Quran Hindi TranslationSurah Al MursalatTranslation by Mufti Mohammad Mohiuddin Khan |
| 1 |
وَالْمُرْسَلَاتِ عُرْفًا हवाओं की क़सम जो (पहले) धीमी चलती हैं |
| 2 |
فَالْعَاصِفَاتِ عَصْفًا फिर ज़ोर पकड़ के ऑंधी हो जाती हैं |
| 3 |
وَالنَّاشِرَاتِ نَشْرًا और (बादलों को) उभार कर फैला देती हैं |
| 4 |
فَالْفَارِقَاتِ فَرْقًا फिर (उनको) फाड़ कर जुदा कर देती हैं |
| 5 |
فَالْمُلْقِيَاتِ ذِكْرًا फिर फरिश्तों की क़सम जो वही लाते हैं |
| 6 |
عُذْرًا أَوْ نُذْرًا ताकि हुज्जत तमाम हो और डरा दिया जाए |
| 7 |
إِنَّمَا تُوعَدُونَ لَوَاقِعٌ कि जिस बात का तुमसे वायदा किया जाता है वह ज़रूर होकर रहेगा |
| 8 |
فَإِذَا النُّجُومُ طُمِسَتْ फिर जब तारों की चमक जाती रहेगी |
| 9 |
وَإِذَا السَّمَاءُ فُرِجَتْ और जब आसमान फट जाएगा |
| 10 |
وَإِذَا الْجِبَالُ نُسِفَتْ और जब पहाड़ (रूई की तरह) उड़े उड़े फिरेंगे |
| 11 |
وَإِذَا الرُّسُلُ أُقِّتَتْ और जब पैग़म्बर लोग एक मुअय्यन वक्त पर जमा किए जाएँगे |
| 12 |
لِأَيِّ يَوْمٍ أُجِّلَتْ (फिर) भला इन (बातों) में किस दिन के लिए ताख़ीर की गयी है |
| 13 |
لِيَوْمِ الْفَصْلِ फ़ैसले के दिन के लिए |
| 14 |
وَمَا أَدْرَاكَ مَا يَوْمُ الْفَصْلِ और तुमको क्या मालूम की फ़ैसले का दिन क्या है |
| 15 |
وَيْلٌ يَوْمَئِذٍ لِلْمُكَذِّبِينَ उस दिन झुठलाने वालों की मिट्टी ख़राब है |
| 16 |
أَلَمْ نُهْلِكِ الْأَوَّلِينَ क्या हमने अगलों को हलाक नहीं किया |
| 17 |
ثُمَّ نُتْبِعُهُمُ الْآخِرِينَ फिर उनके पीछे पीछे पिछलों को भी चलता करेंगे |
| 18 |
كَذَلِكَ نَفْعَلُ بِالْمُجْرِمِينَ हम गुनेहगारों के साथ ऐसा ही किया करते हैं |
| 19 |
وَيْلٌ يَوْمَئِذٍ لِلْمُكَذِّبِينَ उस दिन झुठलाने वालों की मिट्टी ख़राब है |
| 20 |
أَلَمْ نَخْلُقْكُمْ مِنْ مَاءٍ مَهِينٍ क्या हमने तुमको ज़लील पानी (मनी) से पैदा नहीं किया |
| 21 |
فَجَعَلْنَاهُ فِي قَرَارٍ مَكِينٍ फिर हमने उसको एक महफूज़ मक़ाम (रहम) में रखा |
| 22 |
إِلَى قَدَرٍ مَعْلُومٍ एक मुअय्यन वक्त तक |
| 23 |
فَقَدَرْنَا فَنِعْمَ الْقَادِرُونَ फिर (उसका) एक अन्दाज़ा मुक़र्रर किया तो हम कैसा अच्छा अन्दाज़ा मुक़र्रर करने वाले हैं |
| 24 |
وَيْلٌ يَوْمَئِذٍ لِلْمُكَذِّبِينَ उस दिन झुठलाने वालों की ख़राबी है |
| 25 |
أَلَمْ نَجْعَلِ الْأَرْضَ كِفَاتًا क्या हमने ज़मीन को समेटने वाली नहीं बनाया |
| 26 |
أَحْيَاءً وَأَمْوَاتًا ज़िन्दों और मुर्दों को |
| 27 |
وَجَعَلْنَا فِيهَا رَوَاسِيَ شَامِخَاتٍ और उसमें ऊँचे ऊँचे अटल पहाड़ रख दिए وَأَسْقَيْنَاكُمْ مَاءً فُرَاتًا और तुम लोगों को मीठा पानी पिलाया |
| 28 |
وَيْلٌ يَوْمَئِذٍ لِلْمُكَذِّبِينَ उस दिन झुठलाने वालों की ख़राबी है |
| 29 |
انْطَلِقُوا إِلَى مَا كُنْتُمْ بِهِ تُكَذِّبُونَ जिस चीज़ को तुम झुठलाया करते थे अब उसकी तरफ़ चलो |
| 30 |
انْطَلِقُوا إِلَى ظِلٍّ ذِي ثَلَاثِ شُعَبٍ (धुएँ के) साये की तरफ़ चलो जिसके तीन हिस्से हैं |
| 31 |
لَا ظَلِيلٍ وَلَا يُغْنِي مِنَ اللَّهَبِ जिसमें न ठन्डक है और न जहन्नुम की लपक से बचाएगा |
| 32 |
إِنَّهَا تَرْمِي بِشَرَرٍ كَالْقَصْرِ उससे इतने बड़े बड़े अंगारे बरसते होंगे जैसे महल |
| 33 |
كَأَنَّهُ جِمَالَتٌ صُفْرٌ गोया ज़र्द रंग के ऊँट हैं |
| 34 |
وَيْلٌ يَوْمَئِذٍ لِلْمُكَذِّبِينَ उस दिन झुठलाने वालों की ख़राबी है |
| 35 |
هَذَا يَوْمُ لَا يَنْطِقُونَ ये वह दिन होगा कि लोग लब तक न हिला सकेंगे |
| 36 |
وَلَا يُؤْذَنُ لَهُمْ فَيَعْتَذِرُونَ और न उनको इजाज़त दी जाएगी कि कुछ उज्र माअज़ेरत कर सकें |
| 37 |
وَيْلٌ يَوْمَئِذٍ لِلْمُكَذِّبِينَ उस दिन झुठलाने वालों की तबाही है |
| 38 |
هَذَا يَوْمُ الْفَصْلِ ۖ جَمَعْنَاكُمْ وَالْأَوَّلِينَ यही फैसले का दिन है (जिस में) हमने तुमको और अगलों को इकट्ठा किया है |
| 39 |
فَإِنْ كَانَ لَكُمْ كَيْدٌ فَكِيدُونِ तो अगर तुम्हें कोई दाँव करना हो तो आओ चल चुको |
| 40 |
وَيْلٌ يَوْمَئِذٍ لِلْمُكَذِّبِينَ उस दिन झुठलाने वालों की ख़राबी है |
| 41 |
إِنَّ الْمُتَّقِينَ فِي ظِلَالٍ وَعُيُونٍ बेशक परहेज़गार लोग (दरख्तों की) घनी छाँव में होंगे |
| 42 |
وَفَوَاكِهَ مِمَّا يَشْتَهُونَ और चश्मों और आदमियों में जो उन्हें मरग़ूब हो |
| 43 |
كُلُوا وَاشْرَبُوا هَنِيئًا بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ (दुनिया में) जो अमल करते थे उसके बदले में मज़े से खाओ पियो |
| 44 |
إِنَّا كَذَلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ मुबारक हम नेकोकारों को ऐसा ही बदला दिया करते हैं |
| 45 |
وَيْلٌ يَوْمَئِذٍ لِلْمُكَذِّبِينَ उस दिन झुठलाने वालों की ख़राबी है |
| 46 |
كُلُوا وَتَمَتَّعُوا قَلِيلًا إِنَّكُمْ مُجْرِمُونَ (झुठलाने वालों) चन्द दिन चैन से खा पी लो तुम बेशक गुनेहगार हो |
| 47 |
وَيْلٌ يَوْمَئِذٍ لِلْمُكَذِّبِينَ उस दिन झुठलाने वालों की मिट्टी ख़राब है |
| 48 |
وَإِذَا قِيلَ لَهُمُ ارْكَعُوا لَا يَرْكَعُونَ और जब उनसे कहा जाता है कि रूकूउ करों तो रूकूउ नहीं करते |
| 49 |
وَيْلٌ يَوْمَئِذٍ لِلْمُكَذِّبِينَ उस दिन झुठलाने वालों की ख़राबी है |
| 50 |
فَبِأَيِّ حَدِيثٍ بَعْدَهُ يُؤْمِنُونَ अब इसके बाद ये किस बात पर ईमान लाएँगे ********* |
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