ 

(फिर ग़रज की) परवरदिगार मुझे एक नेको कार (फरज़न्द) इनायत फरमा

101

فَبَشَّرْنَاهُ بِغُلَامٍ حَلِيمٍ

तो हमने उनको एक बड़े नरम दिले लड़के (के पैदा होने की) खुशख़बरी दी

102

فَلَمَّا بَلَغَ مَعَهُ السَّعْيَ قَالَ يَا بُنَيَّ إِنِّي أَرَى فِي الْمَنَامِ أَنِّي أَذْبَحُكَ فَانْظُرْ مَاذَا تَرَى ۚ

फिर जब इस्माईल अपने बाप के साथ दौड़ धूप करने लगा तो (एक दफा) इबराहीम ने कहा बेटा खूब मैं (वही के ज़रिये क्या) देखता हूँ कि मैं तो खुद तुम्हें ज़िबाह कर रहा हूँ तो तुम भी ग़ौर करो तुम्हारी इसमें क्या राय है

قَالَ يَا أَبَتِ افْعَلْ مَا تُؤْمَرُ ۖ

इसमाईल ने कहा अब्बा जान जो आपको हुक्म हुआ है उसको (बे तअम्मुल) कीजिए

سَتَجِدُنِي إِنْ شَاءَ اللَّهُ مِنَ الصَّابِرِينَ

अगर खुदा ने चाहा तो मुझे आप सब्र करने वालों में से पाएगे

103

فَلَمَّا أَسْلَمَا وَتَلَّهُ لِلْجَبِينِ

फिर जब दोनों ने ये ठान ली और बाप ने बेटे को (ज़िबाह करने के लिए) माथे के बल लिटाया

104

وَنَادَيْنَاهُ أَنْ يَا إِبْرَاهِيمُ

और हमने (आमादा देखकर) आवाज़ दी ऐ इबराहीम

105

قَدْ صَدَّقْتَ الرُّؤْيَا ۚ

तुमने अपने ख्वाब को सच कर दिखाया

(अब तुम दोनों को बड़े मरतबे मिलेगें)

إِنَّا كَذَلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ

हम नेकी करने वालों को यूँ जज़ाए ख़ैर देते हैं  

106

إِنَّ هَذَا لَهُوَ الْبَلَاءُ الْمُبِينُ

इसमें शक नहीं कि ये यक़ीनी बड़ा सख्त और सरीही इम्तिहान था

107

وَفَدَيْنَاهُ بِذِبْحٍ عَظِيمٍ

और हमने इस्माईल का फ़िदया एक ज़िबाहे अज़ीम (बड़ी कुर्बानी) क़रार दिया

108

وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِي الْآخِرِينَ

और हमने उनका अच्छा चर्चा बाद को आने वालों में बाक़ी रखा है

109

سَلَامٌ عَلَى إِبْرَاهِيمَ

कि (सारी खुदायी में) इबराहीम पर सलाम (ही सलाम) हैं  

110

كَذَلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ

हम यूँ नेकी करने वालों को जज़ाए ख़ैर देते हैं

111

إِنَّهُ مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ

बेशक इबराहीम हमारे (ख़ास) ईमानदार बन्दों में थे

112

وَبَشَّرْنَاهُ بِإِسْحَاقَ نَبِيًّا مِنَ الصَّالِحِينَ

और हमने इबराहीम को इसहाक़ (के पैदा होने की) खुशख़बरी दी थी जो एक नेकोसार नबी थे

113

وَبَارَكْنَا عَلَيْهِ وَعَلَى إِسْحَاقَ ۚ

और हमने खुद इबराहीम पर और इसहाक़ पर अपनी बरकत नाज़िल की

وَمِنْ ذُرِّيَّتِهِمَا مُحْسِنٌ وَظَالِمٌ لِنَفْسِهِ مُبِينٌ

और इन दोनों की नस्ल में बाज़ तो नेकोकार और बाज़ (नाफरमानी करके) अपनी जान पर सरीही सितम ढ़ाने वाला

114

وَلَقَدْ مَنَنَّا عَلَى مُوسَى وَهَارُونَ

और हमने मूसा और हारून पर बहुत से एहसानात किए हैं

115

وَنَجَّيْنَاهُمَا وَقَوْمَهُمَا مِنَ الْكَرْبِ الْعَظِيمِ

और खुद दोनों को और इनकी क़ौम को बड़ी (सख्त) मुसीबत से नजात दी

116

وَنَصَرْنَاهُمْ فَكَانُوا هُمُ الْغَالِبِينَ

और (फिरऔन के मुक़ाबले में) हमने उनकी मदद की तो (आख़िर) यही लोग ग़ालिब रहे

117

وَآتَيْنَاهُمَا الْكِتَابَ الْمُسْتَبِينَ

और हमने उन दोनों को एक वाज़ेए उलम तालिब किताब (तौरेत) अता की

118

وَهَدَيْنَاهُمَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيمَ

और दोनों को सीधी राह की हिदायत फ़रमाई

119

وَتَرَكْنَا عَلَيْهِمَا فِي الْآخِرِينَ

और बाद को आने वालों में उनका ज़िक्रे ख़ैर बाक़ी रखा

120

سَلَامٌ عَلَى مُوسَى وَهَارُونَ

कि (हर जगह) मूसा और हारून पर सलाम (ही सलाम) है

121

إِنَّا كَذَلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ

हम नेकी करने वालों को यूँ जज़ाए ख़ैर अता फरमाते हैं

122

إِنَّهُمَا مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ

बेशक ये दोनों हमारे ख़ालिस ईमानदार बन्दों में से थे

123

وَإِنَّ إِلْيَاسَ لَمِنَ الْمُرْسَلِينَ

और इसमें शक नहीं कि इलियास यक़ीनन पैग़म्बरों में से थे

124

إِذْ قَالَ لِقَوْمِهِ أَلَا تَتَّقُونَ

जब उन्होंने अपनी क़ौम से कहा कि तुम लोग (ख़ुदा से) क्यों नहीं डरते

125

أَتَدْعُونَ بَعْلًا وَتَذَرُونَ أَحْسَنَ الْخَالِقِينَ

क्या तुम लोग बाल (बुत) की परसतिश करते हो

और खुदा को छोड़े बैठे हो जो सबसे बेहतर पैदा करने वाला है

126

اللَّهَ رَبَّكُمْ وَرَبَّ آبَائِكُمُ الْأَوَّلِينَ

और (जो) तुम्हारा परवरदिगार और तुम्हारे अगले बाप दादाओं का (भी) परवरदिगार है

127

فَكَذَّبُوهُ فَإِنَّهُمْ لَمُحْضَرُونَ

तो उसे लोगों ने झुठला दिया तो ये लोग यक़ीनन (जहन्नुम) में गिरफ्तार किए जाएँगे

128

إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ

मगर खुदा के निरे खरे बन्दे महफूज़ रहेंगे

129

وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِي الْآخِرِينَ

और हमने उनका ज़िक्र ख़ैर बाद को आने वालों में बाक़ी रखा

130

سَلَامٌ عَلَى إِلْ يَاسِينَ

कि (हर तरफ से) आले यासीन पर सलाम (ही सलाम) है

131

إِنَّا كَذَلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ

हम यक़ीनन नेकी करने वालों को ऐसा ही बदला दिया करते हैं

132

إِنَّهُ مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ

बेशक वह हमारे (ख़ालिस) ईमानदार बन्दों में थे

133

وَإِنَّ لُوطًا لَمِنَ الْمُرْسَلِينَ

और इसमें भी शक नहीं कि लूत यक़ीनी पैग़म्बरों में से थे

134

إِذْ نَجَّيْنَاهُ وَأَهْلَهُ أَجْمَعِينَ

जब हमने उनको और उनके लड़के वालों सब को नजात दी

135

إِلَّا عَجُوزًا فِي الْغَابِرِينَ

मगर एक (उनकी) बूढ़ी बीबी जो पीछे रह जाने वालों ही में थीं

136

ثُمَّ دَمَّرْنَا الْآخَرِينَ

फिर हमने बाक़ी लोगों को तबाह व बर्बाद कर दिया

137

وَإِنَّكُمْ لَتَمُرُّونَ عَلَيْهِمْ مُصْبِحِينَ

और ऐ अहले मक्का तुम लोग भी उन पर से (कभी) सुबह को (आते जाते गुज़रते हो)

138

وَبِاللَّيْلِ ۗ  أَفَلَا تَعْقِلُونَ

और (कभी) शाम को तो क्या तुम (इतना भी) नहीं समझते

139

وَإِنَّ يُونُسَ لَمِنَ الْمُرْسَلِينَ

और इसमें शक नहीं कि यूनुस (भी) पैग़म्बरों में से थे

140

إِذْ أَبَقَ إِلَى الْفُلْكِ الْمَشْحُونِ

(वह वक्त याद करो) जब यूनुस भाग कर एक भरी हुई कश्ती के पास पहुँचे

141

فَسَاهَمَ فَكَانَ مِنَ الْمُدْحَضِينَ

तो (अहले कश्ती ने) कुरआ डाला तो (उनका ही नाम निकला) यूनुस ने ज़क उठायी

(और दरिया में गिर पड़े)

142

فَالْتَقَمَهُ الْحُوتُ

तो उनको एक मछली निगल गयी

وَهُوَ مُلِيمٌ

और यूनुस खुद (अपनी) मलामत कर रहे थे

143

فَلَوْلَا أَنَّهُ كَانَ مِنَ الْمُسَبِّحِينَ

फिर अगर यूनुस (खुदा की) तसबीह (व ज़िक्र) न करते

144

لَلَبِثَ فِي بَطْنِهِ إِلَى يَوْمِ يُبْعَثُونَ

तो रोज़े क़यामत तक मछली के पेट में रहते

145

فَنَبَذْنَاهُ بِالْعَرَاءِ وَهُوَ سَقِيمٌ

फिर हमने उनको (मछली के पेट से निकाल कर) एक खुले मैदान में डाल दिया और (वह थोड़ी देर में) बीमार निढाल हो गए थे

146

وَأَنْبَتْنَا عَلَيْهِ شَجَرَةً مِنْ يَقْطِينٍ

और हमने उन पर साये के लिए एक कद्दू का दरख्त उगा दिया

147

وَأَرْسَلْنَاهُ إِلَى مِائَةِ أَلْفٍ أَوْ يَزِيدُونَ

और (इसके बाद) हमने एक लाख बल्कि (एक हिसाब से) ज्यादा आदमियों की तरफ (पैग़म्बर बना कर भेजा)

148

فَآمَنُوا فَمَتَّعْنَاهُمْ إِلَى حِينٍ

तो वह लोग (उन पर) ईमान लाए फिर हमने (भी) एक ख़ास वक्त तक उनको चैन से रखा

149

فَاسْتَفْتِهِمْ أَلِرَبِّكَ الْبَنَاتُ وَلَهُمُ الْبَنُونَ

तो (ऐ रसूल) उन कुफ्फ़ार से पूछो कि क्या तुम्हारे परवरदिगार के लिए बेटियाँ हैं और उनके लिए बेटे

150

أَمْ خَلَقْنَا الْمَلَائِكَةَ إِنَاثًا وَهُمْ شَاهِدُونَ

(क्या वाक़ई) हमने फरिश्तों की औरतें बनाया है और ये लोग (उस वक्त) मौजूद थे

151

أَلَا إِنَّهُمْ مِنْ إِفْكِهِمْ لَيَقُولُونَ

ख़बरदार (याद रखो कि) ये लोग यक़ीनन अपने दिल से गढ़-गढ़ के कहते हैं

152

وَلَدَ اللَّهُ

कि खुदा औलाद वाला है

وَإِنَّهُمْ لَكَاذِبُونَ

और ये लोग यक़ीनी झूठे हैं

153

أَصْطَفَى الْبَنَاتِ عَلَى الْبَنِينَ

क्या खुदा ने (अपने लिए) बेटियों को बेटों पर तरजीह दी है

154

مَا لَكُمْ كَيْفَ تَحْكُمُونَ

(अरे कम्बख्तों) तुम्हें क्या जुनून हो गया है तुम लोग (बैठे-बैठे) कैसा फैसला करते हो

155

أَفَلَا تَذَكَّرُونَ

तो क्या तुम (इतना भी) ग़ौर नहीं करते

156

أَمْ لَكُمْ سُلْطَانٌ مُبِينٌ

या तुम्हारे पास (इसकी) कोई वाज़ेए व रौशन दलील है

157

فَأْتُوا بِكِتَابِكُمْ إِنْ كُنْتُمْ صَادِقِينَ

तो अगर तुम (अपने दावे में) सच्चे हो तो अपनी किताब पेश करो

158

وَجَعَلُوا بَيْنَهُ وَبَيْنَ الْجِنَّةِ نَسَبًا ۚ

और उन लोगों ने खुदा और जिन्नात के दरमियान रिश्ता नाता मुक़र्रर किया है

وَلَقَدْ عَلِمَتِ الْجِنَّةُ إِنَّهُمْ لَمُحْضَرُونَ

हालाँकि जिन्नात बखूबी जानते हैं कि वह लोग यक़ीनी (क़यामत में बन्दों की तरह) हाज़िर किए जाएँगे

159

سُبْحَانَ اللَّهِ عَمَّا يَصِفُونَ

ये लोग जो बातें बनाया करते हैं इनसे खुदा पाक साफ़ है

160

إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ

मगर खुदा के निरे खरे बन्दे (ऐसा नहीं कहते)

161

فَإِنَّكُمْ وَمَا تَعْبُدُونَ

ग़रज़ तुम लोग खुद और तुम्हारे माबूद

162

مَا أَنْتُمْ عَلَيْهِ بِفَاتِنِينَ

उसके ख़िलाफ (किसी को) बहका नहीं सकते

163

إِلَّا مَنْ هُوَ صَالِ الْجَحِيمِ

मगर उसको जो जहन्नुम में झोंका जाने वाला है

164

وَمَا مِنَّا إِلَّا لَهُ مَقَامٌ مَعْلُومٌ

और फरिश्ते या आइम्मा तो ये कहते हैं कि मैं हर एक का एक दरजा मुक़र्रर है

165

وَإِنَّا لَنَحْنُ الصَّافُّونَ

और हम तो यक़ीनन (उसकी इबादत के लिए) सफ बाँधे खड़े रहते हैं

166

وَإِنَّا لَنَحْنُ الْمُسَبِّحُونَ

और हम तो यक़ीनी (उसकी) तस्बीह पढ़ा करते हैं

167

وَإِنْ كَانُوا لَيَقُولُونَ

अगरचे ये कुफ्फार (इस्लाम के क़ब्ल) कहा करते थे

168

لَوْ أَنَّ عِنْدَنَا ذِكْرًا مِنَ الْأَوَّلِينَ

कि अगर हमारे पास भी अगले लोगों का तज़किरा (किसी किताबे खुदा में) होता

169

لَكُنَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ

तो हम भी खुदा के निरे खरे बन्दे ज़रूर हो जाते

170

فَكَفَرُوا بِهِ ۖ

(मगर जब किताब आयी) तो उन लोगों ने उससे इन्कार किया

فَسَوْفَ يَعْلَمُونَ

ख़ैर अनक़रीब (उसका नतीजा) उन्हें मालूम हो जाएगा

171

وَلَقَدْ سَبَقَتْ كَلِمَتُنَا لِعِبَادِنَا الْمُرْسَلِينَ

और अपने ख़ास बन्दों पैग़म्बरों से हमारी बात पक्की हो चुकी है

172

إِنَّهُمْ لَهُمُ الْمَنْصُورُونَ

कि इन लोगों की (हमारी बारगाह से) यक़ीनी मदद की जाएगी

173

وَإِنَّ جُنْدَنَا لَهُمُ الْغَالِبُونَ

और हमारा लश्कर तो यक़ीनन ग़ालिब रहेगा

174

فَتَوَلَّ عَنْهُمْ حَتَّى حِينٍ

तो (ऐ रसूल) तुम उनसे एक ख़ास वक्त तक मुँह फेरे रहो

175

وَأَبْصِرْهُمْ فَسَوْفَ يُبْصِرُونَ

और इनको देखते रहो तो ये लोग अनक़रीब ही (अपना नतीजा) देख लेगे

176

أَفَبِعَذَابِنَا يَسْتَعْجِلُونَ

तो क्या ये लोग हमारे अज़ाब की जल्दी कर रहे हैं

177

فَإِذَا نَزَلَ بِسَاحَتِهِمْ فَسَاءَ صَبَاحُ الْمُنْذَرِينَ

फिर जब (अज़ाब) उनकी अंगनाई में उतर पडेग़ा तो जो लोग डराए जा चुके हैं उनकी भी क्या बुरी सुबह होगी

178

وَتَوَلَّ عَنْهُمْ حَتَّى حِينٍ

और उन लोगों से एक ख़ास वक्त तक मुँह फेरे रहो

179

وَأَبْصِرْ فَسَوْفَ يُبْصِرُونَ

और देखते रहो ये लोग तो खुद अनक़रीब ही अपना अन्जाम देख लेगें

180

سُبْحَانَ رَبِّكَ رَبِّ الْعِزَّةِ عَمَّا يَصِفُونَ

ये लोग जो बातें (खुदा के बारे में) बनाया करते हैं उनसे तुम्हारा परवरदिगार इज्ज़त का मालिक पाक साफ है

181

وَسَلَامٌ عَلَى الْمُرْسَلِينَ

और पैग़म्बरों पर (दुरूद) सलाम हो

182

وَالْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ

और कुल तारीफ खुदा ही के लिए सज़ावार हैं जो सारे जहाँन का पालने वाला है

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Zahid Javed Rana, Abid Javed Rana,

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