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1. |
जब आसमान फट जाएगा |
2. |
और अपने परवरदिगार का हुक्म बजा लाएगा और उसे वाजिब भी यही है |
3. |
और जब ज़मीन (बराबर करके) तान दी जाएगी |
4. |
और जो कुछ उसमें है उगल देगी और बिल्कुल ख़ाली हो जाएगी |
5. |
और अपने परवरदिगार का हुक्म बजा लाएगी और उस पर लाज़िम भी यही है (तो क़यामत आ जाएगी) |
6. |
ऐ इन्सान तू अपने परवरदिगार की हुज़ूरी की कोशिश करता है तो तू (एक न एक दिन) उसके सामने हाज़िर होगा |
7. |
फिर (उस दिन) जिसका नामाए आमाल उसके दाहिने हाथ में दिया जाएगा |
8. |
उससे तो हिसाब आसान तरीके से लिया जाएगा |
9. |
और (फिर) वह अपने (मोमिनीन के) क़बीले की तरफ ख़ुश ख़ुश पलटेगा |
10. |
लेकिन जिस शख़्श को उसका नामए आमल उसकी पीठ के पीछे से दिया जाएगा |
11. |
वह तो मौत की दुआ करेगा |
12. |
और जहन्नुम वासिल होगा |
13. |
ये शख़्श तो अपने लड़के बालों में मस्त रहता था |
14. |
और समझता था कि कभी (ख़ुदा की तरफ) फिर कर जाएगा ही नहीं |
15. |
हाँ उसका परवरदिगार यक़ीनी उसको देख भाल कर रहा है |
16. |
तो मुझे शाम की मुर्ख़ी की क़सम |
17. |
और रात की और उन चीज़ों की जिन्हें ये ढाँक लेती है |
18. |
और चाँद की जब पूरा हो जाए |
19. |
कि तुम लोग ज़रूर एक सख्ती के बाद दूसरी सख्ती में फँसोगे |
20. |
तो उन लोगों को क्या हो गया है कि ईमान नहीं ईमान नहीं लाते |
21. |
और जब उनके सामने क़ुरान पढ़ा जाता है तो (ख़ुदा का) सजदा नहीं करते (सजदा) |
22. |
बल्कि काफ़िर लोग तो (और उसे) झुठलाते हैं |
23. |
और जो बातें ये लोग अपने दिलों में छिपाते हैं ख़ुदा उसे ख़ूब जानता है |
24. |
तो (ऐ रसूल) उन्हें दर्दनाक अज़ाब की ख़ुशख़बरी दे दो |
25. |
मगर जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे अच्छे काम किए उनके लिए बेइन्तिहा अज्र (व सवाब है) ********* |
© Copy Rights:Zahid Javed Rana, Abid Javed Rana,Lahore, Pakistan |
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