Quran Hindi TranslationSurah Al JathiyaTranslation by Mufti Mohammad Mohiuddin Khan |
1 |
حم हा मीम |
2 |
تَنْزِيلُ الْكِتَابِ مِنَ اللَّهِ الْعَزِيزِ الْحَكِيمِ ये किताब (क़ुरान) ख़ुदा की तरफ से नाज़िल हुईहै जो ग़ालिब और दाना है |
3 |
إِنَّ فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ لَآيَاتٍ لِلْمُؤْمِنِينَ बेशक आसमान और ज़मीन में ईमान वालों के लिए (क़ुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं |
4 |
وَفِي خَلْقِكُمْ وَمَا يَبُثُّ مِنْ دَابَّةٍ آيَاتٌ لِقَوْمٍ يُوقِنُونَ और तुम्हारी पैदाइश में (भी) और जिन जानवरों को वह (ज़मीन पर) फैलाता रहता है (उनमें भी) यक़ीन करने वालों के वास्ते बहुत सी निशानियाँ हैं |
5 |
وَاخْتِلَافِ اللَّيْلِ وَالنَّهَارِ और रात दिन के आने जाने में और وَمَا أَنْزَلَ اللَّهُ مِنَ السَّمَاءِ مِنْ رِزْقٍ فَأَحْيَا بِهِ الْأَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَا ख़ुदा ने आसमान से जो (ज़रिया) रिज़क (पानी) नाज़िल फरमाया फिर उससे ज़मीन को उसके मर जाने के बाद ज़िन्दा किया وَتَصْرِيفِ الرِّيَاحِ آيَاتٌ لِقَوْمٍ يَعْقِلُونَ (उसमें) और हवाओं फेर बदल में अक्लमन्द लोगों के लिए बहुत सी निशानियाँ हैं |
6 |
تِلْكَ آيَاتُ اللَّهِ نَتْلُوهَا عَلَيْكَ بِالْحَقِّ ۖ ये ख़ुदा की आयतें हैं जिनको हम ठीक (ठीक) तुम्हारे सामने पढ़ते हैं فَبِأَيِّ حَدِيثٍ بَعْدَ اللَّهِ وَآيَاتِهِ يُؤْمِنُونَ तो ख़ुदा और उसकी आयतों के बाद कौन सी बात होगी |
7 |
وَيْلٌ لِكُلِّ أَفَّاكٍ أَثِيمٍ जिस पर ये लोग ईमान लाएंगे हर झूठे गुनाहगार पर अफसोस है |
8 |
يَسْمَعُ آيَاتِ اللَّهِ تُتْلَى عَلَيْهِ ثُمَّ يُصِرُّ مُسْتَكْبِرًا كَأَنْ لَمْ يَسْمَعْهَا ۖ कि ख़ुदा की आयतें उसके सामने पढ़ी जाती हैं और वह सुनता भी है फिर ग़ुरूर से (कुफ़्र पर) अड़ा रहता है गोया उसने उन आयतों को सुना ही नहीं فَبَشِّرْهُ بِعَذَابٍ أَلِيمٍ तो (ऐ रसूल) तुम उसे दर्दनाक अज़ाब की ख़ुशख़बरी दे दो |
9 |
وَإِذَا عَلِمَ مِنْ آيَاتِنَا شَيْئًا اتَّخَذَهَا هُزُوًا ۚ और जब हमारी आयतों में से किसी आयत पर वाक़िफ़ हो जाता है तो उसकी हँसी उड़ाता है أُولَئِكَ لَهُمْ عَذَابٌ مُهِينٌ ऐसे ही लोगों के वास्ते ज़लील करने वाला अज़ाब है |
10 |
مِنْ وَرَائِهِمْ جَهَنَّمُ ۖ जहन्नुम तो उनके पीछे ही (पीछे) है وَلَا يُغْنِي عَنْهُمْ مَا كَسَبُوا شَيْئًا وَلَا مَا اتَّخَذُوا مِنْ دُونِ اللَّهِ أَوْلِيَاءَ ۖ और जो कुछ वह आमाल करते रहे न तो वही उनके कुछ काम आएँगे और न जिनको उन्होंने ख़ुदा को छोड़कर (अपने) सरपरस्त बनाए थे وَلَهُمْ عَذَابٌ عَظِيمٌ और उनके लिए बड़ा (सख्त) अज़ाब है |
11 |
هَذَا هُدًى ۖ ये (क़ुरान) है وَالَّذِينَ كَفَرُوا بِآيَاتِ رَبِّهِمْ لَهُمْ عَذَابٌ مِنْ رِجْزٍ أَلِيمٌ और जिन लोगों ने अपने परवरदिगार की आयतों से इन्कार किया उनके लिए सख्त किस्म का दर्दनाक अज़ाब होगा |
12 |
اللَّهُ الَّذِي سَخَّرَ لَكُمُ الْبَحْرَ لِتَجْرِيَ الْفُلْكُ فِيهِ بِأَمْرِهِ ख़ुदा ही तो है जिसने दरिया को तुम्हारे क़ाबू में कर दिया ताकि उसके हुक्म से उसमें कश्तियां चलें وَلِتَبْتَغُوا مِنْ فَضْلِهِ وَلَعَلَّكُمْ تَشْكُرُونَ और ताकि उसके फज़ल (व करम) से (मआश की) तलाश करो और ताकि तुम शुक्र करो |
13 |
وَسَخَّرَ لَكُمْ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الْأَرْضِ جَمِيعًا مِنْهُ ۚ और जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है सबको अपने (हुक्म) से तुम्हारे काम में लगा दिया है إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآيَاتٍ لِقَوْمٍ يَتَفَكَّرُونَ जो लोग ग़ौर करते हैं उनके लिए इसमें (क़ुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं |
14 |
قُلْ لِلَّذِينَ آمَنُوا يَغْفِرُوا لِلَّذِينَ لَا يَرْجُونَ أَيَّامَ اللَّهِ لِيَجْزِيَ قَوْمًا بِمَا كَانُوا يَكْسِبُونَ (ऐ रसूल) मोमिनों से कह दो कि जो लोग ख़ुदा के दिनों की (जो जज़ा के लिए मुक़र्रर हैं) तवक्क़ो नहीं रखते उनसे दरगुज़र करें ताकि वह लोगों के आमाल का बदला दे |
15 |
مَنْ عَمِلَ صَالِحًا فَلِنَفْسِهِ ۖ जो शख़्श नेक काम करता है तो ख़ास अपने लिए وَمَنْ أَسَاءَ فَعَلَيْهَا ۖ और बुरा काम करेगा तो उस का वबाल उसी पर होगा ثُمَّ إِلَى رَبِّكُمْ تُرْجَعُونَ फिर (आख़िर) तुम अपने परवरदिगार की तरफ लौटाए जाओगे |
16 |
وَلَقَدْ آتَيْنَا بَنِي إِسْرَائِيلَ الْكِتَابَ وَالْحُكْمَ وَالنُّبُوَّةَ और हमने बनी इसराईल को किताब (तौरेत) और हुकूमत और नबूवत अता की وَرَزَقْنَاهُمْ مِنَ الطَّيِّبَاتِ وَفَضَّلْنَاهُمْ عَلَى الْعَالَمِينَ और उन्हें उम्दा उम्दा चीज़ें खाने को दीं और उनको सारे जहॉन पर फ़ज़ीलत दी |
17 |
وَآتَيْنَاهُمْ بَيِّنَاتٍ مِنَ الْأَمْرِ ۖ और उनको दीन की खुली हुई दलीलें इनायत की فَمَا اخْتَلَفُوا إِلَّا مِنْ بَعْدِ مَا جَاءَهُمُ الْعِلْمُ بَغْيًا بَيْنَهُمْ ۚ तो उन लोगों ने इल्म आ चुकने के बाद बस आपस की ज़िद में एक दूसरे से एख्तेलाफ़ किया إِنَّ رَبَّكَ يَقْضِي بَيْنَهُمْ يَوْمَ الْقِيَامَةِ فِيمَا كَانُوا فِيهِ يَخْتَلِفُونَ कि ये लोग जिन बातों से एख्तेलाफ़ कर रहें हैं क़यामत के दिन तुम्हारा परवरदिगार उनमें फैसला कर देगा |
18 |
ثُمَّ جَعَلْنَاكَ عَلَى شَرِيعَةٍ مِنَ الْأَمْرِ फिर (ऐ रसूल) हमने तुमको दीन के खुले रास्ते पर क़ायम किया है فَاتَّبِعْهَا وَلَا تَتَّبِعْ أَهْوَاءَ الَّذِينَ لَا يَعْلَمُونَ तो इसी (रास्ते) पर चले जाओ और नादानों की ख्वाहिशो की पैरवी न करो |
19 |
إِنَّهُمْ لَنْ يُغْنُوا عَنْكَ مِنَ اللَّهِ شَيْئًا ۚ ये लोग ख़ुदा के सामने तुम्हारे कुछ भी काम न आएँगे وَإِنَّ الظَّالِمِينَ بَعْضُهُمْ أَوْلِيَاءُ بَعْضٍ ۖ وَاللَّهُ وَلِيُّ الْمُتَّقِينَ और ज़ालिम लोग एक दूसरे के मददगार हैं और ख़ुदा तो परहेज़गारों का मददगार है |
20 |
هَذَا بَصَائِرُ لِلنَّاسِ وَهُدًى وَرَحْمَةٌ لِقَوْمٍ يُوقِنُونَ ये (क़ुरान) लोगों (की) हिदायत के लिए दलीलो का मजमूआ है और बातें करने वाले लोगों के लिए (अज़सरतापा) हिदायत व रहमत है |
21 |
أَمْ حَسِبَ الَّذِينَ اجْتَرَحُواالسَّيِّئَاتِ أَنْ نَجْعَلَهُمْ كَالَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ سَوَاءً مَحْيَاهُمْ وَمَمَاتُهُمْ ۚ जो लोग बुरा काम किया करते हैं क्या वह ये समझते हैं कि हम उनको उन लोगों के बराबर कर देंगे जो ईमान लाए और अच्छे अच्छे काम भी करते रहे और उन सब का जीना मरना एक सा होगा سَاءَ مَا يَحْكُمُونَ ये लोग (क्या) बुरे हुक्म लगाते हैं |
22 |
وَخَلَقَ اللَّهُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ بِالْحَقِّ وَلِتُجْزَى كُلُّ نَفْسٍ بِمَا كَسَبَتْ وَهُمْ لَا يُظْلَمُونَ और ख़ुदा ने सारे आसमान व ज़मीन को हिकमत व मसलेहत से पैदा किया और ताकि हर शख़्श को उसके किये का बदला दिया जाए और उन पर (किसी तरह का) ज़ुल्म नहीं किया जाएगा |
23 |
أَفَرَأَيْتَ مَنِ اتَّخَذَ إِلَهَهُ هَوَاهُ भला तुमने उस शख़्श को भी देखा है जिसने अपनी नफसियानी ख़वाहिशों को माबूद बना रखा है وَأَضَلَّهُ اللَّهُ عَلَى عِلْمٍ وَخَتَمَ عَلَى سَمْعِهِ وَقَلْبِهِ وَجَعَلَ عَلَى بَصَرِهِ غِشَاوَةً और (उसकी हालत) समझ बूझ कर ख़ुदा ने उसे गुमराही में छोड़ दिया है और उसके कान और दिल पर अलामत मुक़र्रर कर दी है (कि ये ईमान न लाएगा) और उसकी ऑंख पर पर्दा डाल दिया है فَمَنْ يَهْدِيهِ مِنْ بَعْدِ اللَّهِ ۚ फिर ख़ुदा के बाद उसकी हिदायत कौन कर सकता है أَفَلَا تَذَكَّرُونَ तो क्या तुम लोग (इतना भी) ग़ौर नहीं करते |
24 |
وَقَالُوا مَا هِيَ إِلَّا حَيَاتُنَا الدُّنْيَا نَمُوتُ وَنَحْيَا وَمَا يُهْلِكُنَا إِلَّا الدَّهْرُ ۚ और वह लोग कहते हैं कि हमारी ज़िन्दगी तो बस दुनिया ही की है (यहीं) मरते हैं और (यहीं) जीते हैं और हमको बस ज़माना ही (जिलाता) मारता है وَمَا لَهُمْ بِذَلِكَ مِنْ عِلْمٍ ۖ إِنْ هُمْ إِلَّا يَظُنُّونَ और उनको इसकी कुछ ख़बर तो है नहीं ये लोग तो बस अटकल की बातें करते हैं |
25 |
وَإِذَا تُتْلَى عَلَيْهِمْ آيَاتُنَا بَيِّنَاتٍ مَا كَانَ حُجَّتَهُمْ إِلَّا أَنْ قَالُوا ائْتُوا بِآبَائِنَا إِنْ كُنْتُمْ صَادِقِينَ और जब उनके सामने हमारी खुली खुली आयतें पढ़ी जाती हैं तो उनकी कट हुज्जती बस यही होती है कि वह कहते हैं कि अगर तुम सच्चे हो तो हमारे बाप दादाओं को (जिला कर) ले तो आओ |
26 |
قُلِ اللَّهُ يُحْيِيكُمْ ثُمَّ يُمِيتُكُمْ ثُمَّ يَجْمَعُكُمْ إِلَى يَوْمِ الْقِيَامَةِ لَا رَيْبَ فِيهِ (ऐ रसूल) तुम कह दो कि ख़ुदा ही तुमको ज़िन्दा (पैदा) करता है और वही तुमको मारता है फिर वही तुमको क़यामत के दिन जिस (के होने) में किसी तरह का शक़ नहीं जमा करेगा وَلَكِنَّ أَكْثَرَ النَّاسِ لَا يَعْلَمُونَ मगर अक्सर लोग नहीं जानते |
27 |
وَلِلَّهِ مُلْكُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۚ और सारे आसमान व ज़मीन की बादशाहत ख़ास ख़ुदा की है وَيَوْمَ تَقُومُ السَّاعَةُ يَوْمَئِذٍ يَخْسَرُ الْمُبْطِلُونَ और जिस रोज़ क़यामत बरपा होगी उस रोज़ अहले बातिल बड़े घाटे में रहेंगे |
28 |
وَتَرَى كُلَّ أُمَّةٍ جَاثِيَةً ۚ और (ऐ रसूल) तुम हर उम्मत को देखोगे कि (फैसले की मुन्तज़िर अदब से) घूटनों के बल बैठी होगी كُلُّ أُمَّةٍ تُدْعَى إِلَى كِتَابِهَا الْيَوْمَ تُجْزَوْنَ مَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ और हर उम्मत अपने नामाए आमाल की तरफ बुलाइ जाएगी जो कुछ तुम लोग करते थे आज तुमको उसका बदला दिया जाएगा |
29 |
هَذَا كِتَابُنَا يَنْطِقُ عَلَيْكُمْ بِالْحَقِّ ۚ ये हमारी किताब (जिसमें आमाल लिखे हैं) तुम्हारे मुक़ाबले में ठीक ठीक बोल रही है إِنَّا كُنَّا نَسْتَنْسِخُ مَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ जो कुछ भी तुम करते थे हम लिखवाते जाते थे |
30 |
فَأَمَّا الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ فَيُدْخِلُهُمْ رَبُّهُمْ فِي رَحْمَتِهِ ۚ ग़रज़ जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे (अच्छे) काम किये तो उनको उनका परवरदिगार अपनी रहमत (से बेहिश्त) में दाख़िल करेगा ذَلِكَ هُوَ الْفَوْزُ الْمُبِينُ यही तो सरीही कामयाबी है |
31 |
وَأَمَّا الَّذِينَ كَفَرُوا أَفَلَمْ تَكُنْ آيَاتِي تُتْلَى عَلَيْكُمْ और जिन्होंने कुफ्र एख्तेयार किया (उनसे कहा जाएगा) तो क्या तुम्हारे सामने हमारी आयतें नहीं पढ़ी जाती थीं (ज़रूर) فَاسْتَكْبَرْتُمْ وَكُنْتُمْ قَوْمًا مُجْرِمِينَ तो तुमने तकब्बुर किया और तुम लोग तो गुनेहगार हो गए |
32 |
وَإِذَا قِيلَ إِنَّ وَعْدَ اللَّهِ حَقٌّ وَالسَّاعَةُ لَا رَيْبَ فِيهَا और जब (तुम से) कहा जाता था कि ख़ुदा का वायदा सच्चा है और क़यामत (के आने) में कुछ शुबहा नहीं قُلْتُمْ مَا نَدْرِي مَا السَّاعَةُ إِنْ نَظُنُّ إِلَّا ظَنًّا وَمَا نَحْنُ بِمُسْتَيْقِنِينَ तो तुम कहते थे कि हम नहीं जानते कि क़यामत क्या चीज़ है हम तो बस (उसे) एक ख्याली बात समझते हैं और हम तो (उसका) यक़ीन नहीं रखते |
33 |
وَبَدَا لَهُمْ سَيِّئَاتُ مَا عَمِلُوا وَحَاقَ بِهِمْ مَا كَانُوا بِهِ يَسْتَهْزِئُونَ Then will appear to them the evil (fruits) of what they did, and they will be completely encircled by that which they used to mock at! और उनके करतूतों की बुराईयाँ उस पर ज़ाहिर हो जाएँगी और जिस (अज़ाब) की ये हँसी उड़ाया करते थे उन्हें (हर तरफ से) घेर लेगा |
34 |
وَقِيلَ الْيَوْمَ نَنْسَاكُمْ كَمَا نَسِيتُمْ لِقَاءَ يَوْمِكُمْ هَذَا وَمَأْوَاكُمُ النَّارُ وَمَا لَكُمْ مِنْ نَاصِرِينَ और (उनसे) कहा जाएगा कि जिस तरह तुमने उस दिन के आने को भुला दिया था उसी तरह आज हम तुमको अपनी रहमत से अमदन भुला देंगे और तुम्हारा ठिकाना दोज़ख़ है और कोई तुम्हारा मददगार नहीं |
35 |
ذَلِكُمْ بِأَنَّكُمُ اتَّخَذْتُمْ آيَاتِ اللَّهِ هُزُوًا وَغَرَّتْكُمُ الْحَيَاةُ الدُّنْيَا ۚ ये इस सबब से कि तुम लोगों ने ख़ुदा की आयतों को हँसी ठट्ठा बना रखा था और दुनयावी ज़िन्दगी ने तुमको धोखे में डाल दिया था فَالْيَوْمَ لَا يُخْرَجُونَ مِنْهَا وَلَا هُمْ يُسْتَعْتَبُونَ ग़रज़ ये लोग न तो आज दुनिया से निकाले जाएँगे और न उनको इसका मौका दिया जाएगा कि (तौबा करके ख़ुदा को) राज़ी कर ले |
36 |
فَلِلَّهِ الْحَمْدُ رَبِّ السَّمَاوَاتِ وَرَبِّ الْأَرْضِ رَبِّ الْعَالَمِينَ पस सब तारीफ ख़ुदा ही के लिए सज़ावार है जो सारे आसमान का मालिक और ज़मीन का मालिक (ग़रज़) सारे जहॉन का मालिक है |
37 |
وَلَهُ الْكِبْرِيَاءُ فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۖ وَهُوَ الْعَزِيزُ الْحَكِيمُ और सारे आसमान व ज़मीन में उसके लिए बड़ाई है और वही (सब पर) ग़ालिब हिकमत वाला है ********* |
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