Quran Hindi Translation

Surah Yusuf

Translation by Mufti Mohammad Mohiuddin Khan



In the name of Allah, Most Gracious,Most Merciful


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और जिस तरह इससे पहलेतुम्हारे दादा परदादा इबराहीम और इसहाक़ पर अपनी नेअमत पूरी कर चुका है औरइसी तरह तुम पर और याक़ूब की औलाद पर अपनी नेअमत पूरी करेगा

बेशक तुम्हारा परवरदिगार बड़ा वाक़िफकार हकीम है

7.

ऐ रसूल) यूसुफ और उनके भाइयों के किस्से में पूछने वाले (यहूद)के लिए(तुम्हारी नुबूवत) की यक़ीनन बहुत सी निशानियाँ हैं

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जब(यूसुफ़के भाइयों ने) कहा कि बावजूद कि हमारी बड़ी जमाअत है फिर भीयूसुफ़ और उसका हकीक़ी भाई (इब्ने यामीन) हमारे वालिद के नज़दीक बहुत ज्यादाप्यारे हैं

इसमें कुछ शक़ नहीं कि हमारे वालिद यक़ीनन सरीही (खुली हुई) ग़लतीमें पड़े हैं

9.

ख़ैरतो अब मुनासिब ये है कि या तो) युसूफ को मार डालो या(कम से कम) उसको किसीजगह(चल कर)फेंक आओ

तो अलबत्ता तुम्हारे वालिद की तवज्जो सिर्फ तुम्हारीतरफ हो जाएगा

और उसके बाद तुम सबके सब (बाप की तवजज्जो से) भले आदमी होजाओगें

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उनमेंसे एक कहने वाला बोल उठा कि यूसुफ को जान से तो न मारो हाँ अगर तुमको ऐसाही करना है तो उसको किसी अन्धे कुएँ में (ले जाकर) डाल दो

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औरहम लोग तो उसके निगेहबान हैं

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ही याक़ूब ने कहा तुम्हारा उसको ले जाना मुझेसख्त सदमा पहुँचाना है

और मै तो इससे डरता हूँ कि तुम सब के सब उससे बेख़बरहो जाओ और(मुबादा) उसे भेड़िया फाड़ खाए

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<वह लोग कहने लगे जब हमारी बड़ी जमाअत है (इस पर भी) अगर उसको भेड़िया खा जाए तो हम लोग यक़ीनन बड़े घाटा उठाने वाले(निकलते) ठहरेगें

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ग़रज़यूसुफ को जब ये लोग ले गए और इस पर इत्तेफ़ाक़ कर लिया कि उसको अन्धे कुएँमें डाल दें

और(आख़िर ये लोग गुज़रे तो)हमने युसुफ़ के पास वहीभेजी कितुम घबराओ नहीं हम अनक़रीब तुम्हें मरतबे (उँचे मकाम)पर पहुँचाएगे ब तुम)उनके उस फेल (बद) से तम्बीह (आग़ाह)करोगेजब उन्हें कुछ ध्यान भी न होगा

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और उनके लिएएक मजलिस आरास्ता की

और उसमें से हर एक के हाथ में एक छुरी और एक (नारंगी)दी

(और कह दिया कि जब तुम्हारे सामने आए तो काट के एक फ़ाक उसको दे देना)

औरयूसुफ़ से कहा कि अब इनके सामने से निकल तो जाओ

और कहने लगी हाय अल्लाह ये आदमी नहीं है ये तो हो न हो बस एक मुअज़िज़इज्ज़त वाला) फ़रिश्ता है

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तोउनके परवरदिगार ने उनकी सुन ली और उन औरतों के मकर को दफा कर दिया

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ये लोग कहने लगे ख़ुदा की क़सम तुम तो जानते हो कि(तुम्हारे) मुल्क में हमफसाद करने की ग़रज़ से नहीं आए थे और हम लोग तो कुछ चोर तो हैं नहीं

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हमलोग तो (अपने यहाँ) ज़ालिमों(चोरों)को इसी तरह सज़ा दिया करते हैं

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हमलोग तो(अपने यहाँ) ज़ालिमों(चोरों) को इसी तरह सज़ा दिया करते हैं

ग़रज़यूसुफ ने अपने भाई का थैला खोलने ने से क़ब्ल दूसरे भाइयों के थैलों सेतलाशी) शुरू की

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