Quran Hindi TranslationSurah AbasaTranslation by Mufti Mohammad Mohiuddin Khan |
1 |
عَبَسَ وَتَوَلَّى वह अपनी बात पर चीं ब जबीं हो गया |
2 |
أَنْ جَاءَهُ الْأَعْمَى और मुँह फेर बैठा कि उसके पास नाबीना आ गया |
3 |
وَمَا يُدْرِيكَ لَعَلَّهُ يَزَّكَّى और तुमको क्या मालूम यायद वह (तालीम से) पाकीज़गी हासिल करता |
4 |
أَوْ يَذَّكَّرُ فَتَنْفَعَهُ الذِّكْرَى या वह नसीहत सुनता तो नसीहत उसके काम आती |
5 |
أَمَّا مَنِ اسْتَغْنَى तो जो कुछ परवाह नहीं करता |
6 |
فَأَنْتَ لَهُ تَصَدَّى उसके तो तुम दरपै हो जाते हो |
7 |
وَمَا عَلَيْكَ أَلَّا يَزَّكَّى हालॉकि अगर वह न सुधरे तो तुम ज़िम्मेदार नहीं |
8 |
وَأَمَّا مَنْ جَاءَكَ يَسْعَى और जो तुम्हारे पास लपकता हुआ आता है |
9 |
وَهُوَ يَخْشَى और (ख़ुदा से) डरता है |
10 |
فَأَنْتَ عَنْهُ تَلَهَّى तो तुम उससे बेरूख़ी करते हो |
11 |
كَلَّا إِنَّهَا تَذْكِرَةٌ देखो ये (क़ुरान) तो सरासर नसीहत है |
12 |
فَمَنْ شَاءَ ذَكَرَهُ तो जो चाहे इसे याद रखे |
13 |
فِي صُحُفٍ مُكَرَّمَةٍ (लौहे महफूज़ के) बहुत मोअज़ज़िज औराक़ में (लिखा हुआ) है |
14 |
مَرْفُوعَةٍ مُطَهَّرَةٍ बुलन्द मरतबा और पाक हैं |
15 |
بِأَيْدِي سَفَرَةٍ (ऐसे) लिखने वालों के हाथों में है |
16 |
كِرَامٍ بَرَرَةٍ जो बुज़ुर्ग नेकोकार हैं |
17 |
قُتِلَ الْإِنْسَانُ مَا أَكْفَرَهُ इन्सान हलाक हो जाए वह क्या कैसा नाशुक्रा है |
18 |
مِنْ أَيِّ شَيْءٍ خَلَقَهُ (ख़ुदा ने) उसे किस चीज़ से पैदा किया |
19 |
مِنْ نُطْفَةٍ خَلَقَهُ فَقَدَّرَهُ नुत्फे से उसे पैदा किया फिर उसका अन्दाज़ा मुक़र्रर किया |
20 |
ثُمَّ السَّبِيلَ يَسَّرَهُ फिर उसका रास्ता आसान कर दिया |
21 |
ثُمَّ أَمَاتَهُ فَأَقْبَرَهُ फिर उसे मौत दी फिर उसे कब्र में दफ़न कराया |
22 |
ثُمَّ إِذَا شَاءَ أَنْشَرَهُ फिर जब चाहेगा उठा खड़ा करेगा |
23 |
كَلَّا لَمَّا يَقْضِ مَا أَمَرَهُ सच तो यह है कि ख़ुदा ने जो हुक्म उसे दिया उसने उसको पूरा न किया |
24 |
فَلْيَنْظُرِ الْإِنْسَانُ إِلَى طَعَامِهِ तो इन्सान को अपने घाटे ही तरफ ग़ौर करना चाहिए |
25 |
أَنَّا صَبَبْنَا الْمَاءَ صَبًّا कि हम ही ने (बादल) से पानी बरसाया |
26 |
ثُمَّ شَقَقْنَا الْأَرْضَ شَقًّا फिर हम ही ने ज़मीन (दरख्त उगाकर) चीरी फाड़ी |
27 |
فَأَنْبَتْنَا فِيهَا حَبًّا फिर हमने उसमें अनाज उगाया |
28 |
وَعِنَبًا وَقَضْبًا और अंगूर और तरकारियाँ |
29 |
وَزَيْتُونًا وَنَخْلًا और ज़ैतून और खजूरें |
30 |
وَحَدَائِقَ غُلْبًا और घने घने बाग़ |
31 |
وَفَاكِهَةً وَأَبًّا और मेवे और चारा |
32 |
مَتَاعًا لَكُمْ وَلِأَنْعَامِكُمْ (ये सब कुछ) तुम्हारे और तुम्हारे चारपायों के फायदे के लिए (बनाया) |
33 |
فَإِذَا جَاءَتِ الصَّاخَّةُ तो जब कानों के परदे फाड़ने वाली (क़यामत) आ मौजूद होगी |
34 |
يَوْمَ يَفِرُّ الْمَرْءُ مِنْ أَخِيهِ उस दिन आदमी अपने भाई से भागेगा |
35 |
وَأُمِّهِ وَأَبِيهِ और अपनी माँ और अपने बाप से |
36 |
وَصَاحِبَتِهِ وَبَنِيهِ और अपने लड़के बालों से |
37 |
لِكُلِّ امْرِئٍ مِنْهُمْ يَوْمَئِذٍ شَأْنٌ يُغْنِيهِ उस दिन हर शख़्श (अपनी नजात की) ऐसी फ़िक्र में होगा जो उसके (मशग़ूल होने के) लिए काफ़ी हों |
38 |
وُجُوهٌ يَوْمَئِذٍ مُسْفِرَةٌ बहुत से चेहरे तो उस दिन चमकते होंगे |
39 |
ضَاحِكَةٌ مُسْتَبْشِرَةٌ ख़न्दाँ शांदाँ (यही नेको कार हैं) |
40 |
وَوُجُوهٌ يَوْمَئِذٍ عَلَيْهَا غَبَرَةٌ और बहुत से चेहरे ऐसे होंगे जिन पर गर्द पड़ी होगी |
41 |
تَرْهَقُهَا قَتَرَةٌ उस पर सियाही छाई हुई होगी |
42 |
أُولَئِكَ هُمُ الْكَفَرَةُ الْفَجَرَةُ यही कुफ्फ़ार बदकार हैं ********* |
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