1.
(ऐ रसूल) हमनें तुमको को कौसर अता किया,
2.
तो तुम अपने परवरदिगार की नमाज़ पढ़ा करो
3.
और क़ुर्बानी दिया करो बेशक तुम्हारा दुश्मन बे औलाद रहेगा
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