Quran Hindi TranslationSurah Al Shu'araTranslation by Mufti Mohammad Mohiuddin Khan |
1 |
طسم ता सीन मीम |
2 |
تِلْكَ آيَاتُ الْكِتَابِ الْمُبِينِ ये वाज़ेए व रौशन किताब की आयतें है |
3 |
لَعَلَّكَ بَاخِعٌ نَفْسَكَ أَلَّا يَكُونُوا مُؤْمِنِينَ (ऐ रसूल) शायद तुम (इस फिक्र में) अपनी जान हलाक कर डालोगे कि ये (कुफ्फार) मोमिन क्यो नहीं हो जाते |
4 |
إِنْ نَشَأْ نُنَزِّلْ عَلَيْهِمْ مِنَ السَّمَاءِ آيَةً فَظَلَّتْ أَعْنَاقُهُمْ لَهَا خَاضِعِينَ अगर हम चाहें तो उन लोगों पर आसमान से कोई ऐसा मौजिज़ा नाज़िल करें कि उन लोगों की गर्दनें उसके सामने झुक जाएँ |
5 |
وَمَا يَأْتِيهِمْ مِنْ ذِكْرٍ مِنَ الرَّحْمَنِ مُحْدَثٍ إِلَّا كَانُوا عَنْهُ مُعْرِضِينَ और (लोगों का क़ायदा है कि) जब उनके पास कोई कोई नसीहत की बात ख़ुदा की तरफ से आयी तो ये लोग उससे मुँह फेरे बगैर नहीं रहे |
6 |
فَقَدْ كَذَّبُوا فَسَيَأْتِيهِمْ أَنْبَاءُ مَا كَانُوا بِهِ يَسْتَهْزِئُونَ उन लोगों ने झुठलाया ज़रुर तो अनक़रीब ही (उन्हें) इस (अज़ाब) की हक़ीकत मालूम हो जाएगी जिसकी ये लोग हँसी उड़ाया करते थे |
7 |
أَوَلَمْ يَرَوْا إِلَى الْأَرْضِ كَمْ أَنْبَتْنَا فِيهَا مِنْ كُلِّ زَوْجٍ كَرِيمٍ क्या इन लोगों ने ज़मीन की तरफ भी (ग़ौर से) नहीं देखा कि हमने हर रंग की उम्दा उम्दा चीजें उसमें किस कसरत से उगायी हैं |
8 |
إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ यक़ीनन इसमें (भी क़ुदरत) ख़ुदा की एक बड़ी निशानी है मगर उनमें से अक्सर ईमान लाने वाले ही नहीं |
9 |
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ और इसमें शक नहीं कि तेरा परवरदिगार यक़ीनन (हर चीज़ पर) ग़ालिब (और) मेहरबान है |
10 |
وَإِذْ نَادَى رَبُّكَ مُوسَى أَنِ ائْتِ الْقَوْمَ الظَّالِمِينَ (ऐ रसूल वह वक्त याद करो) जब तुम्हारे परवरदिगार ने मूसा को आवाज़ दी कि (इन) ज़ालिमों के पास जाओ (हिदायत करो) |
11 |
قَوْمَ فِرْعَوْنَ ۚأَلَا يَتَّقُونَ फिरऔन की क़ौम के पास क्या ये लोग (मेरे ग़ज़ब से) डरते नहीं है |
12 |
قَالَ رَبِّ إِنِّي أَخَافُ أَنْ يُكَذِّبُونِ मूसा ने अर्ज़ कि परवरदिगार मैं डरता हूँ कि (मुबादा) वह लोग मुझे झुठला दे |
13 |
وَيَضِيقُ صَدْرِي وَلَا يَنْطَلِقُ لِسَانِي فَأَرْسِلْ إِلَى هَارُونَ और (उनके झुठलाने से) मेरा दम रुक जाए और मेरी ज़बान (अच्छी तरह) न चले तो हारुन के पास पैग़ाम भेज दे (कि मेरा साथ दे) |
14 |
وَلَهُمْ عَلَيَّ ذَنْبٌ فَأَخَافُ أَنْ يَقْتُلُونِ (और इसके अलावा) उनका मेरे सर एक जुर्म भी है (कि मैने एक शख्स को मार डाला था) तो मैं डरता हूँ कि (शायद) मुझे ये लाग मार डालें |
15 |
قَالَ كَلَّا ۖ ख़ुदा ने कहा हरगिज़ नहीं فَاذْهَبَا بِآيَاتِنَا ۖإِنَّا مَعَكُمْ مُسْتَمِعُونَ अच्छा तुम दोनों हमारी निशानियाँ लेकर जाओ हम तुम्हारे साथ हैं और (सारी गुफ्तगू) अच्छी तरह सुनते हैं |
16 |
فَأْتِيَا فِرْعَوْنَ فَقُولَا إِنَّا رَسُولُ رَبِّ الْعَالَمِينَ ग़रज़ तुम दोनों फिरऔन के पास जाओ और कह दो कि हम सारे जहाँन के परवरदिगार के रसूल हैं |
17 |
أَنْ أَرْسِلْ مَعَنَا بَنِي إِسْرَائِيلَ (और पैग़ाम लाएँ हैं) कि आप बनी इसराइल को हमारे साथ भेज दीजिए (चुनान्चे मूसा गए और कहा) |
18 |
قَالَ أَلَمْ نُرَبِّكَ فِينَا وَلِيدًا وَلَبِثْتَ فِينَا مِنْ عُمُرِكَ سِنِينَ फिरऔन बोला (मूसा) क्या हमने तुम्हें यहाँ रख कर बचपने में तुम्हारी परवरिश नहीं की और तुम अपनी उम्र से बरसों हम मे रह सह चुके हो |
19 |
وَفَعَلْتَ فَعْلَتَكَ الَّتِي فَعَلْتَ وَأَنْتَ مِنَ الْكَافِرِينَ और तुम अपना वह काम (ख़ून क़िब्ती) जो कर गए और तुम (बड़े) नाशुक्रे हो |
20 |
قَالَ فَعَلْتُهَا إِذًا وَأَنَا مِنَ الضَّالِّينَ मूसा ने कहा (हाँ) मैने उस वक्त उस काम को किया जब मै हालते ग़फलत में था |
21 |
فَفَرَرْتُ مِنْكُمْ لَمَّا خِفْتُكُمْ فَوَهَبَ لِي رَبِّي حُكْمًا وَجَعَلَنِي مِنَ الْمُرْسَلِينَ फिर जब मै आप लोगों से डरा तो भाग खड़ा हुआ फिर (कुछ अरसे के बाद) मेरे परवरदिगार ने मुझे नुबूवत अता फरमायी और मुझे भी एक पैग़म्बर बनाया |
22 |
وَتِلْكَ نِعْمَةٌ تَمُنُّهَا عَلَيَّ أَنْ عَبَّدْتَ بَنِي إِسْرَائِيلَ और ये भी कोई एहसान हे जिसे आप मुझ पर जता रहे है कि आप ने बनी इसराईल को ग़ुलाम बना रखा है |
23 |
قَالَ فِرْعَوْنُ وَمَا رَبُّ الْعَالَمِينَ फिरऔन ने पूछा (अच्छा ये तो बताओ) रब्बुल आलमीन क्या चीज़ है |
24 |
قَالَ رَبُّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا إِنْ كُنْتُمْ مُوقِنِينَ मूसा ने कहाँ सारे आसमान व ज़मीन का और जो कुछ इन दोनों के दरमियान है (सबका) मालिक अगर आप लोग यक़ीन कीजिए (तो काफी है) |
25 |
قَالَ لِمَنْ حَوْلَهُ أَلَا تَسْتَمِعُونَ फिरऔन ने उन लोगो से जो उसके इर्द गिर्द (बैठे) थे कहा क्या तुम लोग नहीं सुनते हो |
26 |
قَالَ رَبُّكُمْ وَرَبُّ آبَائِكُمُ الْأَوَّلِينَ मूसा ने कहा (वही ख़ुदा जो कि) तुम्हारा परवरदिगार और तुम्हारे बाप दादाओं का परवरदिगार है |
27 |
قَالَ إِنَّ رَسُولَكُمُ الَّذِي أُرْسِلَ إِلَيْكُمْ لَمَجْنُونٌ फिरऔन ने कहा (लोगों) ये रसूल जो तुम्हारे पास भेजा गया है हो न हो दीवाना है |
28 |
قَالَ رَبُّ الْمَشْرِقِ وَالْمَغْرِبِ وَمَا بَيْنَهُمَا ۖ إِنْ كُنْتُمْ تَعْقِلُونَ मूसा ने कहा (वह ख़ुदा जो) पूरब पश्चिम और जो कुछ इन दोनों के दरमियान (सबका) मालिक है अगर तुम समझते हो (तो यही काफी है) |
29 |
قَالَ لَئِنِ اتَّخَذْتَ إِلَهًا غَيْرِي لَأَجْعَلَنَّكَ مِنَ الْمَسْجُونِينَ फिरऔन ने कहा अगर तुम मेरे सिवा किसी और को (अपना) ख़ुदा बनाया है तो मै ज़रुर तुम्हे कैदी बनाऊँगा |
30 |
قَالَ أَوَلَوْ جِئْتُكَ بِشَيْءٍ مُبِينٍ मूसा ने कहा अगरचे मैं आपको एक वाजेए व रौशन मौजिज़ा भी दिखाऊ (तो भी) |
31 |
قَالَ فَأْتِ بِهِ إِنْ كُنْتَ مِنَ الصَّادِقِينَ फिरऔन ने कहा (अच्छा) तो तुम अगर (अपने दावे में) सच्चे हो तो ला दिखाओ |
32 |
فَأَلْقَى عَصَاهُ فَإِذَا هِيَ ثُعْبَانٌ مُبِينٌ बस (ये सुनते ही) मूसा ने अपनी छड़ी (ज़मीन पर) डाल दी फिर तो यकायक वह एक सरीही अज़दहा बन गया |
33 |
وَنَزَعَ يَدَهُ فَإِذَا هِيَ بَيْضَاءُ لِلنَّاظِرِينَ और (जेब से) अपना हाथ बाहर निकाला तो यकायक देखने वालों के वास्ते बहुत सफेद चमकदार था |
34 |
قَالَ لِلْمَلَإِ حَوْلَهُ إِنَّ هَذَا لَسَاحِرٌ عَلِيمٌ (इस पर) फिरऔन अपने दरबारियों से जो उसके गिर्द (बैठे) थे कहने लगा कि ये तो यक़ीनी बड़ा खिलाड़ी जादूगर है |
35 |
يُرِيدُ أَنْ يُخْرِجَكُمْ مِنْ أَرْضِكُمْ بِسِحْرِهِ فَمَاذَا تَأْمُرُونَ ये तो चाहता है कि अपने जादू के ज़ोर से तुम्हें तुम्हारे मुल्क से बाहर निकाल दे तो तुम लोग क्या हुक्म लगाते हो |
36 |
قَالُوا أَرْجِهْ وَأَخَاهُ وَابْعَثْ فِي الْمَدَائِنِ حَاشِرِينَ दरबारियों ने कहा अभी इसको और इसके भाई को (चन्द) मोहलत दीजिए और तमाम शहरों में जादूगरों के जमा करने को हरकारे रवाना कीजिए |
37 |
يَأْتُوكَ بِكُلِّ سَحَّارٍ عَلِيمٍ कि वह लोग तमाम बड़े बड़े खिलाड़ी जादूगरों की आपके सामने ला हाज़िर करें |
38 |
فَجُمِعَ السَّحَرَةُ لِمِيقَاتِ يَوْمٍ مَعْلُومٍ ग़रज़ वक्ते मुकर्रर हुआ सब जादूगर उस मुक़र्रर के वायदे पर जमा किए गए |
39 |
وَقِيلَ لِلنَّاسِ هَلْ أَنْتُمْ مُجْتَمِعُونَ और लोगों में मुनादी करा दी गयी कि तुम लोग अब भी जमा होगे या नहीं |
40 |
لَعَلَّنَا نَتَّبِعُ السَّحَرَةَ إِنْ كَانُوا هُمُ الْغَالِبِينَ ताकि अगर जादूगर ग़ालिब और वर है तो हम लोग उनकी पैरवी करें |
41 |
فَلَمَّا جَاءَ السَّحَرَةُ قَالُوا لِفِرْعَوْنَ أَئِنَّ لَنَا لَأَجْرًا إِنْ كُنَّا نَحْنُ الْغَالِبِينَ अलग़रज जब सब जादूगर आ गये तो जादूगरों ने फिरऔन से कहा कि अगर हम ग़ालिब आ गए तो हमको यक़ीनन कुछ इनाम (सरकार से) मिलेगा |
42 |
قَالَ نَعَمْ وَإِنَّكُمْ إِذًا لَمِنَ الْمُقَرَّبِينَ फिरऔन ने कहा हा (ज़रुर मिलेगा) और (इनाम क्या चीज़ है) तुम उस वक्त (मेरे) मुकररेबीन (बारगाह) से हो गए |
43 |
قَالَ لَهُمْ مُوسَى أَلْقُوا مَا أَنْتُمْ مُلْقُونَ मूसा ने जादूगरों से कहा (मंत्र व तंत्र) जो कुछ तुम्हें फेंकना हो फेंको |
44 |
فَأَلْقَوْا حِبَالَهُمْ وَعِصِيَّهُمْ وَقَالُوا بِعِزَّةِ فِرْعَوْنَ إِنَّا لَنَحْنُ الْغَالِبُونَ इस पर जादूगरों ने अपनी रस्सियाँ और अपनी छड़ियाँ (मैदान में) डाल दी और कहने लगे फिरऔन के जलाल की क़सम हम ही ज़रुर ग़ालिब रहेंगे |
45 |
فَأَلْقَى مُوسَى عَصَاهُ فَإِذَا هِيَ تَلْقَفُ مَا يَأْفِكُونَ तब मूसा ने अपनी छड़ी डाली तो जादूगरों ने जो कुछ (शोबदे) बनाए थे उसको वह निगलने लगी |
46 |
فَأُلْقِيَ السَّحَرَةُ سَاجِدِينَ ये देखते ही जादूगर लोग सजदे में (मूसा के सामने) गिर पडे |
47 |
قَالُوا آمَنَّا بِرَبِّ الْعَالَمِينَ और कहने लगे हम सारे जहाँ के परवरदिगार पर ईमान लाए |
48 |
رَبِّ مُوسَى وَهَارُونَ जो मूसा और हारुन का परवरदिगार है |
49 |
قَالَ آمَنْتُمْ لَهُ قَبْلَ أَنْ آذَنَ لَكُمْ ۖ फिरऔन ने कहा (हाए) क़ब्ल इसके कि मै तुम्हें इजाज़त दूँ तुम इस पर ईमान ले आए إِنَّهُ لَكَبِيرُكُمُ الَّذِي عَلَّمَكُمُ السِّحْرَ बेशक ये तुम्हारा बड़ा गुरु है जिसने तुम सबको जादू सिखाया है فَلَسَوْفَ تَعْلَمُونَ ۚ तो ख़ैर अभी तुम लोगों को (इसका नतीजा) मालूम हो जाएगा कि لَأُقَطِّعَنَّ أَيْدِيَكُمْ وَأَرْجُلَكُمْ مِنْ خِلَافٍ وَلَأُصَلِّبَنَّكُمْ أَجْمَعِينَ हम यक़ीनन तुम्हारे एक तरफ के हाथ और दूसरी तरफ के पाँव काट डालेगें और तुम सब के सब को सूली देगें |
50 |
قَالُوا لَا ضَيْرَ ۖ إِنَّا إِلَى رَبِّنَا مُنْقَلِبُونَ वह बोले कुछ परवाह नही हमको तो बहरहाल अपने परवरदिगार की तरफ लौट कर जाना है |
51 |
إِنَّا نَطْمَعُ أَنْ يَغْفِرَ لَنَا رَبُّنَا خَطَايَانَا أَنْ كُنَّا أَوَّلَ الْمُؤْمِنِينَ हम चँकि सबसे पहले ईमान लाए है इसलिए ये उम्मीद रखते हैं कि हमारा परवरदिगार हमारी ख़ताएँ माफ कर देगा |
52 |
وَأَوْحَيْنَا إِلَى مُوسَى أَنْ أَسْرِ بِعِبَادِي إِنَّكُمْ مُتَّبَعُونَ और हमने मूसा के पास वही भेजी कि तुम मेरे बन्दों को लेकर रातों रात निकल जाओ क्योंकि तुम्हारा पीछा किया जाएगा |
53 |
فَأَرْسَلَ فِرْعَوْنُ فِي الْمَدَائِنِ حَاشِرِينَ तब फिरऔन ने (लश्कर जमा करने के ख्याल से) तमाम शहरों में (धड़ा धड़) हरकारे रवाना किए |
54 |
إِنَّ هَؤُلَاءِ لَشِرْذِمَةٌ قَلِيلُونَ (और कहा) कि ये लोग मूसा के साथ बनी इसराइल थोड़ी सी (मुट्ठी भर की) जमाअत हैं |
55 |
وَإِنَّهُمْ لَنَا لَغَائِظُونَ और उन लोगों ने हमें सख्त गुस्सा दिलाया है |
56 |
وَإِنَّا لَجَمِيعٌ حَاذِرُونَ और हम सबके सब बा साज़ों सामान हैं (तुम भी आ जाओ कि सब मिलकर ताअककुब करें) |
57 |
فَأَخْرَجْنَاهُمْ مِنْ جَنَّاتٍ وَعُيُونٍ ग़रज़ हमने इन लोगों को (मिस्र के) बाग़ों और चश्मों से निकाल बाहर किया |
58 |
وَكُنُوزٍ وَمَقَامٍ كَرِيمٍ और खज़ानों और इज्ज़त की जगह से |
59 |
كَذَلِكَ وَأَوْرَثْنَاهَا بَنِي إِسْرَائِيلَ (और जो नाफरमानी करे) इसी तरह सज़ा होगी और आख़िर हमने उन्हीं चीज़ों का मालिक बनी इसराइल को बनाया |
60 |
فَأَتْبَعُوهُمْ مُشْرِقِينَ ग़रज़ (मूसा) तो रात ही को चले गए |
61 |
فَلَمَّا تَرَاءَى الْجَمْعَانِ قَالَ أَصْحَابُ مُوسَى إِنَّا لَمُدْرَكُونَ और उन लोगों ने सूरज निकलते उनका पीछा किया तो जब दोनों जमाअतें (इतनी करीब हुयीं कि) एक दूसरे को देखने लगी तो मूसा के साथी (हैरान होकर) कहने लगे कि अब तो पकड़े गए |
62 |
قَالَ كَلَّا ۖ إِنَّ مَعِيَ رَبِّي سَيَهْدِينِ मूसा ने कहा हरगिज़ नहीं क्योंकि मेरे साथ मेरा परवरदिगार है वह फौरन मुझे कोई (मुखलिसी का) रास्ता बता देगा |
63 |
فَأَوْحَيْنَا إِلَى مُوسَى أَنِ اضْرِبْ بِعَصَاكَ الْبَحْرَ ۖ तो हमने मूसा के पास वही भेजी कि अपनी छड़ी दरिया पर मारो فَانْفَلَقَ فَكَانَ كُلُّ فِرْقٍ كَالطَّوْدِ الْعَظِيمِ (मारना था कि) फौरन दरिया फुट के टुकड़े टुकड़े हो गया तो गोया हर टुकड़ा एक बड़ा ऊँचा पहाड़ था |
64 |
وَأَزْلَفْنَا ثَمَّ الْآخَرِينَ और हमने उसी जगह दूसरे फरीक (फिरऔन के साथी) को क़रीब कर दिया |
65 |
وَأَنْجَيْنَا مُوسَى وَمَنْ مَعَهُ أَجْمَعِينَ We delivered Moses and all who were with him; और मूसा और उसके साथियों को हमने (डूबने से) बचा लिया |
66 |
ثُمَّ أَغْرَقْنَا الْآخَرِينَ फिर दूसरे फरीक़ (फिरऔन और उसके साथियों) को डुबोकर हलाक़ कर दिया |
67 |
إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ बेशक इसमें यक़ीनन एक बड़ी इबरत है और उनमें अक्सर ईमान लाने वाले ही न थे |
68 |
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ और इसमें तो शक ही न था कि तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन (सब पर) ग़ालिब और बड़ा मेहरबान है |
69 |
وَاتْلُ عَلَيْهِمْ نَبَأَ إِبْرَاهِيمَ और (ऐ रसूल) उन लोगों के सामने इबराहीम का किस्सा बयान करों |
70 |
إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِ مَا تَعْبُدُونَ जब उन्होंने अपने (मुँह बोले) बाप और अपनी क़ौम से कहा कि तुम लोग किसकी इबादत करते हो |
71 |
قَالُوا نَعْبُدُ أَصْنَامًا فَنَظَلُّ لَهَا عَاكِفِينَ तो वह बोले हम बुतों की इबादत करते हैं और उन्हीं के मुजाविर बन जाते हैं |
72 |
قَالَ هَلْ يَسْمَعُونَكُمْ إِذْ تَدْعُونَ इबराहीम ने कहा भला जब तुम लोग उन्हें पुकारते हो तो वह तुम्हारी कुछ सुनते हैं |
73 |
أَوْ يَنْفَعُونَكُمْ أَوْ يَضُرُّونَ या तम्हें कुछ नफा या नुक़सान पहुँचा सकते हैं |
74 |
قَالُوا بَلْ وَجَدْنَا آبَاءَنَا كَذَلِكَ يَفْعَلُونَ कहने लगे (कि ये सब तो कुछ नहीं) बल्कि हमने अपने बाप दादाओं को ऐसा ही करते पाया है |
75 |
قَالَ أَفَرَأَيْتُمْ مَا كُنْتُمْ تَعْبُدُونَ इबराहीम ने कहा क्या तुमने देखा भी कि जिन चीज़ों की तुम परसतिश करते हो |
76 |
أَنْتُمْ وَآبَاؤُكُمُ الْأَقْدَمُونَ या तुम्हारे अगले बाप दादा (करते थे) हैं |
77 |
فَإِنَّهُمْ عَدُوٌّ لِي إِلَّا رَبَّ الْعَالَمِينَ ये सब मेरे यक़ीनी दुश्मन मगर सारे जहाँ का पालने वाला (वही मेरा दोस्त है) |
78 |
الَّذِي خَلَقَنِي فَهُوَ يَهْدِينِ जिसने मुझे पैदा किया फिर वही मेरी हिदायत करता है |
79 |
وَالَّذِي هُوَ يُطْعِمُنِي وَيَسْقِينِ और वह जो मुझे (खाना) खिलाता है और मुझे (पानी) पिलाता है |
80 |
وَإِذَا مَرِضْتُ فَهُوَ يَشْفِينِ और जब बीमार पड़ता हूँ तो वही मुझे शिफा इनायत फरमाता है |
81 |
وَالَّذِي يُمِيتُنِي ثُمَّ يُحْيِينِ और वह वही हेै जो मुझे मार डालेगा और उसके बाद (फिर) मुझे ज़िन्दा करेगा |
82 |
وَالَّذِي أَطْمَعُ أَنْ يَغْفِرَ لِي خَطِيئَتِي يَوْمَ الدِّينِ और वह वही है जिससे मै उम्मीद रखता हूँ कि क़यामत के दिन मेरी ख़ताओं को बख्श देगा |
83 |
رَبِّ هَبْ لِي حُكْمًا وَأَلْحِقْنِي بِالصَّالِحِينَ परवरदिगार मुझे इल्म व फहम अता फरमा और मुझे नेकों के साथ शामिल कर |
84 |
وَاجْعَلْ لِي لِسَانَ صِدْقٍ فِي الْآخِرِينَ और आइन्दा आने वाली नस्लों में मेरा ज़िक्रे ख़ैर क़ायम रख |
85 |
وَاجْعَلْنِي مِنْ وَرَثَةِ جَنَّةِ النَّعِيمِ और मुझे भी नेअमत के बाग़ (बेहश्त) के वारिसों में से बना |
86 |
وَاغْفِرْ لِأَبِي إِنَّهُ كَانَ مِنَ الضَّالِّينَ और मेरे बाप को बख्श दे क्योंकि वह गुमराहों में से है |
87 |
وَلَا تُخْزِنِي يَوْمَ يُبْعَثُونَ और जिस दिन लोग क़ब्रों से उठाए जाएँगें मुझे रुसवा न करना |
88 |
يَوْمَ لَا يَنْفَعُ مَالٌ وَلَا بَنُونَ जिस दिन न तो माल ही कुछ काम आएगा और न लड़के बाले |
89 |
إِلَّا مَنْ أَتَى اللَّهَ بِقَلْبٍ سَلِيمٍ मगर जो शख्स ख़ुदा के सामने (गुनाहों से) पाक दिल लिए हुए हाज़िर होगा (वह फायदे में रहेगा) |
90 |
وَأُزْلِفَتِ الْجَنَّةُ لِلْمُتَّقِينَ और बेहश्त परहेज़ गारों के क़रीब कर दी जाएगी |
91 |
وَبُرِّزَتِ الْجَحِيمُ لِلْغَاوِينَ और दोज़ख़ गुमराहों के सामने ज़ाहिर कर दी जाएगी |
92 |
وَقِيلَ لَهُمْ أَيْنَ مَا كُنْتُمْ تَعْبُدُونَ और उन लोगों (अहले जहन्नुम) से पूछा जाएगा कि ख़ुदा को छोड़कर जिनकी तुम परसतिश करते थे (आज) वह कहाँ हैं |
93 |
مِنْ دُونِ اللَّهِ भगवान के बजाय هَلْ يَنْصُرُونَكُمْ أَوْ يَنْتَصِرُونَ क्या वह तुम्हारी कुछ मदद कर सकते हैं या वह ख़ुद अपनी आप बाहम मदद कर सकते हैं |
94 |
فَكُبْكِبُوا فِيهَا هُمْ وَالْغَاوُونَ "Then they will be thrown headlong into the (Fire) -- they and those straying in Evil, फिर वह (माबूद) और गुमराह लोग जहन्नुम में औधें मुँह ढकेल दिए जाएँगे |
95 |
وَجُنُودُ إِبْلِيسَ أَجْمَعُونَ और शैतान का लशकर (ग़रज़ सबके सब) |
96 |
قَالُوا وَهُمْ فِيهَا يَخْتَصِمُونَ और ये लोग जहन्नुम में बाहम झगड़ा करेंगे और अपने माबूद से कहेंगे |
97 |
تَاللَّهِ إِنْ كُنَّا لَفِي ضَلَالٍ مُبِينٍ ख़ुदा की क़सम हम लोग तो यक़ीनन सरीही गुमराही में थे |
98 |
إِذْ نُسَوِّيكُمْ بِرَبِّ الْعَالَمِينَ कि हम तुम को सारे जहाँन के पालने वाले (ख़ुदा) के बराबर समझते रहे |
99 |
وَمَا أَضَلَّنَا إِلَّا الْمُجْرِمُونَ और हमको बस (उन) गुनाहगारों ने (जो मुझसे पहले हुए) गुमराह किया |
100 |
فَمَا لَنَا مِنْ شَافِعِينَ तो अब तो न कोई (साहब) मेरी सिफारिश करने वाले हैं |
101 |
وَلَا صَدِيقٍ حَمِيمٍ और न कोई दिलबन्द दोस्त हैं |
102 |
فَلَوْ أَنَّ لَنَا كَرَّةً فَنَكُونَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ तो काश हमें अब दुनिया में दोबारा जाने का मौक़ा मिलता तो हम (ज़रुर) ईमान वालों से होते |
103 |
إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ इबराहीम के इस किस्से में भी यक़ीनन एक बड़ी इबरत है और इनमें से अक्सर ईमान लाने वाले थे भी नहीं |
104 |
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ और इसमे तो शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार (सब पर) ग़ालिब और बड़ा मेहरबान है |
105 |
كَذَّبَتْ قَوْمُ نُوحٍ الْمُرْسَلِينَ (यूँ ही) नूह की क़ौम ने पैग़म्बरो को झुठलाया |
106 |
إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ نُوحٌ أَلَا تَتَّقُونَ कि जब उनसे उन के भाई नूह ने कहा कि तुम लोग (ख़ुदा से) क्यों नहीं डरते |
107 |
إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ मै तो तुम्हारा यक़ीनी अमानत दार पैग़म्बर हूँ |
108 |
فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ तुम खुदा से डरो और मेरी इताअत करो |
109 |
وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَى رَبِّ الْعَالَمِينَ और मैं इस (तबलीग़े रिसालत) पर कुछ उजरत तो माँगता नहीं मेरी उजरत तो बस सारे जहाँ के पालने वाले ख़ुदा पर है |
110 |
فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ तो ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो |
111 |
قَالُوا أَنُؤْمِنُ لَكَ وَاتَّبَعَكَ الْأَرْذَلُونَ वह लोग बोले जब कमीनो मज़दूरों वग़ैरह ने (लालच से) तुम्हारी पैरवी कर ली है तो हम तुम पर क्या ईमान लाएं |
112 |
قَالَ وَمَا عِلْمِي بِمَا كَانُوا يَعْمَلُونَ नूह ने कहा ये लोग जो कुछ करते थे मुझे क्या ख़बर (और क्या ग़रज़) |
113 |
إِنْ حِسَابُهُمْ إِلَّا عَلَى رَبِّي ۖ لَوْ تَشْعُرُونَ इन लोगों का हिसाब तो मेरे परवरदिगार के ज़िम्मे है काश तुम (इतनी) समझ रखते |
114 |
وَمَا أَنَا بِطَارِدِ الْمُؤْمِنِينَ और मै तो ईमानदारों को अपने पास से निकालने वाला नहीं |
115 |
إِنْ أَنَا إِلَّا نَذِيرٌ مُبِينٌ मै तो सिर्फ (अज़ाबे ख़ुदा से) साफ साफ डराने वाला हूँ |
116 |
قَالُوا لَئِنْ لَمْ تَنْتَهِ يَا نُوحُ لَتَكُونَنَّ مِنَ الْمَرْجُومِينَ वह लोग कहने लगे ऐ नूह अगर तुम अपनी हरकत से बाज़ न आओगे तो ज़रुर संगसार कर दिए जाओगे |
117 |
قَالَ رَبِّ إِنَّ قَوۡمِى كَذَّبُونِ नूह ने अर्ज की परवरदिगार मेरी क़ौम ने यक़ीनन मुझे झुठलाया |
118 |
فَافْتَحْ بَيْنِي وَبَيْنَهُمْ فَتْحًا وَنَجِّنِي وَمَنْ مَعِيَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ तो अब तू मेरे और इन लोगों के दरमियान एक क़तई फैसला कर दे और मुझे और जो मोमिनीन मेरे साथ हें उनको नजात दे |
119 |
فَأَنْجَيْنَاهُ وَمَنْ مَعَهُ فِي الْفُلْكِ الْمَشْحُونِ ग़रज़ हमने नूह और उनके साथियों को जो भरी हुई कश्ती में थे नजात दी |
120 |
ثُمَّ أَغْرَقْنَا بَعْدُ الْبَاقِينَ फिर उसके बाद हमने बाक़ी लोगों को ग़रक कर दिया |
121 |
إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ बेशक इसमे भी यक़ीनन बड़ी इबरत है और उनमें से बहुतेरे ईमान लाने वाले ही न थे |
122 |
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ और इसमें तो शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार (सब पर) ग़ालिब मेहरबान है |
123 |
كَذَّبَتْ عَادٌ الْمُرْسَلِينَ (इसी तरह क़ौम) आद ने पैग़म्बरों को झुठलाया |
124 |
إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ هُودٌ أَلَا تَتَّقُونَ जब उनके भाई हूद ने उनसे कहा कि तुम ख़ुदा से क्यों नही डरते |
125 |
إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ मैं तो यक़ीनन तुम्हारा अमानतदार पैग़म्बर हूँ |
126 |
فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ तो ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो |
127 |
وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَى رَبِّ الْعَالَمِينَ मै तो तुम से इस (तबलीग़े रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता मेरी उजरत तो बस सारी ख़ुदायी के पालने वाले (ख़ुदा) पर है |
128 |
أَتَبْنُونَ بِكُلِّ رِيعٍ آيَةً تَعْبَثُونَ तो क्या तुम ऊँची जगह पर बेकार यादगारे बनाते फिरते हो |
129 |
وَتَتَّخِذُونَ مَصَانِعَ لَعَلَّكُمْ تَخْلُدُونَ और बड़े बड़े महल तामीर करते हो गोया तुम हमेशा (यहीं) रहोगे |
130 |
وَإِذَا بَطَشْتُمْ بَطَشْتُمْ جَبَّارِينَ और जब तुम (किसी पर) हाथ डालते हो तो सरकशी से हाथ डालते हो |
131 |
فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ तो तुम ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो |
132 |
وَاتَّقُوا الَّذِي أَمَدَّكُمْ بِمَا تَعْلَمُونَ और उस से डरो जिसने तुम्हारी उन चीज़ों से मदद की जिन्हें तुम खूब जानते हो |
133 |
أَمَدَّكُمْ بِأَنْعَامٍ وَبَنِينَ अच्छा सुनो उसने तुम्हारे चार पायों और लड़के बालों से मदद की |
134 |
وَجَنَّاتٍ وَعُيُونٍ बाग़ों और चश्मों से |
135 |
إِنِّي أَخَافُ عَلَيْكُمْ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍ मै तो यक़ीनन तुम पर एक बड़े (सख्त) रोज़ के अज़ाब से डरता हूँ |
136 |
قَالُوا سَوَاءٌ عَلَيْنَا أَوَعَظْتَ أَمْ لَمْ تَكُنْ مِنَ الْوَاعِظِينَ वह लोग कहने लगे ख्वाह तुम नसीहत करो या न नसीहत करो हमारे वास्ते (सब) बराबर है |
137 |
إِنْ هَذَا إِلَّا خُلُقُ الْأَوَّلِينَ ये (डरावा) तो बस अगले लोगों की आदत है |
138 |
وَمَا نَحْنُ بِمُعَذَّبِينَ हालाँकि हम पर अज़ाब (वग़ैरह अब) किया नहीं जाएगा |
139 |
فَكَذَّبُوهُ فَأَهْلَكْنَاهُمْ ۗ ग़रज़ उन लोगों ने हूद को झुठला दिया तो हमने भी उनको हलाक कर डाला إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ बेशक इस वाक़िये में यक़ीनी एक बड़ी इबरत है और उनमें से बहुतेरे ईमान लाने वाले भी न थे |
140 |
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ और इसमें शक नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन (सब पर) ग़ालिब (और) बड़ा मेहरबान है |
141 |
كَذَّبَتْ ثَمُودُ الْمُرْسَلِينَ (इसी तरह क़ौम) समूद ने पैग़म्बरों को झुठलाया |
142 |
إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ صَالِحٌ أَلَا تَتَّقُونَ जब उनके भाई सालेह ने उनसे कहा कि तुम (ख़ुदा से) क्यो नहीं डरते |
143 |
إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ मैं तो यक़ीनन तुम्हारा अमानतदार पैग़म्बर हूँ |
144 |
فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ तो खुदा से डरो और मेरी इताअत करो |
145 |
وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَى رَبِّ الْعَالَمِينَ और मै तो तुमसे इस (तबलीगे रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता- मेरी मज़दूरी तो बस सारी ख़ुदाई के पालने वाले (ख़ुदा पर है) |
146 |
أَتُتْرَكُونَ فِي مَا هَاهُنَا آمِنِينَ क्या जो चीजें यहाँ (दुनिया में) मौजूद है उन्हीं मे तुम लोग इतमिनान से (हमेशा के लिए) छोड़ दिए जाओगे |
147 |
فِي جَنَّاتٍ وَعُيُونٍ (यानी) बाग़ और चश्में |
148 |
وَزُرُوعٍ وَنَخْلٍ طَلْعُهَا هَضِيمٌ और खेतिया और छुहारे जिनकी कलियाँ लतीफ़ व नाज़ुक होती है |
149 |
وَتَنْحِتُونَ مِنَ الْجِبَالِ بُيُوتًا فَارِهِينَ और (इस वजह से) पूरी महारत और तकलीफ के साथ पहाड़ों को काट काट कर घर बनाते हो |
150 |
فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ तो ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो |
151 |
وَلَا تُطِيعُوا أَمْرَ الْمُسْرِفِينَ और ज्यादती करने वालों का कहा न मानो |
152 |
الَّذِينَ يُفْسِدُونَ فِي الْأَرْضِ وَلَا يُصْلِحُونَ जो रुए ज़मीन पर फ़साद फैलाया करते हैं और (ख़राबियों की) इसलाह नहीं करते |
153 |
قَالُوا إِنَّمَا أَنْتَ مِنَ الْمُسَحَّرِينَ वह लोग बोले कि तुम पर तो बस जादू कर दिया गया है (कि ऐसी बातें करते हो) |
154 |
مَا أَنْتَ إِلَّا بَشَرٌ مِثْلُنَا فَأْتِ بِآيَةٍ إِنْ كُنْتَ مِنَ الصَّادِقِينَ तुम भी तो आख़िर हमारे ही ऐसे आदमी हो पस अगर तुम सच्चे हो तो कोई मौजिज़ा हमारे पास ला (दिखाओ) |
155 |
قَالَ هَذِهِ نَاقَةٌ لَهَا شِرْبٌ وَلَكُمْ شِرْبُ يَوْمٍ مَعْلُومٍ सालेह ने कहा- यही ऊँटनी (मौजिज़ा) है एक बारी इसके पानी पीने की है और एक मुक़र्रर दिन तुम्हारे पीने का |
156 |
وَلَا تَمَسُّوهَا بِسُوءٍ فَيَأْخُذَكُمْ عَذَابُ يَوْمٍ عَظِيمٍ और इसको कोई तकलीफ़ न पहुँचाना वरना एक बड़े (सख्त) ज़ोर का अज़ाब तुम्हे ले डालेगा |
157 |
فَعَقَرُوهَا فَأَصْبَحُوا نَادِمِينَ इस पर भी उन लोगों ने उसके पाँव काट डाले और (उसको मार डाला) फिर खुद पशेमान हुए |
158 |
فَأَخَذَهُمُ الْعَذَابُ ۗ फिर उन्हें अज़ाब ने ले डाला- إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ बेशक इसमें यक़ीनन एक बड़ी इबरत है और इनमें के बहुतेरे ईमान लाने वाले भी न थे |
159 |
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ और इसमें शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार (सब पर) ग़ालिब और मेहरबान है |
160 |
كَذَّبَتْ قَوْمُ لُوطٍ الْمُرْسَلِينَ इसी तरह लूत की क़ौम ने पैग़म्बरों को झुठलाया |
161 |
إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ لُوطٌ أَلَا تَتَّقُونَ जब उनके भाई लूत ने उनसे कहा कि तुम (ख़ुदा से) क्यों नहीं डरते |
162 |
إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ मै तो यक़ीनन तुम्हारा अमानतदार पैग़म्बर हूँ |
163 |
فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ तो ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो |
164 |
وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَى رَبِّ الْعَالَمِينَ और मै तो तुमसे इस (तबलीगे रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता मेरी मज़दूरी तो बस सारी ख़ुदायी के पालने वाले (ख़ुदा) पर है |
165 |
أَتَأْتُونَ الذُّكْرَانَ مِنَ الْعَالَمِينَ क्या तुम लोग (शहवत परस्ती के लिए) सारे जहाँ के लोगों में मर्दों ही के पास जाते हो |
166 |
وَتَذَرُونَ مَا خَلَقَ لَكُمْ رَبُّكُمْ مِنْ أَزْوَاجِكُمْ ۚ और तुम्हारे वास्ते जो बीवियाँ तुम्हारे परवरदिगार ने पैदा की है उन्हें छोड़ देते हो بَلْ أَنْتُمْ قَوْمٌ عَادُونَ (ये कुछ नहीं) बल्कि तुम लोग हद से गुज़र जाने वाले आदमी हो |
167 |
قَالُوا لَئِنْ لَمْ تَنْتَهِ يَا لُوطُ لَتَكُونَنَّ مِنَ الْمُخْرَجِينَ उन लोगों ने कहा ऐ लूत अगर तुम बाज़ न आओगे तो तुम ज़रुर निकल बाहर कर दिए जाओगे |
168 |
قَالَ إِنِّي لِعَمَلِكُمْ مِنَ الْقَالِينَ लूत ने कहा मै यक़ीनन तुम्हारी (नाशाइसता) हरकत से बेज़ार हूँ |
169 |
رَبِّ نَجِّنِي وَأَهْلِي مِمَّا يَعْمَلُونَ (और दुआ की) परवरदिगार जो कुछ ये लोग करते है उससे मुझे और मेरे लड़कों को नजात दे |
170 |
فَنَجَّيْنَاهُ وَأَهْلَهُ أَجْمَعِينَ तो हमने उनको और उनके सब लड़कों को नजात दी |
171 |
إِلَّا عَجُوزًا فِي الْغَابِرِينَ मगर (लूत की) बूढ़ी औरत कि वह पीछे रह गयी (और हलाक हो गयी) |
172 |
ثُمَّ دَمَّرْنَا الْآخَرِينَ फिर हमने उन लोगों को हलाक कर डाला |
173 |
وَأَمْطَرْنَا عَلَيْهِمْ مَطَرًا ۖ فَسَاءَ مَطَرُ الْمُنْذَرِينَ और उन पर हमने (पत्थरों का) मेंह बरसाया तो जिन लोगों को (अज़ाबे ख़ुदा से) डराया गया था उन पर क्या बड़ी बारिश हुई |
174 |
إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ इस वाक़िये में भी एक बड़ी इबरत है और इनमें से बहुतेरे ईमान लाने वाले ही न थे |
175 |
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ और इसमे तो शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन सब पर ग़ालिब (और) बड़ा मेहरबान है |
176 |
كَذَّبَ أَصْحَابُ الْأَيْكَةِ الْمُرْسَلِينَ इसी तरह जंगल के रहने वालों ने (मेरे) पैग़म्बरों को झुठलाया |
177 |
إِذْ قَالَ لَهُمْ شُعَيْبٌ أَلَا تَتَّقُونَ जब शुएब ने उनसे कहा कि तुम (ख़ुदा से) क्यों नहीं डरते |
178 |
إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ मै तो बिला शुबाह तुम्हारा अमानदार हूँ |
179 |
فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ तो ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो |
180 |
وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَى رَبِّ الْعَالَمِينَ मै तो तुमसे इस (तबलीग़े रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता मेरी मज़दूरी तो बस सारी ख़ुदाई के पालने वाले (ख़ुदा) के ज़िम्मे है |
181 |
أَوْفُوا الْكَيْلَ وَلَا تَكُونُوا مِنَ الْمُخْسِرِينَ तुम (जब कोई चीज़ नाप कर दो तो) पूरा पैमाना दिया करो और नुक़सान (कम देने वाले) न बनो |
182 |
وَزِنُوا بِالْقِسْطَاسِ الْمُسْتَقِيمِ और तुम (जब तौलो तो) ठीक तराज़ू से डन्डी सीधी रखकर तौलो |
183 |
وَلَا تَبْخَسُوا النَّاسَ أَشْيَاءَهُمْ وَلَا تَعْثَوْا فِي الْأَرْضِ مُفْسِدِينَ और लोगों को उनकी चीज़े (जो ख़रीदें) कम न ज्यादा करो और ज़मीन से फसाद न फैलाते फिरो |
184 |
وَاتَّقُوا الَّذِي خَلَقَكُمْ وَالْجِبِلَّةَ الْأَوَّلِينَ और उस (ख़ुदा) से डरो जिसने तुम्हे और अगली ख़िलकत को पैदा किया |
185 |
قَالُوا إِنَّمَا أَنْتَ مِنَ الْمُسَحَّرِينَ वह लोग कहने लगे तुम पर तो बस जादू कर दिया गया है (कि ऐसी बातें करते हों) |
186 |
وَمَا أَنْتَ إِلَّا بَشَرٌ مِثْلُنَا وَإِنْ نَظُنُّكَ لَمِنَ الْكَاذِبِينَ और तुम तो हमारे ही ऐसे एक आदमी हो और हम लोग तो तुमको झूठा ही समझते हैं |
187 |
فَأَسْقِطْ عَلَيْنَا كِسَفًا مِنَ السَّمَاءِ إِنْ كُنْتَ مِنَ الصَّادِقِينَ तो अगर तुम सच्चे हो तो हम पर आसमान का एक टुकड़ा गिरा दो |
188 |
قَالَ رَبِّي أَعْلَمُ بِمَا تَعْمَلُونَ और शुएब ने कहा जो तुम लोग करते हो मेरा परवरदिगार ख़ूब जानता है |
189 |
فَكَذَّبُوهُ فَأَخَذَهُمْ عَذَابُ يَوْمِ الظُّلَّةِ ۚ ग़रज़ उन लोगों ने शुएब को झुठलाया तो उन्हें साएबान (अब्र) के अज़ाब ने ले डाला- إِنَّهُ كَانَ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍ इसमे शक नहीं कि ये भी एक बड़े (सख्त) दिन का अज़ाब था |
190 |
إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآيَةً وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ इसमे भी शक नहीं कि इसमें (समझदारों के लिए) एक बड़ी इबरत है और उनमें के बहुतेरे ईमान लाने वाले ही न थे |
191 |
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ और बेशक तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन (सब पर) ग़ालिब (और) बड़ा मेहरबान है |
192 |
وَإِنَّهُ لَتَنْزِيلُ رَبِّ الْعَالَمِينَ और (ऐ रसूल) बेशक ये (क़ुरान) सारी ख़ुदायी के पालने वाले (ख़ुदा) का उतारा हुआ है |
193 |
نَزَلَ بِهِ الرُّوحُ الْأَمِينُ जिसे रुहुल अमीन (जिबरील) लेकर नाज़िल हुए है |
194 |
عَلَى قَلْبِكَ لِتَكُونَ مِنَ الْمُنْذِرِينَ तुम्हारे दिल पर ताकि तुम भी और पैग़म्बरों की तरह लोगों को अज़ाबे ख़ुदा से डराओ |
195 |
بِلِسَانٍ عَرَبِيٍّ مُبِينٍ साफ़ अरबी ज़बान में |
196 |
وَإِنَّهُ لَفِي زُبُرِ الْأَوَّلِينَ और बेशक इसकी ख़बर अगले पैग़म्बरों की किताबों मे (भी मौजूद) है |
197 |
أَوَلَمْ يَكُنْ لَهُمْ آيَةً أَنْ يَعْلَمَهُ عُلَمَاءُ بَنِي إِسْرَائِيلَ क्या उनके लिए ये कोई (काफ़ी) निशानी नहीं है कि इसको उलेमा बनी इसराइल जानते हैं |
198 |
وَلَوْ نَزَّلْنَاهُ عَلَى بَعْضِ الْأَعْجَمِينَ और अगर हम इस क़ुरान को किसी दूसरी ज़बान वाले पर नाज़िल करते |
199 |
فَقَرَأَهُ عَلَيْهِمْ مَا كَانُوا بِهِ مُؤْمِنِينَ और वह उन अरबो के सामने उसको पढ़ता तो भी ये लोग उस पर ईमान लाने वाले न थे |
200 |
كَذَلِكَ سَلَكْنَاهُ فِي قُلُوبِ الْمُجْرِمِينَ इसी तरह हमने (गोया ख़ुद) इस इन्कार को गुनाहगारों के दिलों में राह दी |
201 |
لَا يُؤْمِنُونَ بِهِ حَتَّى يَرَوُا الْعَذَابَ الْأَلِيمَ ये लोग जब तक दर्दनाक अज़ाब को न देख लेगें उस पर ईमान न लाएँगे |
202 |
فَيَأْتِيَهُمْ بَغْتَةً وَهُمْ لَا يَشْعُرُونَ कि वह यकायक इस हालत में उन पर आ पडेग़ा कि उन्हें ख़बर भी न होगी |
203 |
فَيَقُولُوا هَلْ نَحْنُ مُنْظَرُونَ (मगर जब अज़ाब नाज़िल होगा) तो वह लोग कहेंगे कि क्या हमें (इस वक्त क़ुछ) मोहलत मिल सकती है |
204 |
أَفَبِعَذَابِنَا يَسْتَعْجِلُونَ तो क्या ये लोग हमारे अज़ाब की जल्दी कर रहे हैं |
205 |
أَفَرَأَيْتَ إِنْ مَتَّعْنَاهُمْ سِنِينَ तो क्या तुमने ग़ौर किया कि अगर हम उनको सालो साल चैन करने दे |
206 |
ثُمَّ جَاءَهُمْ مَا كَانُوا يُوعَدُونَ उसके बाद जिस (अज़ाब) का उनसे वायदा किया जाता है उनके पास आ पहुँचे |
207 |
مَا أَغْنَى عَنْهُمْ مَا كَانُوا يُمَتَّعُونَ तो जिन चीज़ों से ये लोग चैन किया करते थे कुछ भी काम न आएँगी |
208 |
وَمَا أَهْلَكْنَا مِنْ قَرْيَةٍ إِلَّا لَهَا مُنْذِرُونَ और हमने किसी बस्ती को बग़ैर उसके हलाक़ नहीं किया कि उसके समझाने को (पहले से) डराने वाले (पैग़म्बर भेज दिए) थे |
209 |
ذِكْرَى وَمَا كُنَّا ظَالِمِينَ ताकि नसीहत दें और हम ज़ालिम नहीं है |
210 |
وَمَا تَنَزَّلَتْ بِهِ الشَّيَاطِينُ और इस क़ुरान को शयातीन लेकर नाज़िल नही हुए |
211 |
وَمَا يَنْبَغِي لَهُمْ وَمَا يَسْتَطِيعُونَ और ये काम न तो उनके लिए मुनासिब था और न वह कर सकते थे |
212 |
إِنَّهُمْ عَنِ السَّمْعِ لَمَعْزُولُونَ बल्कि वह तो (वही के) सुनने से महरुम हैं |
213 |
فَلَا تَدْعُ مَعَ اللَّهِ إِلَهًا آخَرَ فَتَكُونَ مِنَ الْمُعَذَّبِينَ (ऐ रसूल) तुम ख़ुदा के साथ किसी दूसरे माबूद की इबादत न करो वरना तुम भी मुबतिलाए अज़ाब किए जाओगे |
214 |
وَأَنْذِرْ عَشِيرَتَكَ الْأَقْرَبِينَ और (ऐ रसूल) तुम अपने क़रीबी रिश्तेदारों को (अज़ाबे ख़ुदा से) डराओ |
215 |
وَاخْفِضْ جَنَاحَكَ لِمَنِ اتَّبَعَكَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ और जो मोमिनीन तुम्हारे पैरो हो गए हैं उनके सामने अपना बाजू झुकाओ |
216 |
فَإِنْ عَصَوْكَ فَقُلْ إِنِّي بَرِيءٌ مِمَّا تَعْمَلُونَ (तो वाज़ेए करो) पस अगर लोग तुम्हारी नाफ़रमानी करें तो तुम (साफ साफ) कह दो कि मैं तुम्हारे करतूतों से बरी उज़ ज़िम्मा हूँ |
217 |
وَتَوَكَّلْ عَلَى الْعَزِيزِ الرَّحِيمِ और तुम उस (ख़ुदा) पर जो सबसे (ग़ालिब और) मेहरबान है भरोसा रखो |
218 |
الَّذِي يَرَاكَ حِينَ تَقُومُ कि जब तुम (नमाजे तहज्जुद में) खड़े होते हो देखता है |
219 |
وَتَقَلُّبَكَ فِي السَّاجِدِينَ और सजदा करने वालों (की जमाअत) में तुम्हारा फिरना (उठना बैठना सजदा रुकूउ वगैरह सब देखता है) |
220 |
إِنَّهُ هُوَ السَّمِيعُ الْعَلِيمُ बेशक वह बड़ा सुनने वाला वाक़िफ़कार है |
221 |
هَلْ أُنَبِّئُكُمْ عَلَى مَنْ تَنَزَّلُ الشَّيَاطِينُ क्या मै तुम्हें बता दूँ कि शयातीन किन लोगों पर नाज़िल हुआ करते हैं |
222 |
تَنَزَّلُ عَلَى كُلِّ أَفَّاكٍ أَثِيمٍ (लो सुनो) ये लोग झूठे बद किरदार पर नाज़िल हुआ करते हैं |
223 |
يُلْقُونَ السَّمْعَ وَأَكْثَرُهُمْ كَاذِبُونَ जो (फ़रिश्तों की बातों पर कान लगाए रहते हैं) कि कुछ सुन पाएँ हालाँकि उनमें के अक्सर तो (बिल्कुल) झूठे हैं |
224 |
وَالشُّعَرَاءُ يَتَّبِعُهُمُ الْغَاوُونَ और शायरों की पैरवी तो गुमराह लोग किया करते हैं |
225 |
أَلَمْ تَرَ أَنَّهُمْ فِي كُلِّ وَادٍ يَهِيمُونَ क्या तुम नहीं देखते कि ये लोग जंगल जंगल सरगिरदॉ मारे मारे फिरते हैं |
226 |
وَأَنَّهُمْ يَقُولُونَ مَا لَا يَفْعَلُونَ और ये लोग ऐसी बाते कहते हैं जो कभी करते नहीं |
227 |
إِلَّا الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ وَذَكَرُوا اللَّهَ كَثِيرًا मगर (हाँ) जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए और क़सरत से ख़ुदा का ज़िक्र किया करते हैं وَانْتَصَرُوا مِنْ بَعْدِ مَا ظُلِمُوا ۗ और जब उन पर ज़ुल्म किया जा चुका उसके बाद उन्होंनें बदला लिया وَسَيَعْلَمُ الَّذِينَ ظَلَمُوا أَيَّ مُنْقَلَبٍ يَنْقَلِبُونَ और जिन लोगों ने ज़ुल्म किया है उन्हें अनक़रीब ही मालूम हो जाएगा कि वह किस जगह लौटाए जाएँगें ********* |
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