Quran Hindi Translation

Surah Al Zukhruf

Translation by Mufti Mohammad Mohiuddin Khan



In the name of Allah, Most Gracious,Most Merciful


1

حم

हा मीम

2

وَالْكِتَابِ الْمُبِينِ

रौशन किताब (क़ुरान) की क़सम

3

إِنَّا جَعَلْنَاهُ قُرْآنًا عَرَبِيًّا لَعَلَّكُمْ تَعْقِلُونَ

हमने इस किताब को अरबी ज़बान कुरान ज़रूर बनाया है ताकि तुम समझो

4

وَإِنَّهُ فِي أُمِّ الْكِتَابِ لَدَيْنَا لَعَلِيٌّ حَكِيمٌ

और बेशक ये (क़ुरान) असली किताब (लौह महफूज़) में (भी जो) मेरे पास है लिखी हुई है (और) यक़ीनन बड़े रूतबे की (और) पुरअज़ हिकमत है

5

أَفَنَضْرِبُ عَنْكُمُ الذِّكْرَ صَفْحًا أَنْ كُنْتُمْ قَوْمًا مُسْرِفِينَ

भला इस वजह से कि तुम ज्यादती करने वाले लोग हो हम तुमको नसीहत करने से मुँह मोड़ेंगे

(हरगिज़ नहीं)  

6

وَكَمْ أَرْسَلْنَا مِنْ نَبِيٍّ فِي الْأَوَّلِينَ

But how many were the prophets We sent amongst the peoples of old?

और हमने अगले लोगों को बहुत से पैग़म्बर भेजे थे

7

وَمَا يَأْتِيهِمْ مِنْ نَبِيٍّ إِلَّا كَانُوا بِهِ يَسْتَهْزِئُونَ

And never came there a prophet to them but they mocked him.

और कोई पैग़म्बर उनके पास ऐसा नहीं आया जिससे इन लोगों ने ठट्ठे नहीं किए हो

8

فَأَهْلَكْنَا أَشَدَّ مِنْهُمْ بَطْشًا وَمَضَى مَثَلُ الْأَوَّلِينَ

तो उनमें से जो ज्यादा ज़ोरावर थे तो उनको हमने हलाक कर मारा और (दुनिया में) अगलों के अफ़साने जारी हो गए

9

وَلَئِنْ سَأَلْتَهُمْ مَنْ خَلَقَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ

और (ऐ रसूल) अगर तुम उनसे पूछो कि सारे आसमान व ज़मीन को किसने पैदा किया

لَيَقُولُنَّ خَلَقَهُنَّ الْعَزِيزُ الْعَلِيمُ‏

तो वह ज़रूर कह देंगे कि उनको बड़े वाक़िफ़कार ज़बरदस्त (ख़ुदा ने) पैदा किया है

10

الَّذِي جَعَلَ لَكُمُ الْأَرْضَ مَهْدًاوَجَعَلَ لَكُمْ فِيهَا سُبُلًا لَعَلَّكُمْ تَهْتَدُونَ

जिसने तुम लोगों के वास्ते ज़मीन का बिछौना बनाया

और (फिर) उसमें तुम्हारे नफ़े के लिए रास्ते बनाए ताकि तुम राह मालूम करो

11

وَالَّذِي نَزَّلَ مِنَ السَّمَاءِ مَاءً بِقَدَرٍ فَأَنْشَرْنَا بِهِ بَلْدَةً مَيْتًا ۚ

और जिसने एक (मुनासिब) अन्दाजे क़े साथ आसमान से पानी बरसाया

फिर हम ही ने उसके (ज़रिए) से मुर्दा (परती) शहर को ज़िन्दा (आबाद) किया

كَذَلِكَ تُخْرَجُونَ

उसी तरह तुम भी (क़यामत के दिन क़ब्रों से) निकाले जाओगे

12

وَالَّذِي خَلَقَ الْأَزْوَاجَ كُلَّهَا

और जिसने हर किस्म की चीज़े पैदा कीं

وَجَعَلَ لَكُمْ مِنَ الْفُلْكِ وَالْأَنْعَامِ مَا تَرْكَبُونَ 

और तुम्हारे लिए कश्तियां बनायीं और चारपाए (पैदा किए) जिन पर तुम सवार होते हो  

13

لِتَسْتَوُوا عَلَى ظُهُورِهِ ثُمَّ تَذْكُرُوا نِعْمَةَ رَبِّكُمْ إِذَا اسْتَوَيْتُمْ عَلَيْهِ وَتَقُولُوا

ताकि तुम उसकी पीठ पर चढ़ो

और जब उस पर (अच्छी तरह) सीधे हो बैठो तो अपने परवरदिगार का एहसान माना करो और कहो कि

سُبْحَانَ الَّذِي سَخَّرَ لَنَا هَذَاوَمَا كُنَّا لَهُ مُقْرِنِينَ

वह (ख़ुदा हर ऐब से) पाक है जिसने इसको हमारा ताबेदार बनाया हालॉकि हम तो ऐसे (ताक़तवर) न थे कि उस पर क़ाबू पाते

14

وَإِنَّا إِلَى رَبِّنَا لَمُنْقَلِبُونَ 

और हमको तो यक़ीनन अपने परवरदिगार की तरफ लौट कर जाना है

15

وَجَعَلُوا لَهُ مِنْ عِبَادِهِ جُزْءًا ۚ

और उन लोगों ने उसके बन्दों में से उसके लिए औलाद क़रार दी है

إِنَّ الْإِنْسَانَ لَكَفُورٌ مُبِينٌ

इसमें शक़ नहीं कि इन्सान खुल्लम खुल्ला बड़ा ही नाशक्रा है

16

أَمِ اتَّخَذَ مِمَّا يَخْلُقُ بَنَاتٍ وَأَصْفَاكُمْ بِالْبَنِينَ

क्या उसने अपनी मख़लूक़ात में से ख़ुद तो बेटियाँ ली हैं और तुमको चुनकर बेटे दिए हैं

17

وَإِذَا بُشِّرَ أَحَدُهُمْ بِمَا ضَرَبَ لِلرَّحْمَنِ مَثَلًا ظَلَّ وَجْهُهُ مُسْوَدًّا وَهُوَ كَظِيمٌ  

हालॉकि जब उनमें किसी शख़्श को उस चीज़ (बेटी) की ख़ुशख़बरी दी जाती है जिसकी मिसल उसने ख़ुदा के लिए बयान की है तो वह (ग़ुस्से के मारे) सियाह हो जाता है और ताव पेंच खाने लगता है

18

أَوَمَنْ يُنَشَّأُ فِي الْحِلْيَةِ وَهُوَ فِي الْخِصَامِ غَيْرُ مُبِينٍ

क्या वह (औरत) जो ज़ेवरों में पाली पोसी जाए और झगड़े में (अच्छी तरह) बात तक न कर सकें (ख़ुदा की बेटी हो सकती है)

19

وَجَعَلُوا الْمَلَائِكَةَ الَّذِينَ هُمْ عِبَادُ الرَّحْمَنِ إِنَاثًا ۚ

और उन लोगों ने फ़रिश्तों को कि वह भी ख़ुदा के बन्दे हैं (ख़ुदा की) बेटियाँ बनायी हैं

أَشَهِدُوا خَلْقَهُمْ ۚ

लोग फरिश्तों की पैदाइश क्यों खड़े देख रहे थे

سَتُكْتَبُ شَهَادَتُهُمْ وَيُسْأَلُونَ

Their evidence will be recorded, and they will be called to account!

अभी उनकी शहादत क़लम बन्द कर ली जाती है और (क़यामत) में उनसे बाज़पुर्स की जाएगी

20

وَقَالُوا لَوْ شَاءَ الرَّحْمَنُ مَا عَبَدْنَاهُمْ ۗ

और (क़यामत) में उनसे बाज़पुर्स की जाएगी और कहते हैं कि अगर ख़ुदा चाहता तो हम उनकी परसतिश न करते

مَا لَهُمْ بِذَلِكَ مِنْ عِلْمٍ ۖ

उनको उसकी कुछ ख़बर ही नहीं

إِنْ هُمْ إِلَّا يَخْرُصُونَ

ये लोग तो बस अटकल पच्चू बातें किया करते हैं

21

أَمْ آتَيْنَاهُمْ كِتَابًا مِنْ قَبْلِهِ فَهُمْ بِهِ مُسْتَمْسِكُونَ

या हमने उनको उससे पहले कोई किताब दी थी कि ये लोग उसे मज़बूत थामें हुए हैं

22

بَلْ قَالُوا إِنَّا وَجَدْنَا آبَاءَنَا عَلَى أُمَّةٍ وَإِنَّا عَلَى آثَارِهِمْ مُهْتَدُونَ

बल्कि ये लोग तो ये कहते हैं कि हमने अपने बाप दादाओं को एक तरीके पर पाया

और हम उनको क़दम ब क़दम ठीक रास्ते पर चले जा रहें हैं

23

وَكَذَلِكَ مَا أَرْسَلْنَا مِنْ قَبْلِكَ فِي قَرْيَةٍ مِنْ نَذِيرٍ إِلَّا قَالَ مُتْرَفُوهَا

और (ऐ रसूल) इसी तरह हमने तुमसे पहले किसी बस्ती में कोई डराने वाला (पैग़म्बर) नहीं भेजा

إِنَّا وَجَدْنَا آبَاءَنَا عَلَى أُمَّةٍ وَإِنَّا عَلَى آثَارِهِمْ مُقْتَدُونَ  

मगर वहाँ के ख़ुशहाल लोगों ने यही कहा कि हमने अपने बाप दादाओं को एक तरीके पर पाया,

और हम यक़ीनी उनके क़दम ब क़दम चले जा रहे हैं

24

قَالَ أَوَلَوْ جِئْتُكُمْ بِأَهْدَى مِمَّا وَجَدْتُمْ عَلَيْهِ آبَاءَكُمْ ۖ

(इस पर) उनके पैग़म्बर ने कहा भी जिस तरीक़े पर तुमने अपने बाप दादाओं को पाया अगरचे मैं तुम्हारे पास इससे बेहतर राहे रास्त पर लाने वाला दीन लेकर आया हूँ (तो भी न मानोगे)

قَالُوا إِنَّا بِمَا أُرْسِلْتُمْ بِهِ كَافِرُونَ

वह बोले (कुछ हो मगर) हम तो उस दीन को जो तुम देकर भेजे गए हो मानने वाले नहीं

25

فَانْتَقَمْنَا مِنْهُمْ ۖ

तो हमने उनसे बदला लिया

فَانْظُرْ كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُكَذِّبِينَ

(तो ज़रा) देखो तो कि झुठलाने वालों का क्या अन्जाम हुआ

26

وَإِذْ قَالَ إِبْرَاهِيمُ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِ إِنَّنِي بَرَاءٌ مِمَّا تَعْبُدُونَ

(और वह वख्त याद करो)

जब इब्राहीम ने अपने (मुँह बोले) बाप (आज़र) और अपनी क़ौम से कहा कि जिन चीज़ों को तुम लोग पूजते हो मैं यक़ीनन उससे बेज़ार हूँ

27

إِلَّا الَّذِي فَطَرَنِي فَإِنَّهُ سَيَهْدِينِ

मगर उसकी इबादत करता हूँ, जिसने मुझे पैदा किया तो वही बहुत जल्द मेरी हिदायत करेगा

28

وَجَعَلَهَا كَلِمَةً بَاقِيَةً فِي عَقِبِهِ لَعَلَّهُمْ يَرْجِعُونَ

और उसी (ईमान) को इब्राहीम ने अपनी औलाद में हमेशा बाक़ी रहने वाली बात छोड़ गए ताकि वह (ख़ुदा की तरफ रूजू) करें

29

بَلْ مَتَّعْتُ هَؤُلَاءِ وَآبَاءَهُمْ حَتَّى جَاءَهُمُ الْحَقُّ وَرَسُولٌ مُبِينٌ

बल्कि मैं उनको और उनके बाप दादाओं को फायदा पहुँचाता रहा यहाँ तक कि उनके पास (दीने) हक़ और साफ़ साफ़ बयान करने वाला रसूल आ पहुँचा

30

وَلَمَّا جَاءَهُمُ الْحَقُّ قَالُوا هَذَا سِحْرٌ وَإِنَّا بِهِ كَافِرُونَ

और जब उनके पास (दीन) हक़ आ गया तो कहने लगे ये तो जादू है और हम तो हरगिज़ इसके मानने वाले नहीं

31

وَقَالُوا لَوْلَا نُزِّلَ هَذَا الْقُرْآنُ عَلَى رَجُلٍ مِنَ الْقَرْيَتَيْنِ عَظِيمٍ

और कहने लगे कि ये क़ुरान इन दो बस्तियों (मक्के ताएफ) में से किसी बड़े आदमी पर क्यों नहीं नाज़िल किया गया

32

أَهُمْ يَقْسِمُونَ رَحْمَتَ رَبِّكَ ۚ

ये लोग तुम्हारे परवरदिगार की रहमत को (अपने तौर पर) बाँटते हैं

نَحْنُ قَسَمْنَا بَيْنَهُمْ مَعِيشَتَهُمْ فِي الْحَيَاةِ الدُّنْيَا ۚ

हमने तो इनके दरमियान उनकी रोज़ी दुनयावी ज़िन्दगी में बाँट ही दी है

وَرَفَعْنَا بَعْضَهُمْ فَوْقَ بَعْضٍ دَرَجَاتٍ لِيَتَّخِذَ بَعْضُهُمْ بَعْضًا سُخْرِيًّا ۗ

और एक के दूसरे पर दर्जे बुलन्द किए हैं ताकि इनमें का एक दूसरे से ख़िदमत ले

وَرَحْمَتُ رَبِّكَ خَيْرٌ مِمَّا يَجْمَعُونَ  

और जो माल (मतआ) ये लोग जमा करते फिरते हैं ख़ुदा की रहमत (पैग़म्बर) इससे कहीं बेहतर है

33

وَلَوْلَا أَنْ يَكُونَ النَّاسُ أُمَّةً وَاحِدَةً لَجَعَلْنَا لِمَنْ يَكْفُرُ بِالرَّحْمَنِ لِبُيُوتِهِمْ سُقُفًا مِنْ فِضَّةٍ وَمَعَارِجَ عَلَيْهَا يَظْهَرُونَ

और अगर ये बात न होती कि (आख़िर) सब लोग एक ही तरीक़े के हो जाएँगे तो हम उनके लिए जो ख़ुदा से इन्कार करते हैं

उनके घरों की छतें और वही सीढ़ियाँ जिन पर वह चढ़ते हैं (उतरते हैं) चाँदी और सोने के बना देते

34

وَلِبُيُوتِهِمْ أَبْوَابًا وَسُرُرًا عَلَيْهَا يَتَّكِئُونَ

और उनके घरों के दरवाज़े भी और वह तख्त भी जिन पर तकिये लगाते हैं

35

وَزُخْرُفًا ۚ

ये सब साज़ो सामान,

وَإِنْ كُلُّ ذَلِكَ لَمَّا مَتَاعُ الْحَيَاةِ الدُّنْيَا ۚ

तो बस दुनियावी ज़िन्दगी के (चन्द रोज़ा) साज़ो सामान हैं (जो मिट जाएँगे)

وَالْآخِرَةُ عِنْدَ رَبِّكَ لِلْمُتَّقِينَ

और आख़ेरत (का सामान) तो तुम्हारे परवरदिगार के यहॉ ख़ास परहेज़गारों के लिए है

36

وَمَنْ يَعْشُ عَنْ ذِكْرِ الرَّحْمَنِ نُقَيِّضْ لَهُ شَيْطَانًا فَهُوَ لَهُ قَرِينٌ

और जो शख़्श ख़ुदा की चाह से अन्धा बनता है हम (गोया ख़ुद) उसके वास्ते शैतान मुक़र्रर कर देते हैं तो वही उसका (हर दम का) साथी है

37

وَإِنَّهُمْ لَيَصُدُّونَهُمْ عَنِ السَّبِيلِ وَيَحْسَبُونَ أَنَّهُمْ مُهْتَدُونَ  

और वह (शयातीन) उन लोगों को (ख़ुदा की) राह से रोकते रहते हैं बावजूद इसके वह उसी ख्याल में हैं कि वह यक़ीनी राहे रास्त पर हैं

38

حَتَّى إِذَا جَاءَنَا قَالَ يَا لَيْتَ بَيْنِي وَبَيْنَكَ بُعْدَ الْمَشْرِقَيْنِ

यहाँ तक कि जब (क़यामत में) हमारे पास आएगा तो (अपने साथी शैतान से) कहेगा काश मुझमें और तुममें पूरब पश्चिम का फ़ासला होता

فَبِئْسَ الْقَرِينُ  

ग़रज़ (शैतान भी) क्या ही बुरा रफीक़ है

39

وَلَنْ يَنْفَعَكُمُ الْيَوْمَ إِذْ ظَلَمْتُمْ أَنَّكُمْ فِي الْعَذَابِ مُشْتَرِكُونَ  

और जब तुम नाफरमानियाँ कर चुके तो (शयातीन के साथ) तुम्हारा अज़ाब में शरीक होना भी आज तुमको (अज़ाब की कमी में) कोई फायदा नहीं पहुँचा सकता

40

أَفَأَنْتَ تُسْمِعُ الصُّمَّ أَوْ تَهْدِي الْعُمْيَ وَمَنْ كَانَ فِي ضَلَالٍ مُبِينٍ  

तो (ऐ रसूल) क्या तुम बहरों को सुना सकते हो या अन्धे को रास्ता दिखा सकते हो

और उस शख़्श को जो सरीही गुमराही में पड़ा हो

(हरगिज़ नहीं)

41

فَإِمَّا نَذْهَبَنَّ بِكَ فَإِنَّا مِنْهُمْ مُنْتَقِمُونَ

तो अगर हम तुमको (दुनिया से) ले भी जाएँ तो भी हमको उनसे बदला लेना ज़रूरी है

42

أَوْ نُرِيَنَّكَ الَّذِي وَعَدْنَاهُمْ فَإِنَّا عَلَيْهِمْ مُقْتَدِرُونَ 

या (तुम्हारी ज़िन्दगी ही में) जिस अज़ाब का हमने उनसे वायदा किया है तुमको दिखा दें

तो उन पर हर तरह क़ाबू रखते हैं

43

فَاسْتَمْسِكْ بِالَّذِي أُوحِيَ إِلَيْكَ ۖ

तो तुम्हारे पास जो वही भेजी गयी है तुम उसे मज़बूत पकड़े रहो

إِنَّكَ عَلَى صِرَاطٍ مُسْتَقِيمٍ

इसमें शक़ नहीं कि तुम सीधी राह पर हो

44

وَإِنَّهُ لَذِكْرٌ لَكَ وَلِقَوْمِكَ ۖ

और ये (क़ुरान) तुम्हारे लिए और तुम्हारी क़ौम के लिए नसीहत है

وَسَوْفَ تُسْأَلُونَ

और अनक़रीब ही तुम लोगों से इसकी बाज़पुर्स की जाएगी  

45

وَاسْأَلْ مَنْ أَرْسَلْنَا مِنْ قَبْلِكَ مِنْ رُسُلِنَا

और हमने तुमसे पहले अपने जितने पैग़म्बर भेजे हैं उन सब से दरियाफ्त कर देखो

أَجَعَلْنَا مِنْ دُونِ الرَّحْمَنِ آلِهَةً يُعْبَدُونَ  

did We appoint any deities other than (Allah) Most Gracious, to be worshipped?

क्या हमने ख़ुदा कि सिवा और माबूद बनाएा थे कि उनकी इबादत की जाए

46

وَلَقَدْ أَرْسَلْنَا مُوسَى بِآيَاتِنَا إِلَى فِرْعَوْنَ وَمَلَئِهِ

और हम ही ने यक़ीनन मूसा को अपनी निशानियाँ देकर फिरऔन और उसके दरबारियों के पास (पैग़म्बर बनाकर) भेजा था

فَقَالَ إِنِّي رَسُولُ رَبِّ الْعَالَمِينَ

तो मूसा ने कहा कि मैं सारे जहॉन के पालने वाले (ख़ुदा) का रसूल हूँ

47

فَلَمَّا جَاءَهُمْ بِآيَاتِنَا إِذَا هُمْ مِنْهَا يَضْحَكُونَ  

तो जब मूसा उन लोगों के पास हमारे मौजिज़े लेकर आए तो वह लोग उन मौजिज़ों की हँसी उड़ाने लगे

48

وَمَا نُرِيهِمْ مِنْ آيَةٍ إِلَّا هِيَ أَكْبَرُ مِنْ أُخْتِهَا ۖ

और हम जो मौजिज़ा उन को दिखाते थे वह दूसरे से बढ़ कर होता था

وَأَخَذْنَاهُمْ بِالْعَذَابِ لَعَلَّهُمْ يَرْجِعُونَ

and We seized them with Punishment, in order that they might turn (to Us).

और आख़िर हमने उनको अज़ाब में गिरफ्तार किया ताकि ये लोग बाज़ आएँ

49

وَقَالُوا يَا أَيُّهَ السَّاحِرُ ادْعُ لَنَا رَبَّكَ بِمَا عَهِدَ عِنْدَكَ إِنَّنَا لَمُهْتَدُونَ  

और (जब अज़ाब में गिरफ्तार हुए तो मूसा से) कहने लगे ऐ जादूगर

इस एहद के मुताबिक़ जो तुम्हारे परवरदिगार ने तुमसे किया है हमारे वास्ते दुआ कर (अगर अब की छूटे) तो हम ज़रूर ऊपर आ जाएँगे

50

فَلَمَّا كَشَفْنَا عَنْهُمُ الْعَذَابَ إِذَا هُمْ يَنْكُثُونَ  

But when We removed the Penalty from them, behold, they broke their word.

फिर जब हमने उनसे अज़ाब को हटा दिया तो वह फौरन (अपना) अहद तोड़ बैठे

51

وَنَادَى فِرْعَوْنُ فِي قَوْمِهِ قَالَ يَا قَوْمِ أَلَيْسَ لِي مُلْكُ مِصْرَوَهَذِهِ الْأَنْهَارُ تَجْرِي مِنْ تَحْتِي ۖ

और फिरऔन ने अपने लोगों में पुकार कर कहा ऐ मेरी क़ौम

क्या (ये) मुल्क मिस्र हमारा नहीं और (क्या) ये नहरें जो हमारे (शाही महल के) नीचे बह रही हैं (हमारी नहीं)

أَفَلَا تُبْصِرُونَ

तो क्या तुमको इतना भी नहीं सूझता

52

أَمْ أَنَا خَيْرٌ مِنْ هَذَا الَّذِي هُوَ مَهِينٌ وَلَا يَكَادُ يُبِينُ

या (सूझता है कि) मैं इस शख़्श (मूसा) से जो एक ज़लील आदमी है और (हकले पन की वजह से) साफ़ गुफ्तगू भी नहीं कर सकता कहीं बहुत बेहतर हूँ

53

فَلَوْلَا أُلْقِيَ عَلَيْهِ أَسْوِرَةٌ مِنْ ذَهَبٍ أَوْ جَاءَ مَعَهُ الْمَلَائِكَةُ مُقْتَرِنِينَ 

(अगर ये बेहतर है) तो इसके लिए सोने के कंगन क्यों नहीं उतारे गये

या उसके साथ फ़रिश्ते जमा होकर आते

54

فَاسْتَخَفَّ قَوْمَهُ فَأَطَاعُوهُ ۚ

ग़रज़ फिरऔन ने (बातें बनाकर) अपनी क़ौम की अक़ल मार दी और वह लोग उसके ताबेदार बन गये

إِنَّهُمْ كَانُوا قَوْمًا فَاسِقِينَ

बेशक वह लोग बदकार थे ही

55

فَلَمَّا آسَفُونَا انْتَقَمْنَا مِنْهُمْ فَأَغْرَقْنَاهُمْ أَجْمَعِينَ 

ग़रज़ जब उन लोगों ने हमको झुझंला दिया तो हमने भी उनसे बदला लिया तो हमने उन सब (के सब) को डुबो दिया

56

فَجَعَلْنَاهُمْ سَلَفًا وَمَثَلًا لِلْآخِرِينَ 

फिर हमने उनको गया गुज़रा और पिछलों के वास्ते इबरत बना दिया

57

وَلَمَّا ضُرِبَ ابْنُ مَرْيَمَ مَثَلًا إِذَا قَوْمُكَ مِنْهُ يَصِدُّونَ

और (ऐ रसूल) जब मरियम के बेटे (ईसा) की मिसाल बयान की गयी तो उससे तुम्हारी क़ौम के लोग खिलखिला कर हंसने लगे

58

وَقَالُوا أَآلِهَتُنَا خَيْرٌ أَمْ هُوَ ۚ

और बोल उठे कि भला हमारे माबूद अच्छे हैं या वह (ईसा)

مَا ضَرَبُوهُ لَكَ إِلَّا جَدَلًا ۚ

उन लोगों ने जो ईसा की मिसाल तुमसे बयान की है तो सिर्फ झगड़ने को

بَلْ هُمْ قَوْمٌ خَصِمُونَ

बल्कि (हक़ तो यह है कि) ये लोग हैं झगड़ालू

59

إِنْ هُوَ إِلَّا عَبْدٌ أَنْعَمْنَا عَلَيْهِ وَجَعَلْنَاهُ مَثَلًا لِبَنِي إِسْرَائِيلَ

ईसा तो बस हमारे एक बन्दे थे जिन पर हमने एहसान किया (नबी बनाया और मौजिज़े दिये)

और उनको हमने बनी इसराईल के लिए (अपनी कुदरत का) नमूना बनाया

60

وَلَوْ نَشَاءُ لَجَعَلْنَا مِنْكُمْ مَلَائِكَةً فِي الْأَرْضِ يَخْلُفُونَ

और अगर हम चाहते तो तुम ही लोगों में से (किसी को) फ़रिश्ते बना देते जो तुम्हारी जगह ज़मीन में रहते

61

وَإِنَّهُ لَعِلْمٌ لِلسَّاعَةِ فَلَا تَمْتَرُنَّ بِهَا وَاتَّبِعُونِ ۚ

और वह तो यक़ीनन क़यामत की एक रौशन दलील है

तुम लोग इसमें हरगिज़ यक़ न करो और मेरी पैरवी करो

هَذَا صِرَاطٌ مُسْتَقِيمٌ

यही सीधा रास्ता है

62

وَلَا يَصُدَّنَّكُمُ الشَّيْطَانُ ۖ إِنَّهُ لَكُمْ عَدُوٌّ مُبِينٌ  

और (कहीं) शैतान तुम लोगों को (इससे) रोक न दे

वही यक़ीनन तुम्हारा खुल्लम खुल्ला दुश्मन है

63

وَلَمَّا جَاءَ عِيسَى بِالْبَيِّنَاتِ قَالَ

और जब ईसा वाज़ेए व रौशन मौजिज़े लेकर आये तो (लोगों से) कहा When Jesus came with Clear Signs, he said:

قَدْ جِئْتُكُمْ بِالْحِكْمَةِ وَلِأُبَيِّنَ لَكُمْ بَعْضَ الَّذِي تَخْتَلِفُونَ فِيهِ ۖ فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ 

मैं तुम्हारे पास दानाई (की किताब) लेकर आया हूँ ताकि बाज़ बातें जिन में तुम लोग एख्तेलाफ करते थे तुमको साफ-साफ बता दूँ

तो तुम लोग ख़ुदा से डरो और मेरा कहा मानो

64

إِنَّ اللَّهَ هُوَ رَبِّي وَرَبُّكُمْ فَاعْبُدُوهُ ۚ

बेशक ख़ुदा ही मेरा और तुम्हार परवरदिगार है तो उसी की इबादत करो

هَذَا صِرَاطٌ مُسْتَقِيمٌ

यही सीधा रास्ता है

65

فَاخْتَلَفَ الْأَحْزَابُ مِنْ بَيْنِهِمْ ۖ

तो इनमें से कई फिरक़े उनसे एख्तेलाफ करने लगे

فَوَيْلٌ لِلَّذِينَ ظَلَمُوا مِنْ عَذَابِ يَوْمٍ أَلِيمٍ

तो जिन लोगों ने ज़ुल्म किया उन पर दर्दनांक दिन के अज़ब से अफ़सोस है

66

هَلْ يَنْظُرُونَ إِلَّا السَّاعَةَ أَنْ تَأْتِيَهُمْ بَغْتَةً وَهُمْ لَا يَشْعُرُونَ

क्या ये लोग बस क़यामत के ही मुन्ज़िर बैठे हैं कि अचानक ही उन पर आ जाए और उन को ख़बर तक न हो

67

الْأَخِلَّاءُ يَوْمَئِذٍ بَعْضُهُمْ لِبَعْضٍ عَدُوٌّ إِلَّا الْمُتَّقِينَ

(दिली) दोस्त इस दिन (बाहम) एक दूसरे के दुशमन होगें मगर परहेज़गार )कि वह दोस्त ही रहेगें(

68

يَا عِبَادِ لَا خَوْفٌ عَلَيْكُمُ الْيَوْمَ وَلَا أَنْتُمْ تَحْزَنُونَ

और ख़ुदा उनसे कहेगा ऐ मेरे बन्दों आज न तो तुमको कोई ख़ौफ है और न तुम ग़मग़ीन होगे

69

الَّذِينَ آمَنُوا بِآيَاتِنَا وَكَانُوا مُسْلِمِينَ

(यह) वह लोग हैं जो हमारी आयतों पर ईमान लाए और (हमारे) फ़रमाबरदार थे

70

ادْخُلُوا الْجَنَّةَ أَنْتُمْ وَأَزْوَاجُكُمْ تُحْبَرُونَ

तो तुम अपनी बीवियों समैत एजाज़ व इकराम से बेहिश्त में दाखिल हो जाओ

71

يُطَافُ عَلَيْهِمْ بِصِحَافٍ مِنْ ذَهَبٍ وَأَكْوَابٍ ۖ

उन पर सोने की एक रिक़ाबियों और प्यालियों का दौर चलेगा

وَفِيهَا مَا تَشْتَهِيهِ الْأَنْفُسُ وَتَلَذُّ الْأَعْيُنُ ۖ وَأَنْتُمْ فِيهَا خَالِدُونَ

और वहाँ जिस चीज़ को जी चाहे और जिससे ऑंखें लज्ज़त उठाएं (सब मौजूद हैं) और तुम उसमें हमेशा रहोगे

72

وَتِلْكَ الْجَنَّةُ الَّتِي أُورِثْتُمُوهَا بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ

और ये जन्नत जिसके तुम वारिस (हिस्सेदार) कर दिये गये हो तुम्हारी क़ारगुज़ारियों का सिला है

73

لَكُمْ فِيهَا فَاكِهَةٌ كَثِيرَةٌ مِنْهَا تَأْكُلُونَ

वहाँ तुम्हारे वास्ते बहुत से मेवे हैं जिनको तुम खाओगे

74

إِنَّ الْمُجْرِمِينَ فِي عَذَابِ جَهَنَّمَ خَالِدُونَ

(गुनाहगार कुफ्फ़ार) तो यक़ीकन जहन्नुम के अज़ाब में हमेशा रहेगें

75

لَا يُفَتَّرُ عَنْهُمْ وَهُمْ فِيهِ مُبْلِسُونَ

जो उनसे कभी नाग़ा न किया जाएगा और वह इसी अज़ाब में नाउम्मीद होकर रहेंगें

76

وَمَا ظَلَمْنَاهُمْ وَلَكِنْ كَانُوا هُمُ الظَّالِمِينَ

और हमने उन पर कोई ज़ुल्म नहीं किया बल्कि वह लोग ख़ुद अपने ऊपर ज़ुल्म कर रहे हैं

77

وَنَادَوْا يَا مَالِكُ لِيَقْضِ عَلَيْنَا رَبُّكَ ۖ

और (जहन्नुमी) पुकारेगें कि ऐ मालिक (दरोग़ा ए जहन्नुम कोई तरकीब करो) तुम्हारा परवरदिगार हमें मौत ही दे दे

قَالَ إِنَّكُمْ مَاكِثُونَ

वह जवाब देगा कि तुमको इसी हाल में रहना है

78

لَقَدْ جِئْنَاكُمْ بِالْحَقِّ وَلَكِنَّ أَكْثَرَكُمْ لِلْحَقِّ كَارِهُونَ

(ऐ कुफ्फ़ार मक्का) हम तो तुम्हारे पास हक़ लेकर आयें हैं तुम मे से बहुत से हक़ (बात से चिढ़ते) हैं

79

‏ أَمْ أَبْرَمُوا أَمْرًا فَإِنَّا مُبْرِمُونَ

क्या उन लोगों ने कोई बात ठान ली है हमने भी (कुछ ठान लिया है)

80

أَمْ يَحْسَبُونَ أَنَّا لَا نَسْمَعُ سِرَّهُمْ وَنَجْوَاهُمْ ۚ

क्या ये लोग कुछ समझते हैं कि हम उनके भेद और उनकी सरग़ोशियों को नहीं सुनते

بَلَى وَرُسُلُنَا لَدَيْهِمْ يَكْتُبُونَ

हॉ (ज़रूर सुनते हैं) और हमारे फ़रिश्ते उनके पास हैं और उनकी सब बातें लिखते जाते हैं

81

قُلْ إِنْ كَانَ لِلرَّحْمَنِ وَلَدٌ فَأَنَا أَوَّلُ الْعَابِدِينَ

(ऐ रसूल) तुम कह दो कि अगर ख़ुदा की कोई औलाद होती तो मैं सबसे पहले उसकी इबादत को तैयार हूँ

82

سُبْحَانَ رَبِّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ رَبِّ الْعَرْشِ عَمَّا يَصِفُونَ

ये लोग जो कुछ बयान करते हैं सारे आसमान व ज़मीन का मालिक अर्श का मालिक (ख़ुदा) उससे पाक व पाक़ीज़ा है

83

فَذَرْهُمْ يَخُوضُوا وَيَلْعَبُوا حَتَّى يُلَاقُوا يَوْمَهُمُ الَّذِي يُوعَدُونَ

तो तुम उन्हें छोड़ दो कि पड़े बक बक करते और खेलते रहते हैं यहाँ तक कि जिस दिन का उनसे वायदा किया जाता है उनके सामने आ मौजूद हो

84

وَهُوَ الَّذِي فِي السَّمَاءِ إِلَهٌ وَفِي الْأَرْضِ إِلَهٌ ۚ

और आसमान में भी उसी की इबादत की जाती है और वही ज़मीन में भी माबूद है

وَهُوَ الْحَكِيمُ الْعَلِيمُ

और वही वाकिफ़कार हिकमत वाला है

85

وَتَبَارَكَ الَّذِي لَهُ مُلْكُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا

और वही बहुत बाबरकत है जिसके लिए सारे आसमान व ज़मीन और दोनों के दरमियान की हुक़ुमत है

وَعِنْدَهُ عِلْمُ السَّاعَةِ وَإِلَيْهِ تُرْجَعُونَ

और क़यामत की ख़बर भी उसी को है और तुम लोग उसकी तरफ लौटाए जाओगे

86

وَلَا يَمْلِكُ الَّذِينَ يَدْعُونَ مِنْ دُونِهِ الشَّفَاعَةَ

और ख़ुदा के सिवा जिनकी ये लोग इबादत करतें हैं वह तो सिफारिश का भी एख्तेयार नहीं रख़ते

إِلَّا مَنْ شَهِدَ بِالْحَقِّ وَهُمْ يَعْلَمُونَ

मगर (हॉ) जो लोग समझ बूझ कर हक़ बात (तौहीद) की गवाही दें (तो खैर)

87

وَلَئِنْ سَأَلْتَهُمْ مَنْ خَلَقَهُمْ لَيَقُولُنَّ اللَّهُ ۖ

और अगर तुम उनसे पूछोगे कि उनको किसने पैदा किया तो ज़रूर कह देगें कि अल्लाह ने

فَأَنَّى يُؤْفَكُونَ

फिर (बावजूद इसके) ये कहाँ बहके जा रहे हैं

88

وَقِيلِهِ يَا رَبِّ إِنَّ هَؤُلَاءِ قَوْمٌ لَا يُؤْمِنُونَ

और (उसी को) रसूल के उस क़ौल का भी इल्म है कि परवरदिगार ये लोग हरगिज़ ईमान न लाएँगे

89

فَاصْفَحْ عَنْهُمْ وَقُلْ سَلَامٌ ۚ

तो तुम उनसे मुँह फेर लो और कह दो कि तुम को सलाम

فَسَوْفَ يَعْلَمُونَ

तो उन्हें अनक़रीब ही (शरारत का नतीजा) मालूम हो जाएगा

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Zahid Javed Rana, Abid Javed Rana,

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