Quran Hindi Translation

Surah Yunus

Translation by Mufti Mohammad Mohiuddin Khan



In the name of Allah, Most Gracious,Most Merciful


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तो क्या तुम लोगों पर ज़बरदस्ती करना चाहते हो ताकि सबके सब ईमानदार हो जाएँ

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हालॉकि किसी शख़्स को ये एख्तेयार नहींकि>बगैर ख़ुदा की इजाज़त ईमान ले आए

और जो लोग (उसूले दीन में) अक़ल से काम नहीं लेते उन्हीं लोगें पर ख़ुदा (कुफ़्र) की गन्दगी डाल देता है>

101.

( रसूल) तुम कहा दो कि ज़रा देखों तो सही कि आसमानों और ज़मीन में (ख़ुदा की निशानियाँ क्या) क्या कुछ हैं 

(मगर सच तो ये है) और जो लोग ईमान नहीं क़ुबूल करते उनको हमारी निशानियाँ और डरावे कुछ भी मुफीद नहीं

102.

तो ये लोग भी उन्हें सज़ाओं के मुन्तिज़र (इन्तजार में) हैं जो उनसे क़ब्ल (पहले) वालो पर गुज़र चुकी हैं

(ऐ रसूल उनसे) कह दो कि अच्छा तुम भी इन्तज़ार करो मैं भी तुम्हारे साथ यक़ीनन इन्तज़ार करता हूँ

103.

फिर नुज़ूले अज़ाब के वक्त) हम अपने रसूलों को और जो लोग ईमान लाए उनको (अज़ाबसे) तलूउ बचा लेते हैं 

यूँ ही हम पर लाज़िम है कि हम ईमान लाने वालों को भीबचा लें

104.

ऐरसूल) तुम कह दो कि अगर तुम लोग मेरे दीन के बारे में शक़ में पड़े हो तो मैं भी तुमसे साफ कहें देता हूँ) ख़ुदा के सिवा तुम भी जिन लोगों कीपरसतिश करते हो मै तो उनकी परसतिश नहीं करने का

मगर(हाँ) मै उस ख़ुदा की इबादत करता हूँ जो तुम्हें (अपनी कुदरत से दुनिया से) उठा लेगा

और मुझे तोये हुक्म दिया गया है कि मोमिन हूँ

105.

और(मुझे)ये भी(हुक्म है)कि (बातिल) से कतरा के अपना रुख़ दीन की तरफ कायम रख

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Zahid Javed Rana, Abid Javed Rana,

Lahore, Pakistan

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